भारत में जैविक कृषि: दशा व दिशा | 01 Sep 2020
प्रिलिम्स के लियेजैविक कृषि, एक ज़िला-एक उत्पाद योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, जैविक उत्पादन के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम मेन्स के लियेजैविक कृषि से होने वाले लाभ और उसका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण पूरे विश्व में बेहतर स्वास्थ्य व सुरक्षित भोजन की मांग में वृद्धि हुई है। भारत जैविक कृषकों की संख्या के मामले में प्रथम तथा जैविक कृषि क्षेत्रफल के मामले में 9वें स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- सिक्किम पूरी तरह से जैविक कृषि अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। त्रिपुरा और उत्तराखंड राज्य भी इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में प्रयास कर कर रहे हैं।
जैविक कृषि:
- जैविक कृषि (ऑर्गेनिक फार्मिंग) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग किया जाता है तथा जिसमें भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है।
- जैविक कृषि में मिट्टी, पानी, रोगाणुओं और अपशिष्ट उत्पादों, वानिकी और कृषि जैसे प्राकृतिक तत्त्वों का एकीकरण शामिल है।
जैविक कृषि के उद्देश्य:
- यह कृषि-आधारित उद्योग के लिये भोजन और फीडस्टॉक की बढ़ती आवश्यकता के कारण प्राकृतिक संसाधनों के सतत् उपयोग के लिये आदर्श पद्धति है।
- यह सतत् विकास लक्ष्य-2 के अनुरूप है जिसका उद्देश्य 'भूख को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना और बेहतर पोषण और कृषि को बढ़ावा देना' है।
भारत में जैविक कृषि की संभावना:
- उत्तर-पूर्व भारत पारंपरिक रूप से जैविक कृषि के अनुकूल रहा है और यहाँ रसायनों की खपत देश के बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत कम है।
- वर्तमान सरकार द्वारा जनजातीय और द्वीपीय क्षेत्रों में भी कृषि के जैविक तरीकों को आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
- भारत वैश्विक ‘जैविक बाज़ारों’ में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है। भारत से प्रमुख जैविक निर्यातों में सन बीज, तिल, सोयाबीन, चाय, औषधीय पौधे, चावल और दालें रहे हैं।
- वर्ष 2018-19 में विगत वर्ष की तुलना में 50% की वृद्धि के साथ जैविक निर्यात लगभग 5151 करोड़ रुपए रहा है।
सरकार की पहल
‘मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन’ (MOVCD):
- मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCD-NER) एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना (CSS) है। यह सतत् कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन (NMSA) के तहत एक उप-मिशन है।
- इसे वर्ष 2015 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्यों में प्रारंभ किया गया था।
- यह योजना जैविक उत्पादन का 'प्रमाण' प्रदान करने ग्राहकों में उत्पाद के प्रति विश्वास पैदा करने के दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ (PKVY):
- परंपरागत कृषि विकास योजना को वर्ष 2015 में प्रारंभ किया गया था जो 'सतत् कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन' (NMSA) के उप मिशन ‘मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन’ (Soil Health Management- SHM) का एक प्रमुख घटक है।
- PKVY के तहत जैविक कृषि में 'क्लस्टर दृष्टिकोण' और 'भागीदारी गारंटी प्रणाली' (Participatory Guarantee System- PGS) प्रमाणन के माध्यम से 'जैविक ग्रामों' के विकास को बढ़ावा दिया जाता है।
- ‘भागीदारी गारंटी प्रणाली’ (Participatory Guarantee System-PGS) और ‘जैविक उत्पादन के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम’ (National Program for Organic Production- NPOP) के तहत प्रमाणन को बढ़ावा दे रही हैं।
एक ज़िला- एक उत्पाद योजना:
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर विशेष उत्पादों की अधिक दृश्यता और बिक्री को प्रोत्साहित करना है, ताकि ज़िला स्तर पर रोज़गार पैदा हो सके।
- एक ज़िला- एक उत्पाद (One district - One product) योजना ने छोटे और सीमांत किसानों को जैविक कृषि के बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में मदद की है।
जैविक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म:
- जैविक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म www.jaivikkheti.in को सीधे खुदरा विक्रेताओं के साथ-साथ थोक खरीदारों के साथ जैविक किसानों को जोड़ने की दिशा में कार्य कर रहा है।
निष्कर्ष:
- भारत में प्राकृतिक खेती कोई नई अवधारणा नहीं है। अत: अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन में उत्पादकों की अधिक जागरूकता और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने से भारतीय जैविक किसान जल्द ही वैश्विक कृषि व्यापार में प्रमुख भूमिका निभाने में सक्षम होंगें।