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एक सीट एक उम्मीदवार (one seat, one candidate policy)

  • 16 Apr 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा दायर उस हलफनामे का ज़वाब देने के लिये कहा है, जिसमें उम्मीदवारों को कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने से रोकने या एक उम्मीदवार को चुनाव में केवल एक निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने की अनुमति देने के प्रस्ताव का समर्थन किया गया है।

प्रमुख बिंदु

सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका द्वारा भी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 (7) को चुनौती देते हुए इसके अभ्यास को समाप्त करने की मांग की गई है।

 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 (7)
 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 (7) इस अधिनियम की उपधारा 6 में या उसके किन्हीं अन्य उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति - 
(क) लोकसभा के लिये साधारण निर्वाचन की दशा में (चाहे सभी संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों में साथ-साथ निर्वाचन कराए गए हों या नहीं), दो से अधिक संसदीय निवार्चन-क्षेत्रों से;
(ख) राज्य की विधानसभा के लिये साधारण निर्वाचन की दशा में (चाहे सभी विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों में साथ-साथ निर्वाचन कराए गए हों या नहीं), उस राज्य में दो से अधिक विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों से;
(ग) राज्य की विधान परिषद के लिये, जहाँ ऐसी परिषद् है, द्विवार्षिक निर्वाचन की दशा में, उस राज्य में दो से अधिक परिषद निर्वाचन क्षेत्रों से;
(घ) किसी राज्य को आवंटित दो या अधिक स्थानों भरने के लिये राज्यसभा हेतु  द्विवार्षिक निर्वाचन की दशा में, ऐसे दो से अधिक स्थानों को भरने के लिये;
(ङ) दो या अधिक संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों से लोकसभा के लिये उप-निर्वाचनों की दशा में, जो साथ-साथ कराए गए हों, ऐसे दो से अधिक संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों से;
(च) दो या अधिक संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों से राज्य की विधानसभा हेतु उप-निर्वाचनों की दशा में, जो साथ-साथ कराए गए हों, ऐसे दो से अधिक विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों से;
(छ) राज्य को आवंटित दो या अधिक स्थानों को भरने के लिये राज्य सभा के लिये उप-निर्वाचनों की दशा में, जो साथ-साथ कराए गए हों, ऐसे दो से अधिक स्थानों को भरने के लिये; 
(ज) दो या अधिक परिषद निर्वाचन-क्षेत्रों से राज्य की विधान परिषद के लिये, जहाँ ऐसी परिषद है, उप-निर्वाचनों की दशा में, जो साथ-साथ कराए गए हों, ऐसे दो से अधिक  परिषद निर्वाचन क्षेत्रों से, निर्वाचन के लिये अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्देशित नहीं कर सकता।

 उम्मीदवारों को एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने से रोकने के कारण 

  • देश भर के राजनीतिक दलों द्वारा विजय को सुनिश्चित करने के लिये एक से अधिक सीट पर वरिष्ठ नेताओं की उम्मीदवारी की जाती है।
  • यदि वे कई सीटों से चुनाव जीत जाते हैं, तो इन विजयी नेताओं को अन्य सीटों को खाली करने की आवश्यकता होती है और केवल एक ही सीट पर बने रहना होता है।
  • इसका मतलब यह है कि आम चुनावों के पश्चात् आमतौर पर खाली सीटों के लिये पुनः उप-चुनाव कराए जाते हैं। 
  • एक व्यक्ति, एक वोट और एक उम्मीदवार तथा एक निर्वाचन क्षेत्र लोकतंत्र की पूंजी स्वरूप हैं। हालाँकि, मौजूदा कानून के अनुसार एक व्यक्ति एक ही समयावधि में दो चुनाव क्षेत्रों से एक साथ चुनाव लड़ सकता है।
  • जब एक उम्मीदवार दो सीटों से प्रतिस्पर्द्धा करता है, तो यह ज़रूरी है कि उसे जीतने के लिये दो सीटों में से एक को खाली करना होगा। इसके साथ ही, सरकारी खजाने, जनशक्ति और उप-चुनाव कराने के लिये अन्य संसाधनों पर असंबद्ध वित्तीय बोझ के अलावा, यह निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के साथ भी अन्याय है।

चुनावी सुधारों के संबंध में चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम

  • चुनाव आयोग ने चुनावी सुधारों के संबंध में भारत के विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट को संदर्भित किया, जिसमें यह सिफारिश की गई कि मतदाताओं के लिये समय, प्रयास, चुनाव थकान और उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए एक उम्मीदवार को केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में खड़े होने की अनुमति दी जाए।
  • चुनाव आयोग ने जुलाई 2004 में सरकार को चुनावी सुधारों के संबंध में 22 प्रस्तावों का एक सेट भेजा था जिसे विभाग की संबंधित संसदीय स्थायी समिति, लोक शिकायतों, कानून और न्याय की समिति द्वारा परीक्षण हेतु 2005 में राज्यसभा में भेजा गया।
  • 22 प्रस्तावों के इस समूह के प्रस्ताव संख्या 4 में एक व्यक्ति के एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  • यह भी प्रस्तावित किया गया है कि कानून के द्वारा एक व्यक्ति के एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने को प्रतिबंधित किया जाए।
  • चुनाव आयोग ने सुझाव दिया कि एक उम्मीदवार को विधानसभा/विधानपरिषद चुनाव के दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के लिये 5 लाख रुपए तथा आम चुनाव के लिये 10 लाख रुपए जमा करना चाहिये।
  • इस धनराशि का उपयोग उमीदवार द्वारा एक सीट छोड़ने की स्थिति में उप-चुनाव के संचालन के लिये किया जाएगा।
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