भारतीय राजनीति
CBI में रिक्तियों पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट
- 07 Jan 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद की एक समिति ने CBI में रिक्तियों को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को इस दिशा में सक्रियता से उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। ध्यातव्य है कि संसदीय समिति की अध्यक्षता सांसद भूपेंद्र यादव द्वारा की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- एक अलग निष्कर्ष के आधार पर संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee-PSC) ने पाया है कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में मानव के साथ-साथ भौतिक बुनियादी ढाँचे का भी अभाव है। इस वज़ह से 17 में से 14 बेंच पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं।
- कार्यकारी रैंक, विधि अधिकारियों और तकनीकी अधिकारियों में रिक्त पदों का प्रतिशत क्रमशः 16, 28 और 56 है।
- शीर्ष स्तर पर विशेष निदेशक या अतिरिक्त निदेशक के चार पदों में से तीन खाली पड़े हैं।
- समिति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि रिक्तियों को यथाशीघ्र नहीं भरा गया तो यह सीबीआई के कार्यों को प्रभावित करेगी।
समिति की सिफारिशें
सीबीआई हेतु सिफारिशें
- समिति ने सिफारिश की है कि सीबीआई में रिक्तियों की चिरस्थायी समस्या को दूर करने के लिये सरकार भर्ती नियमों को सरल बनाए।
- सीबीआई और सरकार को गाजियाबाद में सीबीआई अकादमी में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इन्वेस्टीगेशन (International Centre of Excellence in Investigation- ICEI) की स्थापना हेतु शीघ्र अनुमोदन प्रदान करना चाहिये, जिसे 2015 में घोषित किया गया था।
इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन इन्वेस्टीगेशन-ICEI
- इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन इन्वेस्टीगेशन (International Centre of Excellence in Investigation- ICEI) का उद्देश्य साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों के उभरते डोमेन में जाँच और अभियोजन पर विश्व स्तरीय प्रमाणित पाठ्यक्रम पेश करना था।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) हेतु सिफारिशें
- संसदीय स्थायी समिति के अनुसार, रिक्तियों को भरने के लिये समयसीमा निर्धारित की जानी चाहिये।
- समिति ने कहा कि न्यायाधिकरण में सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया अच्छी तरह से शुरू होनी चाहिये और सरकार को समय से पहले सेवा छोड़ने वाले सदस्यों के कारणों की जाँच तथा उपचारात्मक उपाय करना चाहिये।
आगे की राह
आंतरिक सुरक्षा, साइबर अपराध, भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता जैसे क्षेत्रों में अपराधों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ सीबीआई जैसी जाँच एजेंसियों पर भी बोझ बढ़ता जा रहा है। यदि रिक्तियों की संख्या ऐसी ही बनी रही तो इन संस्थाओं द्वारा अपराधों पर अंकुश लगा पाना मुश्किल हो जाएगा।