वन वाटर एप्रोच | 14 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:ग्रे इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, बाढ़ संरक्षण, जलभृत पुनर्भरण/एक्वीफर रिचार्ज, एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन। मेन्स के लिये:वन वाटर एप्रोच और इसकी आवश्यकता क्यों है। |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2050 तक चार अरब लोग जल की कमी से गंभीर रूप से प्रभावित होंगे, जिससे जल के सभी स्रोतों की ओर वन वाटर एप्रोच को बढ़ावा मिलेगा।
वन वाटर एप्रोच:
- परिचय:
- वन वाटर एप्रोच जिसे एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) के रूप में भी जाना जाता है, यह मानता है कि जल मूल्यवान है, चाहे उसका स्रोत कुछ भी हो।
- इसमें पारिस्थितिक और आर्थिक लाभ के लिये समुदायों, व्यापारी, उद्योगों, किसानों, संरक्षणवादियों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और अन्य को शामिल करके एकीकृत, समावेशी, टिकाऊ तरीके से उस स्रोत का प्रबंधन करना शामिल है।
- यह समुदाय और पारिस्थितिकी तंत्र की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये दीर्घकालिक लचीलापन और विश्वसनीयता हेतु सीमित जल संसाधनों के प्रबंधन के लिये एकीकृत योजना एवं कार्यान्वयन दृष्टिकोण है।
- वन वाटर एप्रोच जल उद्योग के भविष्य के लिये आवश्यक है, जब पारंपरिक रूप से अपशिष्ट जल, वर्षा जल, पेयजल, भूजल और इनके पुन: उपयोग को बाधित करने वाली बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं और जल का अनेक लाभों के साथ उपयोग किया जा सकता है।
- वन वाटर एप्रोच जिसे एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) के रूप में भी जाना जाता है, यह मानता है कि जल मूल्यवान है, चाहे उसका स्रोत कुछ भी हो।
- विशेषताएँ:
- संपूर्ण जल मूल्यवान है: इस बात को ध्यान में रखना आवश्यक है कि हमारे पारिस्थितिक तंत्र में मौजूद जल संसाधनों से लेकर पीने हेतु जल, अपशिष्ट जल और वर्षा जल आदि संपूर्ण जल मूल्यवान है ।
- बहुआयामी दृष्टिकोण: जल से संबंधित निवेश आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ प्रदान करना चाहिये।
- वाटरशेड-स्केल थिंकिंग एंड एक्शन का उपयोग: इसके माध्यम से किसी क्षेत्र के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र, भूविज्ञान और जल विज्ञान का प्रबंधन किया जाना चाहिये।
- भागीदारी और समावेशन: वास्तविक प्रगति और उपलब्धियाँ तभी प्राप्त होंगी जब सभी हितधारक एक साथ आगे आकर इस संबंध में निर्णय लेंगे।
- उद्देश्य:
- विश्वसनीय, सुरक्षित, स्वच्छ जल की आपूर्ति
- जलभृत पुनर्भरण
- बाढ़ संरक्षण,
- पर्यावरण प्रदूषण को कम करना
- प्राकृतिक संसाधनों का कुशल और पुन: उपयोग
- जलवायु के लिये लचीलापन
- दीर्घकालिक स्थिरता
- सुरक्षित पेयजल के लिये समानता, सामर्थ्य और पहुँच
- आर्थिक वृद्धि और समृद्धि
वाटर एप्रोच की आवश्यकता:
- क्षेत्रीय जल उपलब्धता, मूल्य निर्धारण और सामर्थ्य में अंतर, आपूर्ति में मौसमी एवं अंतर-वार्षिक भिन्नता, जल की गुणवत्ता तथा मात्रा, संसाधनों की अविश्वसनीयता बड़ी चुनौतियाँ हैं।
- पुराने बुनियादी ढाँचे, आपूर्ति-केंद्रित प्रबंधन, प्रदूषित जल निकाय, खपत और उत्पादन पैटर्न में बदलाव के बाद कृषि और औद्योगिक विस्तार, बदलती जलवायु एवं जल का असमान वितरण भी नई जल तकनीकों को बढ़ावा देता है।
- वैश्विक स्तर पर 31 देश पहले से ही जल की कमी का सामना कर रहे हैं और वर्ष 2025 तक 48 देशों द्वारा गंभीर रूप से जल की कमी का सामना किये जाने की आशंका है।
- जल की कीमत को पहचानना, मापना और व्यक्त करना तथा उसे निर्णय लेने में शामिल करना अभी भी जल की कमी के अलावा एक चुनौती है।
IWRM पारंपरिक जल प्रबंधन से बेहतर:
- पारंपरिक जल प्रबंधन दृष्टिकोण में पेयजल, अपशिष्ट जल और वर्षा जल को अलग-अलग प्रबंधित किया जाता है, जबकि 'वन वाटर' में सभी जल प्रणालियों को स्रोत की परवाह किये बिना जानबूझकर और जल, ऊर्जा तथा संसाधनों के लिये सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जाता हैं।
- आपूर्ति से उपयोग, उपचार और निपटान के लिये एकतरफा मार्ग के विपरीत IWRM में जल का कई बार पुनर्नवीनीकरण और पुन: उपयोग किया जाता है।
- जल की कमी को दूर करने, भूजल को रिचार्ज करने और प्राकृतिक वनस्पति का समर्थन करने के लिये वर्षा के जल का उपयोग एक मूल्यवान संसाधन के रूप में किया जाता है।
- जल प्रणाली में ग्रे और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर का मिश्रण शामिल है जो परंपरागत जल प्रबंधन में ग्रे अवसंरचना की तुलना में एक संकर प्रणाली बनाते हैं।
- ग्रे इंफ्रास्ट्रक्चर से तात्पर्य बाँध, समुद्र सेतु, सड़क, पाइप या जल उपचार संयंत्र जैसी संरचनाओं से है।
- ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राकृतिक प्रणालियों को संदर्भित करता है जिसमें वन, बाढ़ के मैदान, आर्द्रभूमि और मिट्टी शामिल हैं जो मानव कल्याण के लिये अतिरिक्त लाभ प्रदान करते हैं, जैसे बाढ़ सुरक्षा और जलवायु विनियमन।
- उद्योग, एजेंसियों, नीति निर्माताओं, व्यापारियों और विभिन्न हितधारकों के साथ सक्रिय सहयोग 'वन वाटर' एप्रोच में एक नियमित अभ्यास है, जबकि सहभागिता पारंपरिक जल प्रबंधन प्रणालियों में आवश्यकता-आधारित है।
आगे की राह
- संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2021 के अनुसार, जल को उसके सभी रूपों में महत्त्व देने में विफलता को जल के कुप्रबंधन का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
- जल संसाधनों के एक व्यापक, लचीले और टिकाऊ प्रबंधन के लिये सिंगल-माइंडेड और रैखिक जल प्रबंधन से बहु-आयामी एकीकृत जल प्रबंधन दृष्टिकोण, यानी 'वन वाॅटर’ एप्रोच पर ध्यान केंद्रित करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रिलिम्स: Q. 'एकीकृत जलसंभर विकास कार्यक्रम' को कार्यान्वित करने के क्या लाभ हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। मेन्स: Q. भारत के सूखाग्रस्त और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में सूक्ष्म जलसंभर विकास परियोजनांएँ किस प्रकार जल संरक्षण में सहायता करती हैं? (2016) |