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किशनगंगा जलविद्युत एवं पकल दुल बिजली परियोजना : घाटी के विकास की नई लहर

  • 21 May 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जम्‍मू एवं कश्‍मीर में किशनगंगा जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया। साथ ही इस अवसर पर उन्होंने पकल दुल बिजली परियोजना का शिलान्‍यास भी किया। पकल दुल बिजली परियोजना की क्षमता 1000 मेगावाट की है, यह जम्‍मू एवं कश्‍मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी। विशेष बात यह है कि यह जम्‍मू एवं कश्‍मीर में पहली भंडारण परियोजना भी है।

किशनगंगा जलविद्युत परियोजना

  • किशनगंगा जलविद्युत संयंत्र से किशनगंगा नदी पर बांध बनाकर जलविद्युत उत्पन्न की जाती है। यह जम्मू कश्मीर में बन्दीपुर से पाँच किमी उत्तर में स्थित है। इसकी स्थापित क्षमता 300 मेगावट बिजली पैदा करने की है।
  • जम्‍मू–कश्‍मीर सरकार एवं भारत सरकार के बिजली मंत्रालय के बीच जुलाई 2000 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किये जाने के बाद राज्‍य सरकार द्वारा निष्‍पादन के लिये इस परियोजना को एनएचपीसी (National Hydroelectric Power Corporation – NHPC) के सुपुर्द कर दिया गया था।

लाभ

  • किशनगंगा जलविद्युत परियोजना राज्‍य को 13 प्रतिशत की नि:शुल्‍क बिजली उपलब्‍ध कराएगी जो लगभग 133 करोड़ रुपए प्रति वर्ष के बराबर होगी।
  • इस परियोजना से राज्‍य को अन्‍य लाभ भी होंगे जैसे- जम्‍मू एवं कश्‍मीर के लोगों को रोज़गार मिलेगा, राज्‍य में बुनियादी ढाँचे का विकास होगा आदि।
  • ऐसा अनुमान है कि निर्माण चरण के दौरान प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रोज़गार के माध्‍यम से इस परियोजना में 1850 स्‍थानीय व्‍यक्‍ति शामिल होंगे तथा परिचालन चरण के दौरान 750 स्‍थानीय व्‍यक्‍ति इससे जुड़ेंगे।

किशनगंगा जलविद्युत परियोजना विवाद

  • भारत ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला ज़िले में किशनगंगा नदी पर 300 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना स्थापित करने का निर्णय किया। इस परियोजना पर वर्ष 2007 में ही काम शुरू हो गया था, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि अभी तक इस मामले में कोई उल्लेखनीय प्रगति देखने को नहीं मिली है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2010 में पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय (International Court of Arbitration) में इस परियोजना के सबंध में यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी कि इस परियोजना के बनने से किशनगंगा नदी के 15 फीसदी पानी पर, यानी कि जिस पर उसका अधिकार है (सिंधु जल समझौते के तहत), वह छिन जाएगा।
  • इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत पर उसकी नीलम-झेलम पनबिजली परियोजना को नुकसान पहुँचाने के लिये नदी का रुख मोड़ने का भी आरोप लगाया था।
  • दरअसल, इस मामले में पकिस्तान की दलील यह थी कि किशनगंगा नदी का रुख मोड़कर इसे झेलम नदी की एक सहायक नदी बनाना सिंधु जल समझौते के खिलाफ है।
  • ध्यान रहे कि इस परियोजना के अंतर्गत ‘बोनार-मदमती नाला’ के ज़रिये किशनगंगा नदी को झेलम से जोड़ा जाना था।
  • नीदरलैंड के हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय ने अपने ‘आंशिक फैसले’ में कहा था कि किशनगंगा पनबिजली परियोजना (केएसईपी) वस्तुतः ‘‘नदी के बहाव से चलने वाला’’ संयंत्र है और इस संयंत्र से विद्युत् उत्पादन के लिये भारत किशनगंगा या नीलम नदी के पानी का रुख मोड़ सकता है।
  • यहाँ बताते चलें कि किशनगंगा, नीलम नदी का ही दूसरा नाम है। न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि इस परियोजना के परिचालन के दौरान भारत पर किशनगंगा नदी में पानी का न्यूनतम बहाव बनाए रखने की भी बाध्यता है।
  • न्यायालय ने दोनों देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए जल विज्ञान संबंधी नए आँकड़ों के आधार पर अपने ‘अंतिम फैसले’ में न्यूनतम बहाव की दर 9 घन मीटर प्रति सेकंड निर्धारित की थी।
  • साथ ही, फैसले में यह भी कहा गया था कि यह संधि भारत को किसी अनपेक्षित आपात स्थिति के अलावा पाकिस्तान को आवंटित इन नदियों के जलाशयों में पानी का स्तर ‘स्थिर संग्रह स्तर’ के नीचे करने की इज़ाज़त नहीं देती।
  • ध्यान देने योग्य बात यह है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा परियोजना से सबंधित क़ानूनी विवादों को तो हल कर लिया गया, किन्तु परियोजना के डिज़ाइन सबंधी विवादों को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाने का निर्णय लिया गया था। ध्यातव्य है कि अभी तक इस सबंध में कोई प्रगति नहीं हुई है, अतः डिज़ाइन सबंधी विवाद यथावत बना हुआ है।

पकल दुल परियोजना

  • आर्थिक मामलों पर मंत्रिस्‍तरीय समिति की मंज़ूरी के अनुसार, पकल दुल की परियोजना लागत 8112.12 करोड़ रुपए है। यह परियोजना भारत सरकार एवं जम्‍मू-कश्‍मीर राज्य सरकार दोनों द्वारा समर्थित है।
  • इसके कार्यान्‍वयन की समय-सीमा परियोजना के आरंभ होने से 66 महीनों तक की निधारित की गई है।
  • इस परियोजना से डाउन स्‍ट्रीम परियोजनाओं में 650 एमयू का अतिरिक्‍त सृजन होगा क्‍योंकि यह भंडारण प्रकार की परियोजना है और खाली मौसम में जल उपलब्‍धता में भी सुधार लाएगी।
  • पकल दुल परियोजना से जम्‍मू एवं कश्‍मीर के लोगों को काफी लाभ पहुँचेगा। निर्माण चरण के दौरान प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रोज़गार के माध्‍यम से इस परियोजना से लगभग 3000 व्‍यक्‍तियों तथा परिचालन चरण के दौरान 500 व्‍यक्‍तियों को रोज़गार मिलेगा।
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