शासन व्यवस्था
अधिकांश भारतीय स्वास्थ्य बीमा की सुविधा से वंचित
- 03 Aug 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना मेन्स के लिये:स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों से संबंधित प्रश्न |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (National Sample Survey- NSS) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 80% से अधिक भारतीयों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं हैं।
प्रमुख बिंदु:
- NSS के 75वें दौर के सर्वेक्षण के तहत देश में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति और रुग्णता पर चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं।
- इस सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 85.9% और शहरी क्षेत्रों में 80.9% लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं हैं।
- इस सर्वेक्षण में सरकारी और निजी बीमा सेवा प्रदाताओं से जुड़ी जानकारी को शामिल किया गया था।
- NNS का नवीनतम/पिछला सर्वेक्षण 2017 और जून 2018 के बीच संचालित किया गया था।
- इस सर्वेक्षण में देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से लगभग 5.5 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया था।
चिंता का कारण:
- हाल के वर्षों में अधिक-से-अधिक लोग निजी स्वास्थ्य सेवा का उपयोग कर रहे हैं जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की तुलना में काफी महँगी है।
- लोगों तक सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सरकार द्वारा सार्वभौमिक बीमा कवरेज से जुड़ी योजनाएँ शुरू की गई हैं।
अन्य आँकड़ें:
- NSS के हालिया आँकड़ों के अनुसार, अधिकांश (लगभग 55%) भारतीय, स्वास्थ्य सेवाओं के लिये निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भर हैं।
- इस सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से केवल 42% लोग ही इलाज के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर गए।
- स्वास्थ्य केंद्र का चुनाव: ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 52% लोग ने इलाज के लिये निजी अस्पतालों और लगभग 46% लोगों ने सार्वजनिक अस्पतालों का विकल्प चुना।
- शहरी क्षेत्रों में केवल 35% लोग ही ऐसे थे जिन्होंने सार्वजनिक अस्पतालों का विकल्प चुना।
- सरकारी योजनाओं की पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य से जुड़ी सरकार की योजनाओं से लगभग 13% लोगों को लाभ हुआ जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आँकड़ा मात्र 9% ही रहा।
- इस सर्वेक्षण में ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (Pradhan Mantri Jan Aarogya Yojana- PMJAY) को शामिल नहीं किया गया था, क्योंकि इस योजना को 23 सितंबर, 2018 को लॉन्च किया गया था, जबकि यह सर्वेक्षण जून 2017 में ही शुरू हो चुका था।
औसत चिकित्सा व्यय:
- इस सर्वेक्षण के अनुसार, एक ग्रामीण परिवार वार्षिक रूप से अस्पताल में लगभग 16,676 रुपए खर्च करता है, जबकि एक शहरी भारतीय के लिये यह खर्च 26,475 रुपए है।
- इस सर्वेक्षण में पाया गया कि निजी अस्पतालों का औसत चिकित्सा व्यय सार्वजनिक अस्पतालों की तुलना में 6 गुना है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, सार्वजनिक अस्पतालों में मरीज़ को भर्ती करने का औसत व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 4,290 रुपए है जबकि शहरी क्षेत्रों के लिये यह 4,837 रुपए है।
- जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के निजी अस्पतालों के लिये यह खर्च औसतन 27,347 रूपए और शहरी क्षेत्र के निजी अस्पतालों के लिये 38,822 रुपए है।
प्रभाव:
- स्वास्थ्य बीमा की अनुपस्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं के महँगे होने के कारण भारतीयों को अपने परिवार के स्वास्थ्य खर्च को पूरा करने के लिये अपनी बचत या ऋण पर निर्भर रहना पड़ता है।
- इस सर्वेक्षण के अनुसार, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80% परिवार अपने स्वास्थ्य खर्च को पूरा करने के लिये अपनी बचत जबकि लगभग 13% लोग विभिन्न स्रोतों से प्राप्त ऋण पर निर्भर करते हैं।
- शहरी क्षेत्रों में लगभग 84% लोग स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों के लिये अपनी बचत जबकि लगभग 9% लोग ऋण पर निर्भर हैं।
कारण:
- देश की अधिकांश आबादी तक स्वास्थ्य बीमा सुविधाओं की पहुँच न होने में सरकारी नीतियों की असफलता के साथ एक बड़ा कारण अशिक्षा और रोज़गार भी है।
- वर्तमान में भी देश में कामगारों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्य करता है, ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों तक श्रमिकों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं के साथ स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएँ नहीं मिल पाती है।
- पूर्व में सरकार की नीतियों और योजनाओं के क्रियान्वयन की कमियों के चलते स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को ज़रूरतमंद लोगों तक नहीं पहुँचाया जा सका।
आगे की राह:
- केंद्र सरकार के अनुसार, इस सर्वेक्षण के बाद PMJAY जैसी योजनाओं के कारण लोगों तक स्वास्थ्य बीमा सुविधाओं की पहुँच में सुधार हुआ है।
- अधिक-से-अधिक औद्योगिक इकाइयों और व्यवसायों को संगठित क्षेत्र से जोड़कर एक बड़ी आबादी तक स्वास्थ्य बीमा की पहुँच सुनिश्चित की जा सकती है।
- सरकार को बिना न्यूनतम आय सीमा की बाध्यता सभी लोगों को कम दरों पर स्वास्थ्य बीमा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु योजनाओं की शुरुआत करनी चाहिये।
- COVID-19 महामारी ने देश की स्वास्थ्य सेवा की कमियों को उजागर किया है, अतः सरकार को इस महामारी से सीख लेते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में आवश्यक सुधार करने चाहिये।