संसद द्वारा एचआईवी संबंधी कानून को मान्यता प्रदान की गई | 13 Apr 2017

संदर्भ
हाल ही में भारतीय संसद द्वारा एचआईवी एवं एड्स से संबंधित बिल (Human Immunodeficiency Virus and Acquired Immune Deficiency Syndrome (Prevention and Control) Bill) 2017 पारित किया गया| इस विधेयक के माध्यम से एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित लोगो को मेडिकल इलाज़, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश तथा नौकारियों के संबंध में सामान अधिकार दिलाने की गारंटी सुनिश्चित की गई है|

मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है|  यह विधेयक भारत में एचआईवी एवं एड्स से संबंधित विषय को एक वैधानिक आधार प्रदान करता है| इसके अतिरिक्त यह दक्षिण एशिया में किसी देश का प्रथम राष्ट्रीय एचआईवी कानून है| 
  • यह कानून मुख्यत: जन केन्द्रित होने के साथ-साथ एचआईवी पीड़ित लोगों के मुफ्त इलाज़ के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध भी है|
  • इस कानून को एचआईवी पीड़ित लोगों के अधिकारों को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है|
  • ध्यान देने योग्य बिंदु यह है कि ऐसा नहीं है कि इस विधेयक से पूर्व एचआईवी पीड़ित व्यक्ति सशक्त नहीं थे बल्कि इस विधेयक  के माध्यम से उन्हें (अधिकारों के रूप में) और अधिक शक्तियाँ प्रदान की गई है|
  • इस विधेयक के अंतर्गत उन सभी आधारों को प्रतिबंधित किया गया है जिनके आधार पर एचआइवी पीड़ित लोगों के साथ अनुचित व्यवहार किया जाता है|
  • उल्लेखनीय है कि इस कानून के लागू होने के उपरान्त यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी एचआईवी पीड़ित व्यक्ति से किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाता है तो संबंधित व्यक्ति पर सिविल एवं आपराधिक कार्यवाही की जाएगी|
  • यह कानून को एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित लोगों के साथ रोज़गार, शिक्षा, आवास एवं मेडिकल उपचार सम्बन्धी मामलों में होने वाले भेदभाव की रोकथाम हेतु लाया गया है ताकि एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित वक्तियों के मौलिक अधिकारों को एक नई दिशा एवं सुदृढ़ता प्रदान की जा सकें|
  • इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत एचआईवी एवं एड्स पीड़ित लोगों के साथ सार्वजनिक स्थलों, होटलों, मनोरंजन स्थानों तथा सार्वजनिक सुविधा जैसे स्थानों पर अनुचित व्यवहार एवं भेदभाव को भी प्रतिबंधित किया गया है|
  • यदि कोई व्यक्ति किसी एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित व्यक्ति से संबंधित कोई घृणा विचार को प्रकाशित करता है या किसी अन्य प्रकार से सूचना फैलाता है तो वह व्यक्ति एचआईवी कानून के अंतर्गत सज़ा का हक़दार होगा|

भारत में HIV कानून की प्रासंगिकता के आधार 

  • भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा एचआईवी एवं एड्स ग्रस्त देश है| संयुक्त राष्ट्र AIDS GAP रिपोर्ट, 2016 इस सन्दर्भ में भारत की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करती है -
  • स्पष्ट है की जनसँख्या का एक बड़ा भाग एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित है तथा सामाजिक भेदभाव का शिकार है| अतः एचआईवी कानून के माध्यम से इतने बड़े तबके के अधिकार सुनिश्चित किये गए है ताकि महज़ एक लाइलाज बिमारी के आधार पर इस तबके को उसके अधिकारों से वंचित न किया जाए|
  • भारत में एचआईवी कानून सामाजिक न्याय स्थापित करने का एक अचूक तंत्र है| भारत को HIV मुक्त बनाने के लिये एआरटी (ANTI-RETROVIRAL THEREPY-ART) एक दूसरा सबसे बड़ा कार्यक्रम है| ‘आर्ट’ HIV पीड़ित व्यक्ति को दिये जाने वाला एक उपचार है| 
  • उल्लेखनीय है कि ‘आर्ट’ के चलते भारत में एचआईवी एवं एड्स से संक्रमित मरीजों की संख्या एवं मृत्यु में कमी दर्ज की गई है|

निष्कर्ष
संसद द्वारा पारित यह कानून देश में सामाजिक न्याय एवं मानवीय अधिकारों की गरिमा को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ावा प्रदान करता है| ध्यातव्य है कि एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित लोगों के अधिकारों को सतत विकास लक्ष्यों में शामिल किया गया है| अतः यह कानून वैश्विक पटल पर अन्य देशों के लिये एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत होगा|