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भारतीय राजनीति

दिल्ली में अखिल भारतीय आरक्षण नियम

  • 31 Aug 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

एक वाद में निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरक्षण राज्य विशिष्ट है, लेकिन दिल्ली एक 'लघु भारत' है जहाँ  “अखिल भारतीय आरक्षण नियम” लागू होता है।

प्रमुख बिंदु

  • न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुवाई में पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह कहा कि रोज़गार या शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रवासित किसी अन्य राज्य के अनुसूचित जाति के व्यक्ति को दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति का नहीं माना जा सकता है।
  • न्यायाधीश ने कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण का लाभ राज्य/संघ शासित प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगा। इसके संबंध में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों की सूची को समय-समय पर जारी राष्ट्रपति के आदेशों द्वारा अधिसूचित किया गया है।
  • पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एन .वी रमण, आर. भानुमति, एम.एम. शांतनगौदर और एस. अब्दुल नज़ीर शामिल थे।
  • लेकिन न्यायमूर्ति भानुमति बहुमत से इस बिंदु पर कि दिल्ली के लिये अखिल भारतीय आरक्षण का नियम “ संघीय राजनीति की संवैधानिक संरचना के अनुकूल है”, असंतुष्ट दिखे। 
  • न्यायमूर्ति बनुमथी ने कहा कि यदि दिल्ली जैसे संघ शासित प्रदेशों में अखिल भारतीय आरक्षण का नियम लागू होता है तो इससे अनुसूचित जाति/जनजाति के उत्थान की संविधान की योजना का उद्देश्य ही विफल हो जाता है।
  • हालाँकि, न्यायमूर्ति भानुमथी ने इस पर सहमति व्यक्त की कि आरक्षण राज्य-विशिष्ट होना चाहिये।
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