PACER योजना | 29 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारत के अंटार्कटिक और आर्कटिक मिशन, PACER योजना, राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र, इंडएआरसी महासागर सेवाएंँ, प्रौद्योगिकी, अवलोकन, संसाधन मॉडलिंग और विज्ञान, ACROSS योजना। मेन्स के लिये:विज्ञान और प्रौद्योगिकी, ध्रुवीय अनुसंधान में भारतीयों की उपलब्धियांँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा वर्ष 2021 से वर्ष 2026 तक ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर रिसर्च (Polar Science and Cryosphere- PACER) योजना को जारी रखने की मंज़ूरी दी गई है।
प्रमुख बिंदु
PACER योजना के बारे में:
- PACER में निम्नलिखित छह घटक शामिल हैं:
- ध्रुवीय अनुसंधान पोत का निर्माण
- अंटार्कटिक में तीसरे शोध आधार का निर्माण
- आर्कटिक में भारतीय वैज्ञानिक प्रयास
- ध्रुवीय अभियान-अंटार्कटिक
- मैत्री स्टेशन का प्रतिस्थापन
- दक्षिणी महासागर अभियान
- योजना को नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च ( National Centre for Polar and Ocean Research- NCPOR) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
योजना के तहत प्रमुख कार्य:
- जैव-भू-रासायनिक प्रक्रियाओं की समझ: सुपरग्लेशियल वातावरण (Supraglacial Environments) में जैव-भू-रासायनिक प्रक्रियाओं की समझ हेतु पूर्वी अंटार्कटिका के लार्समैन हिल्स (Larsemann Hills, East Antarctica) की झीलों में क्षेत्र-आधारित अध्ययन आयोजित किये गए थे।
- इंडआर्क प्रणाली: हाइड्रोफोन प्रणाली (Hydrophone System) के साथ इंडआर्क मूरिंग सिस्टम (IndARC Mooring System) को कोंग्सफजॉर्डन, स्वालबार्ड में सफलतापूर्वक पुनः तैनात किया गया।
- हिमालय में अनुसंधान अध्ययन: पश्चिमी हिमालय के लाहौल-स्पीति क्षेत्र के चंद्रा बेसिन में छह बेंचमार्क ग्लेशियरों में हिमनद संबंधी क्षेत्र अभियान चलाए गए।
- हिमपात के गड्ढों और बर्फ के कोनों का उपयोग करके हिमनदों पर शीतकालीन हिम संचय दर्ज किया गया था।
- स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS) सिस्टम: चंद्रा बेसिन में बुनियादी ढांँचे को मज़बूत करने हेतु शुष्क स्पीति क्षेत्र (Arid Spiti Region) में एक उच्च ऊंँचाई स्थल, बारालाचा ला में दो नए स्वचालित मौसम स्टेशन (Automatic Weather Station- AWS) सिस्टम स्थापित किये गए थे।
- दक्षिणी महासागर अभियान: 11वें हिंद दक्षिणी महासागर अभियान को सफलतापूर्वक संचालित किया गया।
नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR) क्या है?
- यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
- इसके दायित्वों में शामिल हैं:
- भारतीय अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र- ‘मैत्री’ और ‘भारती’ तथा भारतीय आर्कटिक बेस ‘हिमाद्री’ का प्रबंधन और उनका रखरखाव करना।
- मंत्रालय के महासागर अनुसंधान वाहन- ‘सागर कन्या’ के साथ-साथ मंत्रालय द्वारा चार्टर्ड अन्य अनुसंधान जहाज़ों का प्रबंधन करना।
- ‘सागर कन्या’ तकनीकी रूप से उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों और संबंधित सुविधाओं से लैस एक बहुमुखी महासागर अवलोकन प्लेटफाॅर्म है।
- अंटार्कटिक, आर्कटिक और दक्षिणी महासागर के हिंद महासागर क्षेत्र में कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं संगठनों द्वारा की जा रही वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों में एक समुचित भूमिका निभा रहा है।
- देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ के भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षणों, अंतर्राष्ट्रीय महासागर खोज कार्यक्रम (IODP) के माध्यम से अरब सागर बेसिन में गहरे समुद्र में ड्रिलिंग, महासागर में गैर-जीवित साधनों की खोज, मध्य-महासागर पर्वतमाला (Mid-ocean Ridge) में गैस हाइड्रेट और बहु-धातु सल्फाइड जैसे संसाधनों की खोज में अग्रणी भूमिका अदा करना।
- इसका मुख्यालय गोवा में स्थित है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की अन्य प्रमुख पहलें:
- इंडआर्क (IndARC)
- महासागर सेवा, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट) योजना
- एक्रॉस योजना
भारत के आर्कटिक मिशन क्या हैं?
- भारत ने वर्ष 2007 में आर्कटिक महासागर में अपना पहला वैज्ञानिक अभियान शुरू किया था।
- भारत ने ग्लेशियोलॉजी, वायुमंडलीय विज्ञान और जैविक विज्ञान जैसे विषयों में अध्ययन करने के लिये जुलाई 2008 में स्वालबार्ड, नॉर्वे में "हिमाद्री" नामक एक शोध केंद्र खोला था।
भारत के अंटार्कटिक मिशन:
- भारत आधिकारिक तौर पर 1 अगस्त, 1983 को अंटार्कटिक संधि प्रणाली में शामिल हुआ।
- 12 सितंबर, 1983 को भारत अंटार्कटिक संधि का पँद्रहवाँ सलाहकार सदस्य बना।
- भारत अंटार्कटिक में अपने बुनियादी ढाँचे के विकास का विस्तार कर रहा है।
- वर्ष 2015 में प्रमाणित नवीनतम बेस स्टेशन भारती है।
- भारत अपने स्टेशन मैत्री का पुनर्निर्माण कर रहा है, ताकि इसके आकार में वृद्धि कर इसे कम-से-कम 30 वर्षों से अधिक समय तक चलने योग्य बनाया जा सके।
- दक्षिण गंगोत्री वर्ष 1984 में स्थापित पहला भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान बेस स्टेशन था, जो अब क्षतिग्रस्त हो गया है तथा इसका उपयोग सिर्फ आपूर्ति के केंद्र के रूप में किया जाता है।
- सागर निधि: वर्ष 2008 में भारत ने शोध के लिये सागर निधि की स्थापना की।
- एक आइस-क्लास पोत, अंटार्कटिक जल को नेविगेट करने वाला पहला भारतीय पोत जो 40 सेमी. गहराई की पतली बर्फ को काट सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त में से कौन-से 'आर्कटिक परिषद' के सदस्य हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (d)
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