अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भविष्य में होने वाले सभी चुनावों में होगा ‘वीवीपीएटी’ का प्रयोग
- 13 May 2017
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संदर्भ
निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया है कि भविष्य में होने वाले लोकसभा एवं राज्य विधानसभा के सभी चुनावों में मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (voter verified paper audit trail -VVPAT) का प्रयोग किया जाएगा| इसके अलावा, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के कुछ निश्चित मतदान केंद्रों पर वीवीपीएटी मशीन से निकली स्लिप की गणना भी अनिवार्य रूप से की जाएगी|
प्रमुख बिंदु
- आयोग का कहना है कि इसके लिये ईवीएम की वीवीपीएटी से निकली कुछ निश्चित स्लिप को ही संज्ञान में लिया जाएगा, साथ ही इस बात का निर्धारण भी आयोग द्वारा किया जाएगा कि वीवीपीएटी से निकली कितनी स्लिपों को संज्ञान में लिया| वस्तुतः आयोग इस संदर्भ में एक उपयुक्त व्यवस्था का निर्माण करेगा|
- वैसे, इससे पूर्व आयोग द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि वह इस वर्ष के अंत तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिये सभी ईवीएम को वीवीपीएटी मशीन से जोड़ देगा| गौरतलब है कि वीवीपीएटी मशीनें ईवीएम के माध्यम से डाले जाने वाले प्रत्येक मत का प्रिंटआउट देती हैं|
- इसके पश्चात इस प्रिंटआउट को एक बॉक्स में रखा जाता है जिसका उपयोग चुनावों से संबंधित किसी भी विवाद का निराकरण करने के लिये किया जा सकता है|
- चूँकि इस संदर्भ में आयोग को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिस कारण आयोग राजनीतिक दलों को यह भी सुनिश्चित कराएगा कि ईवीएम का उपयोग तकनीकी और प्रशासनिक सुरक्षा के अंतर्गत किया जाए|
- इस माह राजनीतिक दल अपने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के चुनावों में प्रयोग किये गए ईवीएम की अपारदर्शिता को सिद्ध करेंगे|
- राजनेताओं द्वारा आयोग से यह अनुरोध भी किया गया कि मतदान व्यवस्था में पारदर्शिता बनाए रखने के लिये प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के 25% मतदान केंद्रों में पेपर ट्रेल स्लिप की गणना करने को अनिवार्य बनाया जाए|
विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएँ
- बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दलों ने ईवीएम की पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं, जबकि 7 राष्ट्रीय और 35 राज्य दलों जैसे- तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, बीएसपी, सीपीआई, पीएमके और जम्मू और कश्मीर की राष्ट्रीय पैंथर पार्टी ने वोटिंग मशीन के साथ वीवीपीएटी का समर्थन किया है| ये सभी दल चाहते हैं कि आयोग मतपत्र व्यवस्था की पुनः शुरुआत करे| हालाँकि जेडी(यू) ने बिहार में अपने सहयोगी आरजेडी का विरोधी रवैया अपनाया है तथा पुनः मतपत्र व्यवस्था के प्रयोग का विरोध किया है|
- आरएलडी और कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक दलों ने वीवीपीएटी के प्रयोग का समर्थन किया है तथा आयोग से यह अनुरोध किया कि मतपेटी में गिरने से पूर्व वीवीपीएटी से निकलने वाली स्लिप के समय को बढ़ाया जाए| वर्तमान में यह स्लिप केवल 7 सेकंड के लिये ही वीवीपीएटी के विंडो पर दिखती है तथा इसके पश्चात यह मतपेटी में गिर जाती है| राजनीतिक दल यह चाहते हैं कि यह स्लिप वीवीपीएटी के विंडो पर 15 सेकंड के लिये दिखे|
- आरएलडी, सीपीआई, जेडी (यू) और नेशनल कांफ्रेंस जैसे कई दलों ने कंपनी अधिनियम, 2013 में हुए वर्तमान संशोधनों का भी विरोध किया था जिसमें राजनीतिक दलों को दी जाने वाली कॉर्पोरेट फंडिंग की अधिकतम 7.5% की सीमा को हटा दिया गया है| भारतीय कम्युनिस्ट दल के नेता का कहना है कि सरकार ने असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग की अनुमति दे दी है परन्तु नकद की सीमा को 20,000 से 2000 पर ला दिया है| सरकार के इस कदम से केवल कांग्रेस और बीजेपी जैसे राजनीतिक दलों को ही लाभ प्राप्त होगा|
- सीपीआई, टीएमसी और जेडी(यू) जैसे दल उन दलों में शामिल थे जिन्होंने चुनाव के दौरान राज्यों को दी जाने वाली असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग का समर्थन किया था| आयोग ने यह आश्वासन दिया था कि उनके विचारों को भी संज्ञान में लिया जाए|
निष्कर्ष
सभी दलों की बैठक इसलिये की गई थी क्योंकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के पश्चात ईवीएम की पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे थे| पिछले महीने कांग्रेस के नेतृत्व में विरोधी दलों के प्रतिनिधि तीन चुनाव आयुक्तों से मिले थे तथा उनसे मतदान के लिये पुनः मतपत्र व्यवस्था को उपयोग में लाने का अनुरोध किया था|