लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सोशल मीडिया पर अस्पष्ट सेंसरशिप

  • 12 Oct 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

छाया निलंबन (Shadow-banning), सूचना तकनीक अधिनियम, 2000

मेन्स के लिये:

सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 69(A)

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने प्रसिद्ध सोशल मीडिया साइट ट्विटर से जून 2018 से लेकर दिसंबर 2018 तक की सामग्री हटाने के लिये 657 कानूनी मांगें रखी हैं। कुल मिलाकर 2228 ट्विटर अकाउंट्स की रिपोर्ट की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • सोशल मीडिया साइट ट्विटर के अनुसार, भारत ट्विटर से सामग्री हटाने की क़ानूनी मांग करने वाला चौथा सबसे बढ़ा देश है।
  • ट्विटर रिकॉर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) के अनुरोध पर सूचना तकनीकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (ए) के उल्लंघन के तहत सामग्री को हटाने की मांग के लिये उपयोगकर्त्ताओं को नोटिस भी दिये गए थे।
  • परंतु कई उदाहरणों में निलंबन से पहले उपयोगकर्त्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया। वे ट्विटर अकाउंट्स तब बहाल होते हैं जब उपयोगकर्त्ता उनसे अपील करता है कि यदि उनके भविष्य के व्यवहार से ट्विटर के नियमों का उल्लंघन होता है तो उनका स्थायी निलंबन किया जा सकता है।
  • धारा 370 हटाने के समय तथा लोकसभा चुनाव के दौरान कई क़ानून प्रवर्तन संस्थाओं ने विभिन्न ट्विटर अकाउंट् को ‘शैडो बैनिंग’ के ज़रिये निलंबित करने की अपील की।

क्या है शैडो बैनिंग?

एक ऑनलाइन समुदाय या सोशल मीडिया साइट से किसी उपयोगकर्त्ता को संज्ञान में लिये बिना उसकी सामग्री को उसके अकाउंट से आंशिक रूप से हटाने तथा उन्हें प्रतिबंधित करने का कार्य छाया निलंबन (शैडो बैनिंग) कहलाता है।

Under Watch

सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 69(A):

(Section 69(A) of IT ACT, 2000)

  • संसद ने वर्ष 2000 में सूचना तकनीक अधिनियम पारित किया और फिर इसे वर्ष 2008 व 2009 में संशोधित किया गया।
  • वर्ष 2019 में भी सरकार ने साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिये IT ACT 2000 की धारा 69(A) में संशोधन किया। इसके तहत सरकार ने 10 एजेंसियों को यह अधिकार दिया है कि वे किसी भी कंप्यूटर की पड़ताल कर सकती हैं, उनका डेटा निकाल सकती हैं और अन्य जानकारियाँ हासिल कर सकती हैं।
  • गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 10 केंद्रीय एजेंसियों को यह अधिकार मिला है कि वे किसी भी कंप्यूटर संसाधन में तैयार, पारेषित, प्राप्त या भंडारित किसी भी प्रकार की सूचना की जाँच, सूचना को इंटरसेप्ट करने, सूचना की निगरानी और इसे डिक्रिप्ट कर सकती हैं। इन 10 केंद्रीय एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व आसूचना निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी, मंत्रिमंडल सचिवालय (रॉ), सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के सेवा क्षेत्रों के लिये) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली शामिल हैं।
  • गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के सेक्शन 69 (1) के तहत एक आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा एवं शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज़ से ज़रूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जाँच के लिये आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इज़ाज़त दे सकती है।
  • यदि संबंधित संस्था या व्यक्ति एजेंसियों की मदद नहीं करता है तो वह सज़ा का पात्र होगा और इसमें सात साल तक के जेल की सज़ा का प्रावधान भी है।

स्रोत-द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2