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पर्वतमाला योजना

  • 08 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पर्वतमाला योजना, रोपवे।

मेन्स के लिये:

पर्वतमाला योजना का महत्त्व और रोपवे के लाभ।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में पहाड़ी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार के लिये राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- "पर्वतमाला" की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु 

पर्वतमाला योजना के बारे में: 

  • इस योजना को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में शुरू किया जाएगा, जो दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर पारिस्थितिकी रूप से स्थायी एक पसंदीदा विकल्प होगा।
  • यह पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ यात्रियों हेतु कनेक्टिविटी और सुविधा में सुधार करने से संबंधित है।
  • इसमें भीड़-भाड़ वाले उन शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है, जहांँ पारंपरिक जन परिवहन प्रणाली संभव नहीं है।
  • यह योजना वर्तमान में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में शुरू की जा रही है।
  • वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि वर्ष 2022-23 में 60 किमी. की लंबाई के लिये 8 रोपवे परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे। 

नोडल मंत्रालय:

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के पास इस क्षेत्र में रोपवे और वैकल्पिक गतिशीलता समाधान प्रौद्योगिकी के साथ-साथ निर्माण, अनुसंधान एवं नीति के विकास की ज़िम्मेदारी होगी। 
  • फरवरी 2021 में भारत सरकार (व्यवसाय का आवंटन) नियम 1961 में संशोधन किया गया था, जिसने MORTH को रोपवे और अल्टरनेट मोबिलिटी सॉल्यूशंस के विकास की देखभाल हेतु सक्षम बनाया।
    • यह कदम एक नियामक व्यवस्था स्थापित कर इस क्षेत्र को बढ़ावा देगा।
    • ‘MORTH’ अब तक देश भर में राजमार्गों के विकास और सड़क परिवहन क्षेत्र को विनियमित करने हेतु उत्तरदायी रहा है।

महत्त्व:

  • परिवहन का किफायती तरीका:
    • यह देखते हुए कि रोपवे परियोजनाएँ पहाड़ी इलाके में एक सीधी रेखा में बनाई गई हैं, इससे भूमि अधिग्रहण की लागत भी कम होती है।
    • इसलिये रोडवेज़ की तुलना में प्रति किमी. निर्माण की अधिक लागत होने के बावजूद रोपवे परियोजनाओं की निर्माण लागत रोडवेज़ की तुलना में अधिक किफायती हो सकती है।
  • परिवहन का तीव्र तरीका:
    • परिवहन के हवाई मोड के कारण सड़क मार्ग परियोजनाओं की तुलना में रोपवे काफी फायदेमंद है, क्योंकि पहाड़ी इलाके में एक सीधी रेखा में रोपवे का निर्माण किया जा सकता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल:
    • इसमें कम धूल उत्सर्जन होता है। संबंधित सामग्री के कंटेनरों को इस तरह से डिज़ाइन किया जा सकता है कि पर्यावरण में किसी भी तरह की गंदगी से बचा जा सके।
  • पूर्ण कनेक्टिविटी:
    • ‘3S’ (एक विशिष्ट प्रकार की केबल कार प्रणाली) या समकक्ष तकनीकों को अपनाने वाली रोपवे परियोजनाएँ प्रति घंटे 6000-8000 यात्रियों का परिवहन कर सकती हैं।

‘रोपवे’ के लाभ:

  • कठिन/चुनौतीपूर्ण/संवेदनशील इलाके के लिये आदर्श:
    • लंबी रोप स्पैन: इस सिस्टम में बिना किसी समस्या के नदियों, इमारतों, खड्डों या सड़कों जैसी बाधाओं को पार किया जा सकता है।
    • टावरों पर निर्देशित रस्सियाँ: ज़मीन पर कम जगह की आवश्यकता और मनुष्यों या जानवरों के लिये कोई बाधा नहीं।
  • अर्थव्यवस्था: 
    • रोपवे में एकल पावर-प्लांट और ड्राइव मैकेनिज़्म द्वारा संचालित कई केबल कारें शामिल हैं।
    • यह निर्माण और रख-रखाव दोनों की लागत को कम करता है।
    • रोपवे में एकल ऑपरेटर के प्रयोग से श्रम लागत में कमी आएगी।
    • समतल ज़मीन पर रोपवे की लागत नैरो-गेज रेलमार्गों के प्रतिस्पर्द्धी है, जबकि पहाड़ों में रोपवे कहीं बेहतर है।
  • लचीला: 
    • विभिन्न सामग्रियों का परिवहन- एक रोपवे विभिन्न प्रकार की सामग्री का एक साथ परिवहन कर सकता है।
  • बड़ी ढलानों को संभालने की क्षमता: 
    • रोपवे और केबल-वे (केबल क्रेन) बड़े ढलानों और ऊँचाई में बड़े अंतर को संभाल सकते हैं। 
    • जहाँ किसी सड़क या रेलमार्ग को स्विचबैक या सुरंगों की आवश्यकता होती है, रोपवे सीधे ऊपर और नीचे फॉल लाइन पर यात्रा करता है। इंग्लैंड में पुराने क्लिफ रेलवे और पहाड़ों में स्की रिसॉर्ट रोपवे इस सुविधा का लाभ उठाते हैं।
  • कम ज़मीन की ज़रूरत: 
    • तथ्य यह है कि अंतराल पर केवल संकरे आधार के लंबवत समर्थन की आवश्यकता होती है, शेष ज़मीन को मुक्त छोड़कर, निर्मित क्षेत्रों और उन जगहों पर जहाँ भूमि उपयोग को लेकर तीव्र प्रतिस्पर्द्धा होती है, रोपवे के निर्माण को संभव बनाया जा सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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