पैकेज्ड एवं प्रसंस्कृत भोजन: गैर-संक्रामक रोगों के प्रमुख कारक | 17 Mar 2018

संदर्भ
भारत में भी गैर-संचारी रोगों की समस्या से निपटने का अतिरिक्त बोझ बढ़ता जा रहा है। गैर-संचारी रोग देश में मृत्यु का प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। भारत के महापंजीयक कार्यालय के अनुसार कुल मौतों में इन रोगों से मरने वालों का अनुपात 42% प्रतिशत से अधिक है। गैर-संचारी रोगों के कारण शहरी और ग्रामीण, दोनों ही आबादियों में रुग्णता एवं मृत्यु-दर में चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिली है।

  • इन बीमारियों से बड़ी संख्या में संभावित उत्पादक आयु समूह (35-64 वर्ष आयु के लोग) में जीवन की क्षति हो रही है।
  • एक अनुमान के मुताबिक़ मधुमेह, हाइपरटेंशन, इस्केमिक हार्ट डिज़ीज़ (आईएचडी) और स्ट्रोक (आघात) जैसी बीमारियों की विद्यमानता भारत में प्रति 1000 क्रमशः 62.47, 159.46, 37.00 और 1.54 है। भारत में कैंसर के करीब 25 लाख रोगी हैं।
  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (ICMR) के अनुसार चीनी, सोडियम और ट्रांस-वसा का अत्यधिक सेवन गैर-संचारी रोगों का प्रमुख कारक है।
  • हालाँकि भारत में प्रति व्यक्ति पैकेज्ड वस्तुओं की खपत संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश की तुलना में कम है।

गैर-संचारी रोग (NCD)

  • गैर-संचारी रोगों को दीर्घकालिक बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक बनी रहती हैं तथा ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है।
  • आमतौर पर ये रोग आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और जीवन-शैली जैसे कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं।
  • यह एक आम धारणा है कि बढ़ती आय के साथ आहार संबंधी व्यवहार अनाज और अन्य कार्बोहाइड्रेट आधारित भोजन से फलों, सब्जियों, दूध, अंडे और माँस जैसे पोषक तत्त्वों से समृद्ध विकल्पों की तरफ झुक जाता है।
  • ऐसे खाद्य उत्पाद ऊर्जा-गहन (Energy-dense) और वसा, शर्करा तथा नमक की उच्च मात्रा से युक्त होते हैं जो इनके उपभोक्ताओं की NCDs और मोटापे के प्रति सुभेधता को बढ़ाते हैं।
  • गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और इन पर नियंत्रण हेतु वैश्विक कार्रवाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की योजना में चार मुख्य NCD शामिल किये गए हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
    ► हृदयवाहिनी बीमारियाँ (Cardiovascular Diseases-CVD) जैसे-हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक
    ► कैंसर
    ► दीर्घकालिक श्वाँस संबंधी बीमारियाँ
    ► मधुमेह (Diabetes)
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हृदय संबंधी विकार, कैंसर और मधुमेह सहित गैर-संचारी रोग भारत में लगभग 61% मौतों का कारण है।
  • इन बीमारियों के कारण लगभग 23% लोगों पर प्री-मैच्योर (समय से पहले) मौत का खतरा बना हुआ है। 

NCDs के जोखिम कारक 

  • अस्वास्थ्यकर जीवन शैलियाँ 
  • तम्बाकू सेवन 
  • शारीरिक निष्क्रियता 
  • अस्वास्थ्यकर भोजन जैसे जंक फ़ूड 
  • शराब का सेवन 
  • उच्च रक्तचाप
  • अधिक वज़न अथवा मोटापा (Obesity)
  • हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia) अर्थात् रक्त में शर्करा का उच्च स्तर
  • हाइपरलिपिडेमिया (Hyperlipidemia) अर्थात् रक्त में वसा का उच्च स्तर

NCDs की रोकथाम के लिये किये गए सरकारी प्रयास 
राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, सीवीडी और स्ट्रोक निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम (National Program for Prevention and Control of Cancer, Diabetes, CVD and Stroke-NPCDCS)

  • गैर-संचारी रोगों के बढ़ते दबाव और प्रमुख पुरानी गैर-संचारी बीमारियों के समान जोखिम घटकों को देखते हुए, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में कैंसर, मधुमेह, सीवीडी (कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ेज़) और स्ट्रोक के निवारण तथा नियंत्रण के लिये एकीकृत राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
  • इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सभी राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य प्रोत्साहन और रोग निवारण, मानव संसाधनों सहित बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाने, शीघ्र निदान और प्रबंधन तथा विभिन्न स्तरों पर एनसीडी सेल्स की स्थापना के ज़रिये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि अनुकूलतम प्रचालनगत सहक्रियाशीलता हासिल की जा सके।
  • पहले से जारी राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम को NPCDCS के साथ एकीकृत किया जा रहा है।
  • कार्यक्रम के उद्देश्यों में अन्य बातों के अलावा स्वस्थ आहार को लेकर जागरूकता का प्रसार करना भी शामिल हैं।
  • NPCDCS के तहत ही आम NCDs यथा-मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मुँह, स्तन और ग्रीवा जैसे सामान्य कैंसर के प्रारंभिक निदान के लिये सरकार द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के तहत जनसंख्या आधारित रोकथाम, नियंत्रण और स्क्रीनिंग कार्यक्रमों को संचालित किया जा रहा है।
  • जीवन-शैली संबंधित बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिये NPCDCS के साथ आयुष पद्धतियों को एकीकृत किया जा रहा है। 

अन्य पहलें

  • भोजन में उच्च वसा, शुगर और नमक (HFSS) तथा संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों के मुद्दे को हल करने के लिये खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है।
  • FSSAI ने 'भारत में स्कूली बच्चों के लिये स्वास्थ्यकर, पौष्टिक, सुरक्षित और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने के हेतु दिशा-निर्देश'  शीर्षक वाले निर्देश भी जारी किये हैं।
  • FSSAI द्वारा नागरिकों को सुरक्षित, पौष्टिक और स्वस्थ भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण से युक्त ‘सुरक्षित और पौष्टिक भोजन’ (Safe and Nutritious Food (SNF) नामक अभियान चलाया जा रहा है।
  • इन पहलों के तहत FSSAI द्वारा उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता के लिये प्रचार पुस्तिकाओं, पम्फ़लेट आदि प्रकाशित किये जा रहे है। स्कूल के शिक्षकों को स्कूली बच्चों के बीच स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय बच्चों के पोषण संबंधी स्थिति में सुधार के उद्देश्य से सरकारी और सरकारी अनुदानित विद्यालयों के कक्षा 1-8वीं तक के छात्रों, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों (STC) और सर्व शिक्षा अभियान के तहत शामिल मदरसों तथा मकतबों में पढ़ रहे छात्रों के लिये राष्ट्रीय मिड-डे-मील कार्यक्रम को क्रियान्वित कर रहा है। 
  • स्कूल के बच्चों के लिये एक स्वस्थ जीवन शैली पुस्तिका तैयार की गई है जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा संयुक्त रूप से ज़ारी किया गया है।