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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गिलगित-बाल्टिस्तान: पूर्ण प्रांत का विवाद

  • 18 Sep 2020
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये

गिलगित-बाल्टिस्तान की भौगोलिक अवस्थिति, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा 

मेन्स के लिये

गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा देने का निर्णय और इसके निहितार्थ, गिलगित-बाल्टिस्तान की कानूनी स्थिति संबंधी विवाद और इस पर भारत की स्थिति

चर्चा में क्यों?

पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री के बयान का हवाला देते हुए दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को एक पूर्ण प्रांत का दर्जा देने पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • पाकिस्तान सरकार में कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्री अली अमीन के मुताबिक सभी हितधारकों से विमर्श के बाद संघ सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को संवैधानिक अधिकार देने का फैसला किया है, इसके साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली समेत सभी संवैधानिक निकायों में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्त्व दिया जाएगा। विदित हो कि पाकिस्तान सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
  • वहीं भारत के कई अवसरों पर पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर कहा है कि कानूनी तौर पर संपूर्ण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग हैं और इस लिहाज़ से पाकिस्तान को इनकी स्थिति में बदलाव का कोई अधिकार नहीं है।

गिलगित-बाल्टिस्तान 

  • गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पश्चिमी में स्थित अत्यधिक ऊँचाई वाला एक  पहाड़ी क्षेत्र है। यह क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का एक हिस्सा था, किंतु वर्ष 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना के आक्रमण के बाद से यह क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रण में है।
  • पाकिस्तान के नियंत्रण में आने के बाद इस क्षेत्र को उत्तरी (शुमाली) इलाका अर्थात् नॉर्दन एरियाज़ कहा गया और इसे इस्लामाबाद के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा गया। 
  • पाक अधिकृत कश्मीर (POK) और गिलगित-बाल्टिस्तान दोनों अलग-अलग इलाके हैं, जबकि भारत इन्हें जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा मानता है। 
  • अगस्त 2009 में पाकिस्तानी सरकार द्वारा इस उत्तरी इलाके के लिये ‘गिलगित-बाल्टिस्तान सशक्तीकरण और स्वशासन आदेश’ लागू किया गया और इसके पश्चात् इस क्षेत्र को गिलगित-बाल्टिस्तान के रूप में जाना जाने लगा।

विवाद और इतिहास 

  • दरअसल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के विपरीत पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र का अधिकार दो ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों की मिलीभगत के कारण प्राप्त हुआ था।
  • वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के पूर्व जम्मू-कश्मीर की रियासत में कुल पाँच क्षेत्र शामिल थे: जम्मू, कश्मीर घाटी, लद्दाख, गिलगित वज़रात और गिलगित एजेंसी।
  • ब्रिटिश भारत की उत्तरी सीमाओं पर गिलगित एजेंसी के रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए वर्ष 1935 में अंग्रेज़ों ने जम्मू-कश्मीर रियासत के तहत इस क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर के महाराजा से 60 वर्ष के लिये लीज़ पर ले लिया और वहाँ प्रशासक के तौर पर एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई, जबकि गिलगित वज़रात में ब्रिटिश अधिकारियों ने पहले ही एक एजेंट की नियुक्त कर रखी थी। 
  • वहीं संयुक्त गिलगित क्षेत्र (गिलगित वज़रात और गिलगित एजेंसी) के प्रशासन का कार्य ‘गिलगित स्काउट्स’ (Gilgit Scouts) नाम से सैन्य बल द्वारा किया जा रहा है, जिसकी कमान अंग्रेज़ अधिकारियों के हाथ में थी।
  • वर्ष 1947 में भारत छोड़ने से पूर्व ब्रिटिश सरकार ने लीज़ को रद्द कर दिया और इस क्षेत्र को वापस जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा को सौंप दिया, हालाँकि वैकल्पिक व्यवस्था आने तक ब्रिटिश अधिकारियों ने इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को यथावत बनाए रखा। 
  • अक्तूबर 1947 में जब पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी पर आक्रमण किया, तब गिलगित स्काउट्स के दो ब्रिटिश अधिकारियों, मेजर डब्ल्यू. ए. ब्राउन और कप्तान ए. एस. मैथिसन ने वहाँ के एक प्रभावशाली सूबेदार मेजर बाबर खान की मदद से विद्रोह कर दिया।
  • विद्रोहियों ने इस क्षेत्र के लिये जम्मू-कश्मीर की रियासत के महाराज द्वारा नियुक्त गवर्नर की हत्या कर दी और साथ ही कुछ सिख तथा गोरखा सैनिकों के एक छोटे समूह को मार दिया गया।
  • हालाँकि तब तक जम्मू-कश्मीर के महाराज ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये थे और जम्मू-कश्मीर कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा बना गया था।
  • 2 नवंबर, 1947 को ब्रिटिश अधिकारी मेजर ब्राउन ने गिलगित स्काउट्स के मुख्यालय में आधिकारिक रूप से पाकिस्तानी झंडा फहराया और यह घोषणा कर दी कि संयुक्त गिलगित क्षेत्र (गिलगित वज़रात और गिलगित एजेंसी) पाकिस्तान के नियंत्रण में है।
  • तकरीबन दो सप्ताह बाद पाकिस्तान सरकार ने सरदार मोहम्मद आलम को इस क्षेत्र के लिये राजनीतिक एजेंट नियुक्त किया और इस क्षेत्र को पाकिस्तान के नियंत्रण में ले लिया गया। 
  • इस प्रकार यह पूरा विवाद दो ब्रिटिश अधिकारियों की गलती की वजह से शुरुआत हुआ। 

गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा स्थिति

  • वर्ष 1974 में पाकिस्तान ने एक अधिसूचना के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के महाराजा द्वारा वर्ष 1927 में लागू किये गए एक कानून को खारिज कर दिया, जिसमें बाहरी लोगों को संपत्ति के स्वामित्त्व से वंचित किया गया था। कानूनी बाधाओं के समाप्त होने के बाद पाकिस्तान ने सुन्नी मुस्लिमों को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से लाकर यहाँ बसाना शुरू कर दिया, जिसके कारण इस क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों की शुरुआत हो गई, जो कि आज तक जारी है।
  • वर्तमान में गिलगित-बाल्टिस्तान के पास सीमित शक्तियों वाली एक विधानसभा है, जो कि पाकिस्तान सरकार में कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रशासित की जाती है।
  • इसके अलावा इस क्षेत्र की वास्तविक शक्तियाँ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक परिषद में निहित हैं। 

संयुक्त गिलगित क्षेत्र से गिलगित-बाल्टिस्तान तक

  • पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किये जाने के बाद वर्ष 1970 तक संयुक्त गिलगित क्षेत्र (गिलगित वज़रात और गिलगित एजेंसी) और पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया कश्मीर एक ही इकाई के रूप में मौजूद रहे, किंतु धीरे-धीरे पाकिस्तान को संयुक्त गिलगित क्षेत्र के प्रशासन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि यह क्षेत्र सुन्नी और पंजाबी बहुल पाकिस्तान के विपरीत बहु-भाषी शिया बहुल क्षेत्र था।
  • वर्ष 1971 की लड़ाई में अपमानित होने के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त गिलगित क्षेत्र को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) से अलग कर दिया, और इसे पाकिस्तान का उत्तरी क्षेत्र या नॉर्दन एरियाज़ नाम दे दिया गया और यह प्रत्यक्ष रूप से संघ सरकार के नियंत्रण में आ गया।
  • वर्ष 2009 में इस क्षेत्र का नाम ‘नॉर्दन एरियाज़’ से बदलकर गिलगित-बाल्टिस्तान कर दिया गया।

इस क्षेत्र पर भारत की स्थिति

  • भारत गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा किये गए भारतीय क्षेत्र के हिस्से के रूप में देखता है। 
  • भारत का तर्क है कि दोनों ब्रिटिश अधिकारियों को संयुक्त गिलगित क्षेत्र (गिलगित वज़रात और गिलगित एजेंसी) के संबंध में कोई कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं था, इस प्रकार उनके द्वारा यह क्षेत्र पाकिस्तान को देना पूर्णतः गैर-कानूनी था और इसलिये यह क्षेत्र कानूनी तौर पर भारत का अभिन्न अंग है। 
  • दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के संविधान में गिलगित-बाल्टिस्तान का कहीं भी कोई ज़िक्र नहीं मिलता है, जिसके कारण पाकिस्तान इस क्षेत्र की स्थिति को लेकर अस्पष्टता बनाए रखता है। 
  • वर्ष 1994 में भारतीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर यह दोहराया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान दोनों जम्मू-कश्मीर के अभिन्न हिस्से हैं। 
  • वहीं वर्ष 2017 में ब्रिटिश संसद ने भी एक प्रस्ताव पारित करते हुए यह कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान कानूनी रूप से भारत का हिस्सा है।

पूर्ण प्रांत बनाने के निहितार्थ और भारत की चिंताएँ

  • वर्तमान में बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध, पाकिस्तान के चार प्रांत हैं, इस प्रकार यदि गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण प्रांत बनाने की घोषणा की जाती है तो यह पाकिस्तान का 5वाँ प्रांत होगा।
  • इस क्षेत्र के महत्त्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) इसी इलाके से होकर बनाया जा रहा है और चूँकि यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित है कि, इसलिये भविष्य में इस परियोजना के समक्ष समस्याएँ आ सकती हैं।
  • किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचने के लिये पाकिस्तान इस क्षेत्र को पूर्ण प्रांत का दर्जा देना चाहता है, क्योंकि इससे इस क्षेत्र पर पाकिस्तान की कानूनी स्थिति और मज़बूत हो जाएगी। 
  • भारत के लिये चिंता का विषय यह है कि गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से लगा हुआ है और अपनी भौगोलिक स्थिति की वज़ह से यह भारत के लिये सामरिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। 

निष्कर्ष

गिलगित-बाल्टिस्तान भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है, हालाँकि ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा है, किंतु पाकिस्तान ने इस क्षेत्र की स्थिति पर पूर्णतः अस्पष्टता बना रखी है, आवश्यक है कि इस क्षेत्र की कानूनी स्थिति में कोई भी बदलाव करने से पूर्व इससे संबंधित क्षेत्रीय विवाद को हल किया जाए, इस क्रम में कूटनीतिक मंच का प्रयोग किया जा सकता है, हालाँकि यहाँ भी गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्त्व सुनिश्चित करना आवश्यक होगा, क्योंकि इस मामले का प्रत्यक्ष प्रभाव अंततः उन्ही पर पड़ेगा।

स्रोत: द हिंदू

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