शासन व्यवस्था
वन रैंक वन पेंशन (OROP)
- 04 Dec 2024
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना, सर्वोच्च न्यायालय मेन्स के लिये:OROP की मुख्य विशेषताएँ, OROP से संबंधित चुनौतियाँ और इसके निहितार्थ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के कार्यान्वयन की सराहना की। इस योजना को आधिकारिक तौर पर 7 नवंबर 2015 को लागू किया गया था, जिसमें प्राप्त लाभों को 1 जुलाई 2014 से प्रभावी बनाया गया।
- OROP का उद्देश्य सशस्त्र बलों के कार्मिकों को उनके पद एवं सेवा अवधि के आधार पर एक समान पेंशन लाभ प्रदान करना है, जो सेवानिवृत्त सैनिकों तथा उनके परिवारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
OROP क्या है?
- पृष्ठभूमि:
- केपी सिंह देव समिति (1984) ने सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों हेतु स्थापित पेंशन सिद्धांतों के आधार पर 'वन रैंक वन पेंशन' की सिफारिश की थी।
- चौथे केंद्रीय वेतन आयोग ने पेंशन को समान बनाना चुनौतीपूर्ण बताने के साथ इसके लिये बड़े प्रशासनिक प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- पाँचवें केंद्रीय वेतन आयोग ने 'वन रैंक वन पेंशन' का विरोध करते हुए तर्क दिया कि पद की भूमिका एवं योग्यता में परिवर्तन के कारण पेंशनभोगियों को अतिरिक्त लाभ नहीं मिलना चाहिये।
- कैबिनेट सचिव समिति (2009) ने 'वन रैंक वन पेंशन' को अस्वीकार कर दिया लेकिन सेवानिवृत्त लोगों के बीच पेंशन असमानता को कम करने के उपाय सुझाए।
- राज्यसभा याचिका समिति ने सभी सैन्य बल कार्मिकों हेतु 'वन रैंक वन पेंशन' लागू करने की सिफारिश की।
- परिभाषा: OROP यह सुनिश्चित करता है कि एक ही रैंक पर सेवानिवृत्त होने वाले सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों को उनकी सेवानिवृत्ति तिथि की परवाह किये बिना समान पेंशन मिले। उदाहरण के लिये, वर्ष 1980 में सेवानिवृत्त होने वाले जनरल को वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त होने वाले जनरल के समान पेंशन मिलेगी।
- OROP, समान पेंशन वितरण के लिये पूर्व सैनिकों की लंबे समय से चली आ रही मांग को संबोधित करता है, तथा राष्ट्र के प्रति उनके बलिदान और सेवा को मान्यता देता है।
- OROP की मुख्य विशेषताएँ:
- पेंशन का निर्धारण रैंक और सेवा की अवधि के आधार पर किया जाता है, जिससे सेवानिवृत्त लोगों के बीच निष्पक्षता सुनिश्चित होती है, साथ ही उन लोगों को भी सुरक्षा मिलती है जो पहले से ही औसत से अधिक राशि प्राप्त कर रहे हैं।
- पेंशन संशोधन: सेवारत कर्मियों के वेतन और पेंशन में होने वाले बदलावों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक पाँच वर्ष में पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाएगा। पहला संशोधन 1 जुलाई 2019 को हुआ था।
- वित्तीय निहितार्थ: OROP संशोधनों को लागू करने की अनुमानित लागत लगभग 8,450 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है।
- लाभार्थी: इस योजना से 25.13 लाख से अधिक सशस्त्र बल पेंशनभोगी और उनके परिवार लाभान्वित होंगे।
- इसमें पारिवारिक पेंशनभोगियों, युद्ध विधवाओं और विकलांग पेंशनभोगियों के लिये प्रावधान शामिल हैं।
- उत्तर प्रदेश और पंजाब में OROP लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक है।
- OROP पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:
- भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने OROP योजना की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की तथा यह निर्धारित किया कि एक ही रैंक के कार्मिकों के लिये उनकी सेवानिवृत्ति तिथि के आधार पर अलग-अलग पेंशन देना मनमाना नहीं है।
- इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि पेंशन में अंतर विभिन्न कारकों जैसे संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP) और आधार वेतन गणना से उत्पन्न होता है।
- भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने OROP योजना की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की तथा यह निर्धारित किया कि एक ही रैंक के कार्मिकों के लिये उनकी सेवानिवृत्ति तिथि के आधार पर अलग-अलग पेंशन देना मनमाना नहीं है।
OROP के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं?
- कल्याण संवर्धन: OROP से दिग्गजों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार होता है, तथा उनके समग्र कल्याण में योगदान मिलता है।
- आर्थिक प्रभाव: पेंशन में वृद्धि से दिग्गजों की प्रयोज्य आय में वृद्धि हो सकती है, जिससे व्यय में वृद्धि के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।
- सामाजिक मान्यता: OROP का कार्यान्वयन सशस्त्र बलों के कर्मियों द्वारा किये गए बलिदान की सार्वजनिक स्वीकृति के रूप में कार्य करता है, तथा समाज में गौरव और सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
- एक समान पेंशन: यह समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक से सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों के लिये समान पेंशन सुनिश्चित करता है, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति तिथि कुछ भी हो।
- वर्तमान मानकों के अनुरूप पेंशन का निर्धारण हर पाँच वर्ष में पुनः किया जाता है।
OROP योजना के कार्यान्वयन में क्या मुद्दे हैं?
- उच्च लागत: कार्यान्वयन लागत प्रारंभिक अनुमान से काफी अधिक है, जिससे राजकोष पर असर पड़ता है।
- उदाहरण: प्रारंभ में अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपए थी, परंतु वास्तविक लागत 8000-10000 करोड़ रुपए के बीच है।
- प्रशासनिक चुनौतियाँ: पात्र कार्मिकों के पिछले रिकॉर्ड को पुनः प्राप्त करने और सत्यापित करने में कठिनाइयाँ।
- उदाहरण: सटीक लाभ प्रदान करने के लिये ऐतिहासिक सेवा रिकॉर्ड तक पहुँच और उसमें आने वाली चुनौतियाँ।
- जटिल कार्यान्वयन: योजना को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने में प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी जटिलताएँ।
- उदाहरण: सभी पात्र व्यक्तियों को पेंशन लाभ की निर्बाध डिलीवरी सुनिश्चित करने में कानूनी और तार्किक मुद्दे।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत के सशस्त्र बल कर्मियों के कल्याण पर वन रैंक वन पेंशन योजना के प्रभाव का आकलन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. NSSO के 70वें चक्र द्वारा संचालित “कृषक कुटुम्बों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण” के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 2 और 3 उत्तर: (c) प्रश्न: किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं क्योंकि (2019) (a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है। उत्तर: (b) |