सामाजिक न्याय
केरल में आधिकारिक तौर पर ‘ट्रांसजेंडर’ शब्द के प्रयोग की घोषणा
- 03 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
केरल सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा की है कि सभी प्रकार के सरकारी संवादों में ’अदर जेंडर’ (Other Gender) या ‘थर्ड जेंडर’ (Third Gender) के स्थान पर केवल ट्रांसजेंडर (Transgender) शब्द का प्रयोग किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- केरल सरकार द्वारा जारी ने एक आदेश में कहा गया है कि ट्रांसजेंडरों को ’तीसरे लिंग’ या अन्य लिंग अथवा भिन्न लिंग अभिविन्यास वाले लोगों’ [भिन्नलैंगिकम्] के रूप में संबोधित नहीं किया जाना चाहिये।
- इससे पहले सरकारी फॉर्मों और दस्तावेज़ो में दिये गए लैंगिक वरीयता क्रम में पुरुष, महिला और अन्य/तीसरे लिंग का जिक्र किया जाता था।
- सरकार के अनुसार, सभी आधिकारिक संचार/संवाद में ट्रांसजेंडर शब्द का उपयोग तब तक किया जाएगा जब तक कि इसके समतुल्य कोई अन्य शब्द न मिल जाए क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
- उल्लेखनीय है कि ट्रांसजेंडर शब्द का इस्तेमाल करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी क्योंकि 'अन्य' या 'थर्ड जेंडर' का प्रयोग ट्रांसजेंडरों को अपमान के समान लगता है।
ट्रांसजेंडर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- सर्वोच्च न्यायालय के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority-NALSA) ने अपने निर्णय में कहा है कि ट्रांसजेंडर शब्द व्यापक तौर पर प्रयोग किया जाता है और इसमें कई लोग शामिल हैं, जिसमें हिजड़ा एवं किन्नर’ और मध्यलिंगी भिन्नताओं (Intersex Variations) जैसी सांस्कृतिक पहचान को भी शामिल किया गया हैं। अतः ‘अन्य' जैसे विकल्प का उपयोग करने की आवश्यकता ही नहीं है।
पृष्ठभूमि
- ट्रांसजेंडर सेल ने केरल सरकार को उन शब्दों की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिनका सरकारी संचार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को संदर्भित करने के लिये उपयोग किया जा रहा था।
- ट्रांसजेंडर सेल के अनुसार, सरकारी दस्तावेज़ जैसे-बजट रिपोर्ट या प्लान बुक सभी में दूसरे या तीसरे लिंग शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
ट्रांसजेंडर सेल (Transgender Cell)
- ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उनके अधिकारों को संरक्षित करने के उद्देश्य से केरल सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने फरवरी 2018 में ट्रांसजेंडर सेल की स्थापना की।
- ट्रांसजेंडर सेल का मुख्य लक्ष्य राज्य ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड (State Transgender Justice Board) और ज़िला ट्रांसजेंडर न्याय समितियों (District Transgender Justice Committees) के कामकाज में सहायता प्रदान करना है।
निष्कर्ष
- ट्रांसजेंडर के संदर्भ में तृतीय या भिन्न का प्रयोग आपत्तिजनक है क्योंकि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि बाकी दो लिंग सामान्य हैं, इसके कारण ट्रांसजेंडर स्वयं को हाशिये पर महसूस करते हैं। ऐसे में केरल सरकार का आदेश उनके प्रतिनिधित्त्व को बढ़ावा देता है। अतः आधिकारिक संचार में ट्रांसजेंडर शब्द का उपयोग करने पर कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिये। ट्रांसजेंडर एक लैंगिक पहचान है और इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिये।