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जैव विविधता और पर्यावरण

सर्कस में जंगली जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध

  • 23 Nov 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण

मेन्स के लिये:

वन्यजीवों के समक्ष विभिन्न खतरे, भारत में वन्यजीव संरक्षण के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पेरिस शहर ने सर्कस में जंगली जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।

प्रमुख बिंदु

wild animals from circuses

  • यद्यपि पेरिस शहर ने सर्कस में जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन फ्राँस अभी भी जंगली जानवरों के उपयोग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लागू करने पर विचार कर रहा है।
  • वर्ष 2020 से लागू होने वाले इन प्रस्तावों के अनुसार, यदि किसी सर्कस को जंगली जानवरों का उपयोग करते हुए पाया गया तो उनके संचालन परमिट को रद्द कर दिया जाएगा।

क्यों लगाया गया है प्रतिबंध?

  • जानवरों के अधिकारों, उनके साथ क्रूरता और खराब परिस्थितियों में रहने और प्रदर्शन करने के लिये मज़बूर किये जाने से संबंधित मुद्दे लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं।
  • हालाँकि विश्वभर में सर्कस में प्रदर्शन करने के लिये मज़बूर किये जाने वाले जंगली जानवरों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है (विशेष रूप से विगत दो दशकों के दौरान) लेकिन अब भी कुछ देशों के सर्कस में जंगली जानवरों को इस्तेमाल किया जाता है।

सर्कस में प्रयोग होने वाले जानवरों की स्थिति

  • सर्कस में प्रदर्शन करने वाले अधिकाँश जानवरों को पिंजरे में रखा जाता है। जानवरों के आकार की तुलना में ये पिंजरे बहुत ही छोटे और गंदे होते हैं।
  • सर्कस में जानवरों के साथ होने वाला दुर्व्यवहार और शारीरिक शोषण सामान्य बात है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जब इन्हें सर्कस में प्रदर्शन करने के लिये मजबूर किया जाता है। इन जानवरों द्वारा किये जाने वाले अधिकाँश प्रदर्शन अस्वाभाविक होते हैं। उदाहरण के लिये हाथियों को लंबे समय तक केवल एक पैर पर खड़े रहने के लिये मज़बूर करना।
  • सर्कस में बजने वाले तेज़ संगीत और दर्शकों के शोर के कारण भी जानवरों को परेशानी होती है।
  • कई वर्षों तक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दबाव में कार्य करने के कारण ये दीर्घावधिक शारीरिक तथा मानसिक विकारों से ग्रस्त हो सकते हैं।

पृष्ठभूमि

  • पेरिस ने दिसंबर 2017 में एक योजना की घोषणा की थी ताकि फ्राँस की राजधानी में होने वाले सर्कसों में जंगली जानवरों के उपयोग को प्रतिबंधित किया जा सके।
  • AFP (Agence France-Presse) की रिपोर्ट के अनुसार, फ्राँस की 65 नगरपालिकाओं ने पहले ही जंगली जानवरों को सर्कस से प्रतिबंधित कर दिया है, जबकि फ्राँस राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध को लागू करने पर विचार कर रहा है।

कैद में जंगली जानवरों पर फ्राँस का रुख

  • सर्कस के जानवरों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध पर विचार करने की बावजूद फ्राँसीसी सरकार ने मई 2017 में डॉल्फ़िन और व्हेल के कैप्टिव वंशवृद्धि (Captive Breeding) पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • AFP के अनुसार, लगभग दो-तिहाई फ्राँसीसी लोग सर्कस में जंगली जानवरों के उपयोग पर आपत्ति करते हैं।

अन्य देशों में जंगली जानवरों पर प्रतिबंध

  • एनिमल डिफेंडर्स इंटरनेशनल (Animal Defenders International- ADI) नामक पशु अधिकार समूह जो मानव मनोरंजन के लिये जानवरों के उपयोग की निगरानी करता है, के आँकड़ों के अनुसार, अधिकाँश यूरोपीय देशों ने सर्कस में जंगली जानवरों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाया है।
  • ADI के अनुसार, फ्राँस, जर्मनी, स्पेन, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, अर्जेंटीना, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया ऐसे राष्ट्र हैं, जहाँ वर्तमान में केवल स्थानीय प्रतिबंध प्रभावित हैं और जंगली जानवरों उपयोग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध का अभाव है।

भारत का रुख

  • भारत में दशकों से सर्कस में जंगली जानवरों का उपयोग किया जाता है, लेकिन नवंबर 2018 में, केंद्र सरकार ने मसौदा नियम जारी किये, जिसमें सर्कस में सभी जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया दिया गया था।
  • पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 (1960 का अधिनियम संख्याक 59) [Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960] की धारा 38 के तहत, भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने 'पशु प्रदर्शन (पंजीकरण) संशोधन नियम, 2018' [Performing Animals (Registration) (Amendment) Rules, 2018] प्रस्तावित किया और "पशुओ के प्रदर्शन तथा निर्दिष्ट प्रदर्शन के लिये जानवरों के प्रशिक्षण को निषेध" घोषित किया।
  • मसौदा नियमों के तहत, "किसी भी सर्कस या गतिशील/चलनशील मनोरंजन सुविधा में प्रदर्शन के लिये जानवरों का उपयोग नहीं किया जाएगा।"
  • इसका तात्पर्य यह है कि ऐसे सर्कस जिनकी मान्यता को रद्द कर दिया गया है, को बिना अनुमति प्राप्त किये या केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) के आदेशों में संशोधन के बिना अपने प्रदर्शन कार्यक्रमों में जंगली जानवरों के उपयोग की अनुमति नही है। ध्यातव्य है कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण एक राष्ट्रीय सरकारी निकाय है जो भारत में सर्कस और मनोरंजन और चिड़ियाघर में इस्तेमाल होने वाले जानवरों की स्थितियों की देखरेख करता है।
“भारत में सर्कस खेल एवं युवा मामलों के विभाग की परिधि में आता है।”

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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