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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इस्लामिक सहयोग संगठन और भारत

  • 17 Feb 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

मेन्स के लिये:

भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, एक संगठन के रूप में OIC के साथ भारत का संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने कर्नाटक हिजाब विवाद के बीच इस्लामिक सहयोग संगठन के सांप्रदायिक विचारों के कारण इसकी आलोचना की है।

OIC और भारत के बीच हालिया विवाद:

  • OIC का कथन: मुस्लिम छात्राओं को कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब नहीं पहनने के लिये कहे जाने के मुद्दे पर OIC ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से "आवश्यक उपाय" अपनाने का आह्वान किया है। 
    • OIC ने भारत से आग्रह किया कि वह "मुस्लिम समुदाय की जीवन-शैली के तरीकों की रक्षा करते हुए उनकी सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करे”।
  • भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने कहा कि वह एक लोकतांत्रिक देश है और देश के भीतर मुद्दों को संवैधानिक ढाँचे और तंत्र के साथ-साथ लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के अनुसार हल किया जाता है।

इस्लामिक सहयोग संगठन:

  • परिचय:
    • कुल 57 देशों की सदस्यता के साथ यह संयुक्त राष्ट्र (UN) के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
    • यह संगठन दुनिया भर में मुस्लिम जगत की सामूहिकता का प्रतिनिधित्व करता है।
      • यह दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों के बीच अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देने के साथ ही दुनिया के मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा एवं संरक्षण का प्रयास करता है।
    • इसका गठन सितंबर 1969 में मोरक्को के रबात में हुए ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के दौरान किया गया था, जिसका लक्ष्य वर्ष 1969 में एक 28 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई द्वारा येरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद में आगजनी की घटना के बाद इस्लामीक मूल्यों को सुरक्षा प्रदान करना था। 
    • मुख्यालय: जेद्दाह (सऊदी अरब)

OIC

OIC के साथ भारत के संबंध:

  • दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुस्लिम समुदाय वाले देश के रूप में भारत को वर्ष 1969 में रबात में संस्थापक सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के इशारे पर अपमानजनक तरीके से भारत को बाहर कर दिया गया।
  • भारत कई कारणों से अब तक इस संगठन से दूर रहा:
    • भारत एक ऐसे संगठन में शामिल नहीं होना चाहता था जो धर्म के आधार पर गठित किया गया हो।
    • साथ ही ज़ोखिम था कि सदस्य देशों के साथ व्यक्तिगत तौर पर द्विपक्षीय संबंधों में सुधार से वह एक समूह के दबाव में आ जाएगा, खासकर कश्मीर जैसे मुद्दों पर।
  • वर्ष 2018 में विदेश मंत्रियों के शिखर सम्मेलन के 45वें सत्र में मेज़बान बांग्लादेश ने सुझाव दिया कि भारत, जहाँ दुनिया के 10% से अधिक मुसलमान रहते हैं, को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया जाना चाहिये, लेकिन पाकिस्तान द्वारा प्रस्ताव का विरोध किया गया।
  • संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे शक्तिशाली सदस्यों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के बाद भारत समूह के किसी भी बयान पर भरोसा करने के लिये आश्वस्त है।
    • भारत ने लगातार इस बात को रेखांकित किया है कि जम्मू-कश्मीर "भारत का अभिन्न अंग है और यह भारत का आंतरिक मामला है" तथा इस मुद्दे पर OIC का कोई अधिकार नहीं है।
  • वर्ष 2019 में भारत ने OIC के विदेश मंत्रियों की बैठक में "गेस्ट ऑफ ऑनर" के रूप में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की।
    • इस पहले निमंत्रण को भारत के लिये एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया, विशेष रूप से ऐसे समय में जब पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ गया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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