जैविक हल्दी | 14 Jan 2020
प्रीलिम्स के लिये:जैविक हल्दी की कृषि से संबंधित क्षेत्र मेन्स के लिये:जैविक कृषि तथा उसके लाभ |
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में ओडिशा के मलकानगिरी ज़िला प्रशासन ने जैविक हल्दी को एक लाभदायक नकदी फसल के रूप में बढ़ावा देकर क्षेत्र के आदिवासियों को अवैध मादक पदार्थ (मारिजुआना) की कृषि से मुक्त करने के लिये इसे एक परियोजना के रूप में प्रारंभ किया है।
प्रमुख बिंदु:
- ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले के स्वाभिमान अंचल के दूरदराज के क्षेत्रों में अवैध मादक पदार्थ (मारिजुआना) की कृषि को स्थानांतरित कर वहाँ जैविक हल्दी की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- इस क्षेत्र में संचार व्यवस्था की कमी तथा अत्यधिक गरीबी के कारण मारिजुआना की अवैध रूप से कृषि की जा रही थी।
- मलकानगिरी ज़िला प्रशासन द्वारा वर्ष 2019 में किये गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इस क्षेत्र में लगभग सभी आदिवासी परिवार अपने उपभोग के लिये हल्दी की कृषि कर रहे हैं।
- लेकिन उपयुक्त जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद व्यावसायिक रूप से इसकी कृषि नहीं की गई है ।
- सर्वेक्षण के अनुसार ऐसी परिस्थिति में आदिवासियों के आर्थिक विकास तथा मारिजुआना की कृषि के विकल्प के तौर पर जैविक हल्दी की कृषि को एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- सर्वेक्षण के अनुसार प्रति एकड़ जैविक हल्दी की कृषि से 70,000 से 80,000 रूपए की आय प्राप्त की जा सकती है।
- जैविक हल्दी की कृषि के प्रति इच्छुक किसान पहले ही वैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिये अपना पंजीकरण करा चुके हैं।
जैविक कृषि (Organic Farming)
- जैविक कृषि से अभिप्राय कृषि की ऐसी प्रणाली से है, जिसमें रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग न कर उसके स्थान पर जैविक खाद या प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जाए।
- यह कृषि की एक पारंपरिक विधि है, जिसमें भूमि की उर्वरता में सुधार होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है।
- जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने से धारणीय कृषि, जैव विविधता संरक्षण आदि लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रशिक्षण देना महत्त्वपूर्ण है।
जैविक कृषि के लाभ:
- जैविक कृषि पद्धति को अपनाने से यह कृषि में कीटनाशकों के उपयोग को कम कर देगा जिससे खेतों में काम करने वाले लोगों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव बहुत कम पड़ेगा।
- कृषि में जैविक पद्धतियों को अपनाने से किसानों की आय और लाभप्रदता दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिन किसानों ने भी इसे अपनाया है उनकी कृषि उत्पादकता में भारी वृद्धि हुई है।
- इसके साथ ही कृषि भूमि की उर्वरता और उत्पादकता भी बढ़ रही है।
- भारत में जैविक कृषि की सफलता प्रशिक्षण और प्रमाणन पर निर्भर करती है। किसानों को त्वरित गति से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम कर अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा।
- किसानों को उर्वर मिट्टी के निर्माण, कीट प्रबंधन, अंतर-फसल और खाद एवं कम्पोस्ट निर्माण जैसे पहलुओं पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
- पर्यावरण संबंधी लाभ के साथ-साथ स्वच्छ, स्वस्थ, गैर-रासायनिक उपज किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिये लाभदायक है। जैविक कृषि भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।