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पाइका विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का दर्ज़ा

  • 24 Oct 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार द्वारा कहा गया है कि 1817 के पाइका विद्रोह को अगले शैक्षिक सत्र से इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ के रूप में स्थान दिया जाएगा।

साथ ही केंद्र सरकार ने देश भर में इसकी 200वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये 200 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। उल्लेखनीय है कि अभी तक 1857 के सिपाही विद्रोह को ही प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है।

क्या था पाइका विद्रोह ? 

  • पाइका विद्रोह 1817 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध उड़ीसा में पाइका जाति के लोगों द्वारा किया गया एक सशस्त्र, व्यापक आधार वाला और संगठित विद्रोह था। 
  • पाइका उड़ीसा की एक पारंपरिक भूमिगत रक्षक सेना थी। वे योद्धाओं के रूप में वहाँ के लोगों की सेवा भी करते थे। पाइका विद्रोह के नेता बक्शी जगबंधु थे। पाइका जाति भगवान जगन्नाथ को उड़ीया एकता का प्रतीक मानती थी। 

विद्रोह के कारण 

  • पाइका विद्रोह के कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण थे।  1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा खुर्दा (उड़ीसा) की विजय के बाद पाइकों की शक्ति एवं प्रतिष्ठा घटने लगी।
  • अंग्रेज़ों ने खुर्दा पर विजय प्राप्त करने के बाद पाइकों की वंशानुगत लगान-मुक्त भूमि हड़प ली तथा उन्हें उनकी भूमि से विमुख कर दिया। इसके बाद कंपनी की सरकार और उसके कर्मचारियों द्वारा उनसे जबरन वसूली और उनका उत्पीड़न किया जाने लगा।
  • कंपनी की जबरन वसूली वाली भू-राजस्व नीति ने किसानों और ज़मींदारों को एक समान रूप से प्रभावित किया। 
  • नई सरकार द्वारा लगाए गए करों के कारण नमक की कीमतों में वृद्धि आम लोगों के लिये तबाही का स्रोत बनकर आई। 
  • इसके अलावा कंपनी ने कौड़ी मुद्रा व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया था, जो कि उड़ीसा में कंपनी के विजय से पहले अस्तित्व में थी और जिसके तहत चांदी में कर चुकाना आवश्यक था। यही इस असंतोष का सबसे बड़ा कारण बना।
  • यह विद्रोह बहुत तेज़ी से प्रांत के अन्य इलाकों जैसे पुर्ल, पीपली और कटक में फैल गया। इसके बाद दमन का व्यापक दौर चला, जिसमें कई लोगों को जेल में डाल दिया गया तथा कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
  • बक्शी जगबंधु को अंतत: 1825 में गिरफ्तार कर लिया गया और कैद में रहते हुए ही 1829 में उनकी मृत्यु हो गई।

क्यों महत्त्वपूर्ण है पाइका विद्रोह?

  • 1857 का स्वाधीनता संग्राम जिसे सामान्य तौर पर देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है उससे भी पहले 1817 में ओडिशा में हुए पाइका विद्रोह ने पूर्वी भारत में कुछ समय के लिये ब्रिटिश राज की जड़ें हिला दी थीं।
  • दरअसल, ब्रिटिश राज के विरुद्ध विद्रोह में पाइका लोगों ने अहम् भूमिका निभाई थी, लेकिन किसी भी मायने में यह विद्रोह एक वर्ग विशेष के लोगों के छोटे समूह का विद्रोह भर नहीं था।
  • विदित हो कि घुमसुर जो कि वर्तमान में गंजम और कंधमाल ज़िले का हिस्सा है वहाँ के आदिवासियों और अन्य वर्गों ने इस विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

निष्कर्ष

  • पाइका विद्रोह को ओडिशा में बहुत उच्च दर्ज़ा प्राप्त है और बच्चे अंग्रेज़ों के विरुद्ध लड़ाई में पाइका विद्रोहियों की वीरता की कहानियाँ पढ़ते हुए बड़े होते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस विद्रोह को राष्ट्रीय स्तर पर वैसा महत्त्व नहीं मिला है जैसा कि मिलना चाहिये।
  • लेकिन, हाल के दिनों में भारत सरकार ने इस संबंध में कुछ सराहनीय प्रयास किये हैं। इस विद्रोह को समुचित पहचान देने के लिये इसकी 200वीं वर्षगाँठ को उचित रूप से मनाने के निर्णय के बाद इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया जा रहा है।
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