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कृषि ऋण में छूट के कारण हो रहा ग्रामीण विकास : रिपोर्ट

  • 16 Jul 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ज़ारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों की मांग (कृषि संबंधी बड़े उपकरण आदि) में वृद्धि कृषि ऋण में छूट से प्रेरित होती है संभवतः ग्रामीण आय और मज़दूरी में वास्तविक वृद्धि के कारण नहीं, यह इस बात का संकेत है कि अर्थव्यवस्था अभी भी पूर्ण ग्रामीण पुनरुत्थान से कुछ पीछे है।

प्रमुख बिंदु

  • हाल के महीनों में ग्रामीण मांग में वृद्धि हुई है, रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि का कारण ट्रैक्टर जैसे बड़े सामानों की बिक्री तथा उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों की नवीनतम कॉर्पोरेट आमदनी है। 
  • नवीनतम नीलसन आँकड़ों के अनुसार, मार्च तक की तिमाही में 13.5% की वृद्धि के साथ ग्रामीण विकास ने शहरी मांग को आगे बढ़ाया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि 2016 की नोट-बंदी और GST बाधाओं के चलते ग्रामीण मांग में कमी आई थी लेकिन ऋण में दी गई छूट के कारण वर्तमान में इस मांग में वृद्धि हुई है।
  • 2009 में इसी तरह की घटना देखी गई थी जब तत्कालीन सरकार ने कृषि ऋण माफ कर दिया था और ट्रैक्टर की बिक्री में 30% की वृद्धि हुई थी।

कृषि ऋण में छूट राजनीतिक हथियार 

  • कई बड़े राज्यों ने पिछले साल कृषि ऋण में छूट देने की घोषणा की  क्योंकि किसान आत्महत्या एक बड़ा राजनीतिक विषय बन गया है।
  • हाल ही में कर्नाटक कृषि ऋण में छूट देने वाला नवीनतम राज्य बना इससे पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों ने कृषि ऋण में छूट दी है। 

नीलसन के बारे में

  • नीलसन एक वैश्विक मापक और डेटा विश्लेषक कंपनी है जो दुनिया भर में उपभोक्ताओं और बाज़ारों के सबसे भरोसेमंद और पूर्ण आँकड़े प्रदान करती है।
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