शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को संसद की मंजूरी | 15 Mar 2017

समाचारों में क्यों ?

संसद ने आज शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी जिसमें युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किये गए हैं। लोक सभा ने शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 में राज्य सभा द्वारा किये गए संशोधनों को मंजूरी प्रदान करते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्य सभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह विधेयक इस संबंध में सरकार द्वारा जारी किये गए अध्यादेश का स्थान लेगा। गौरतलब है कि आज़ादी के बाद हुए विभाजन या युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की संपत्ति पर उत्तराधिकार या संपत्ति हस्तांतरण के दावों की रक्षा के लिये करीब 50 वर्ष पुराने एक कानून में संशोधन के संबंध में अब तक कुल छः बार अध्यादेश लाया जा चुका है।

  • गौरतलब है कि शत्रु संपत्ति से संबंधित विधेयक के जिस ‘भूतलक्षी खंड’ (Retrospective clause) को लेकर विवाद है, जिसके सबंध में राज्यों ने अपना विरोध दर्ज़ कराया था, उस पर संसद के शीतकालीन सत्र  में चर्चा की उम्मीद थी लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही में लगातार अवरोध उत्पन्न होने के चलते इससे जुड़े कानून में संशोधन के लिये विधेयक पारित नहीं कराया जा सका था।

क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम ?

  • शत्रु संपत्ति अधिनियम भारत सरकार द्वारा 1968 में लाया गया था। यह कानून सरकार को यह शक्ति प्रदान करता है कि ,ऐसे लोग जो देश विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान जाकर बस गए हों और उन्होंने  वहाँ की नागरिकता ले ली हो, सरकार उनकी संपत्ति जब्त कर ले और ऐसी संपत्ति के लिये अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त करे। उल्लेखनीय है कि देश छोड़कर चले गए ऐसे लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ कहलाती, ऐसे नागरिक- ‘शत्रु नागरिक’।

निष्कर्ष

  • एक अनुमान के मुताबिक, देशभर में शत्रु संपत्ति के दायरे में आने वाली 16,000 संपत्तियाँ हैं, जिनमें से 9411 को अब तक शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है। इनकी अनुमानित कीमत लगभग एक लाख करोड़ रुपए है। वस्तुतः शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन के माध्यम से ऐसी संपत्तियों पर किसी भी प्रकार के दावे की गुंजाइश ही नहीं बचेगी। विधेयक में यह प्रावधान है कि जिस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है, ऐसी संपत्तियों को पाकिस्तान में बसे लोग (जो देश छोड़कर जाने से पूर्व उनके हकदार थे) या उनके उत्तराधिकारी इन संपत्तियों का हस्तांतरण नहीं कर सकेंगे।