दिल्ली में ओज़ोन प्रदूषण की समस्या | 29 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, ओज़ोन (Ozone) से होने वाले प्रदूषण के मामले में NCR के शहरों (गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, नोएडा और गाज़ियाबाद) के बीच दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा है।\

प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार

  • वर्ष 2016 से 2018 के बीच दिल्ली में कम-से-कम 95 दिन ऐसे रहे जब ‘ओज़ोन’, शहर के वातावरण में प्रदूषण का मुख्य कारण रहा।
  • दिल्ली की तुलना में नोएडा ने 49, गुरुग्राम ने 48, फ़रीदाबाद ने 11 और गाज़ियाबाद ने 8 ऐसे ही दिनों का सामना किया।

Ojone pollution

  • वर्ष 2019 में 31 मार्च तक दिल्ली को कुल 23 ऐसे दिन को सामना करना पड़ा जब ओज़ोन की अधिकता थी, वहीं इस वर्ष ओज़ोन की अधिकता के मामले में फ़रीदाबाद ऐसे 55 दिनों के साथ शीर्ष पर रहा है। इसके अतिरिक्त गुरुग्राम और गाज़ियाबाद ने भी इस प्रकार के कुछ दिनों का सामना किया।
  • नोएडा एक मात्र ऐसा शहर है जहाँ अभी तक ऐसा कोई दिन नहीं रहा है जब ओज़ोन प्रदूषण का कारण रहा हो।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत प्रदूषण का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी ‘SAFAR’ बीते कई हफ़्तों से ओज़ोन प्रदूषण के संदर्भ में चेतावनी जारी कर रही है।

वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) :

  • वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली की शुरुआत जून 2015 में दिल्ली और मुंबई के लिये की गई थी।
  • इस प्रणाली के ज़रिये अग्रिम तीन दिनों के लिये वायु प्रदूषण (स्थान-विशेष) का अनुमान लगाने के साथ ही लोगों को आवश्यक परामर्श देना संभव हो पाया है।
  • यह प्रणाली लोगों को उनके पास के निगरानी स्टेशन पर हवा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके अनुसार उपाय अपनाने का फैसला लेने में मदद करती है।
  • 'सफर' (SAFAR) के माध्यम से लोगों को वर्तमान हवा की गुणवत्ता, भविष्य में मौसम की स्थिति, खराब मौसम की सूचना और संबद्ध स्वास्थ्य परामर्श के लिये जानकारी तो मिलती ही है, साथ ही पराबैंगनी/अल्ट्रा वायलेट सूचकांक (Ultraviolet Index) के संबंध में हानिकारक सौर विकिरण (Solar Radiation) के तीव्रता की जानकारी भी मिलती है।

ओज़ोन प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • ओज़ोन के अंत:श्वसन पर सीने में दर्द, खाँसी और गले में दर्द सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • इसके कारण साँस से संबंधी होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।
  • इससे फेफड़ों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और ओज़ोन के बार-बार संपर्क में आने से फेफड़ों के ऊतक स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते है।
  • सतही ओज़ोन वनस्पति और पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुँचाती है।

निष्कर्ष

उपरोक्त तथ्यों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि ओज़ोन मानव स्वास्थ्य के लिये कितनी ज्यादा हानिकारक है। ओज़ोन प्रदूषण लगातार हमारे वायुमंडल में अपने पैर पसरता जा रहा है और हमारे पास अब तक ओज़ोन प्रदूषण और मृत्यु दर के बीच संबंध ज्ञात करने ली लिये कोई निश्चित पद्धति भी नहीं है। ओज़ोन प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये इस विषय पर अधिक-से-अधिक अनुसंधान और महत्त्वपूर्ण सुरक्षा उपाय अपनाने की आवश्यकता है।

स्रोत : हिन्दुस्तान टाइम्स