पत्थलगड़ी अभियान | 02 Dec 2019
प्रीलिम्स के लिये:
पत्थलगड़ी अभियान, छोटानागपुर किरायेदारी एक्ट, 1908, संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996
मेन्स के लिये:
अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान, एवं निकाय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने वनों पर जनजातीय समुदायों के अधिकारों को प्रभावित करने वाले वनाधिकार अधिनियम, 2006 (Forest Rights Act, 2006) में किये गए संशोधनों को वापस ले लिया है।
पृष्ठभूमि:
- झारखंड की राज्य सरकार ने छोटानागपुर किरायेदारी एक्ट, 1908 (Chotanagpur Tenancy Act, 1908) और संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876 (Santhal Parganas Tenancy Act, 1876) में संशोधन कर भूमि अधिग्रहण के मानदंडों को आसान बनाने का प्रयास किया, जिससे समस्या और बढ़ गई।
- हालाँकि बाद में इन संसोधनों को वापस ले लिया गया।
- इस फैसले ने आदिवासी क्षेत्रों में पत्थलगड़ी की घटनाओं (Pathalgadi Movement) को जन्म दिया है जो वन अधिकार अधिनियम, 2006 और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 [Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996- PESA] के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।
छोटानागपुर किरायेदारी एक्ट, 1908
(Chotanagpur Tenancy Act, 1908)
- आदिवासियों के खिलाफ शोषण और भेदभाव के खिलाफ बिरसा मुंडा द्वारा किये गए संघर्ष के फलस्वरूप वर्ष 1908 में छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम पारित हुआ।
- इस अधिनियम ने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों के लिये पारित होने को प्रतिबंधित किया।
संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876
(Santhal Parganas Tenancy Act, 1876)
- संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876 बंगाल के साथ लगी झारखंड की सीमा में संथाल परगना गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि की बिक्री पर रोक लगाता है।
पत्थलगड़ी अभियान के बारे में:
- झारखंड के कई गाँवों में गाँव की सीमा को इंगित करने , ग्राम सभा को एकमात्र संप्रभु प्राधिकरण घोषित करने तथा अपने क्षेत्र के बाहरी लोगों पर प्रतिबंध लगाने के लिये पत्थरों की पट्टिकाएं लगाई जाती हैं।
- इन पत्थरों को ही पत्थलगड़ी कहते हैं जो हरे रंग से रंगे होते हैं तथा इन पर संदेश लिखे होते हैं।
- इन संदेशों में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 के अंश शामिल होते है तथा बाहरी लोगों को गाँव में प्रवेश न करने की चेतावनी होती है
- झारखंड राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में पत्थलगड़ी एक सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा है।
- मुंडा जनजाति परंपरा के अनुसार एक विशाल पत्थर को जमीन में गाढ़ना एक व्यक्ति की मृत्यु का प्रतीक होता है।
- पत्थलगड़ी आंदोलन आदिवासी समुदाय के पूर्वजों को सम्मानित करने की परंपरा पर आधारित है।
- यह मुख्य रूप से राज्य के चार जिलों खूंटी, गुमला, सिमडेगा और पश्चिम सिंहभूम में केंद्रित है।