उबला चावल | 19 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:उबला चावल, चावल, खरीफ फसल, रबी फसल मेन्स के लिये:देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसलें तथा फसल पैटर्न |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र द्वारा अधिक उबला चावल/पारबॉइल्ड राइस/उसना चावल (Parboiled Rice) की खरीद पर रोक लगाने की घोषणा की गई थी जिसके बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने एक समान धान खरीद नीति की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया।
उबला चावल (Parboiled Rice)
- उबला चावल के बारे में:
- 'पारबॉइल्ड' (Parboil) का शाब्दिक अर्थ है 'आंशिक रूप से उबालकर पकाया गया' (Partly Cooked by Boiling’)।
- इस प्रकार उबला चावल उस चावल को संदर्भित करता है जिसे चावल/धान (Paddy) के मिलिंग चरण (Milling Stage) से पहले आंशिक रूप से उबाला जाता है।
- चावल को उबालना कोई नई प्रथा नहीं है तथा भारत में प्राचीन समय से ही इसका प्रयोग किया जाता रहा है।
- हालाँकि भारतीय खाद्य निगम या उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के द्वारा उबले हुए चावल की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।
- 'पारबॉइल्ड' (Parboil) का शाब्दिक अर्थ है 'आंशिक रूप से उबालकर पकाया गया' (Partly Cooked by Boiling’)।
- चावल को उबालने की प्रक्रिया (उदाहरण):
- केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (Central Food Technological Research Institute- CFTRI), मैसूर, एक ऐसी विधि का उपयोग करता है जिसमें धान को 8 घंटे से अधिक समय तक भिगोने की सामान्य विधि के विपरीत, धान को तीन घंटे के लिये ही गर्म पानी में भिगोया जाता है।
- इसके बाद चावल को पानी से निकाल दिया जाता है और धान को 20 मिनट के लिये स्टीम कर दिया जाता है। साथ ही धान को CFTRI द्वारा प्रयोग की जाने वाली विधि में किसी छायादार स्थान में सुखाया जाता है, लेकिन सामान्य विधि में इसे धूप में सुखाया जाता है।
- धान प्रसंस्करण अनुसंधान केंद्र (Paddy Processing Research Centre- PPRC), तंजावुर द्वारा एक अन्य विधि का प्रयोग किया जाता है जिसे क्रोमेट सोकिंग प्रोसेस (Chromate Soaking Process) के रूप में जाना जाता है।
- इस विघि में प्रयोग किया जाने वाले क्रोमेट लवण के आयनों में क्रोमियम और ऑक्सीजन के अणु होते हैं, गीले चावल से गंध को दूर करने में सहायक होते हैं।
- केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (Central Food Technological Research Institute- CFTRI), मैसूर, एक ऐसी विधि का उपयोग करता है जिसमें धान को 8 घंटे से अधिक समय तक भिगोने की सामान्य विधि के विपरीत, धान को तीन घंटे के लिये ही गर्म पानी में भिगोया जाता है।
- उबालने के लिये उपयुक्त चावल की किस्में:
- सामान्यत: चावल की सभी किस्मों को उबले चावल में संसाधित किया जा सकता है, लेकिन मिलिंग के दौरान चावल के टूटने की प्रक्रिया को रोकने हेतु लंबी पतली किस्मों (Slender Varieties) का उपयोग करना उचित होता है।
- हालांँकि सुगंधित किस्मों को उबालने के लिये प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि इस इसकी सुगंध कम हो सकती है।
फायदे और नुकसान
- फायदे:
- उबालने से चावल सख्त हो जाते हैं जिससे मिलिंग के दौरान चावल के दाने के टूटने की संभावना कम हो जाती है।
- हल्का उबालने से चावल के पोषक तत्व भी बढ़ जाते हैं।
- उबले हुए चावल में कीड़ों और कवक के प्रति अधिक प्रतिरोध होता है।
- नुकसान:
- चावल गहरे रंग के हो जाते हैं और लंबे समय तक भिगोने के कारण उनमें गंध आ सकती हैं।
- इसके अलावा एक उबला चावल मिलिंग इकाई (Parboiling Rice Milling Unit) स्थापित करने के लिये कच्चे चावल मिलिंग इकाई (Raw Rice Milling Unit) की तुलना में अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
सरकार द्वारा उबला चावल की खरीद बंद करने का कारण:
- सरकार के अनुसार पर्याप्त स्टॉक होने के कारण भारतीय खाद्य निगम अधिशेष चावल की खरीद नहीं कर सकता है।
- साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) के तहत ऐसे अनाज की कोई मांग नहीं है।
- मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत वितरण हेतु 20 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष उबले चावल की मांग है।
- मंत्रालय के अनुसार हाल के वर्षों में उबले हुए चावल की मांग में कमी आई है।
- पिछले कुछ वर्षों में झारखंड, केरल और तमिलनाडु जैसे उबले चावल की खपत वाले राज्यों में इसके उत्पादन में वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप इन राज्यों में इसकी आयात में कमी हुई है।
- इससे पहले भारतीय खाद्य निगम राज्यों को आपूर्ति करने हेतु तेलंगाना जैसे राज्यों से उबले हुए चावल की खरीद करता था। हाल के वर्षों में इन राज्यों में उबले हुए चावल के उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- तेलंगाना उबले हुए चावल (भुजिया या उसना या सेला चावल) का एक अधिशेष उत्पादक क्षेत्र है, लेकिन यहाँ उबले हुए चावल का उपभोग नहीं किया जाता है, यहाँ हमेशा अधिशेष में उत्पादन होता है, जो भारतीय खाद्य निगम (FCI) को दिया जाता है।
चावल की मुख्य विशेषताएँ:
- यह एक खरीफ फसल है जिसके लिये उच्च तापमान (25C० से अधिक) तथा 100 सेमी. से अधिक वार्षिक वर्षा के साथ उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती है।
- चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी भारत के मैदानी इलाकों, तटीय क्षेत्रों तथा डेल्टा क्षेत्रों में उगाया जाता है।
- चावल उत्पादक राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब का स्थान है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. भारत में पिछले पाँच वर्षों में खरीफ की फसलों की खेती के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (a)
प्रश्न. निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये:
इनमें से कौन-सी खरीफ की फसलें हैं? (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (c)
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