एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना | 01 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) ने 30 जून, 2020 तक पूरे देश में ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ (One nation-one ration card) योजना लागू करने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- सभी राशन कार्डों को आधार कार्ड से जोड़ने और पॉइंट ऑफ सेल (Point of Sale, PoS) मशीन के माध्यम से खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था अपने अंतिम चरण में है।
- वर्तमान में आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा ऐसे 10 राज्य हैं, जहाँ खाद्यान्न वितरण का 100 प्रतिशत कार्य PoS मशीनों के ज़रिये हो रहा है।
- साथ ही इन राज्यों में सार्वजनिक वितरण की सभी दुकानों को इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है। इन राज्यों में लाभार्थी सार्वजनिक वितरण की किसी भी दुकान से अनाज प्राप्त कर सकते हैं ।
- संभवतः 15 अगस्त, 2019 से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्यों के लाभार्थी दोनों राज्यों में स्थित किसी भी दुकान से अनाज प्राप्त कर सकेंगे।
- सभी सार्वजनिक वितरण प्रणालियों को डिपो ऑनलाइन प्रणाली (DOS) के साथ जोड़ा जा रहा है, ताकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभों को लोगों तक पहुँचाने में कोई अवरोध न हो।
पॉइंट ऑफ सेल
(Point of Sale, PoS)
- पॉइंट ऑफ सेल/बिक्री का एक बिंदु (PoS) वह स्थान है, जहाँ ग्राहक द्वारा वस्तुओं या सेवाओं हेतु भुगतान किया जाता है। यहाँ पर बिक्री कर भी देय हो सकते हैं।
- यह कोई बाह्य स्टोर हो सकता है जहाँ पर भुगतान के लिये कार्ड पेमेंट या वर्चुअल सेल्स पॉइंट, जैसे- कंप्यूटर या मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है।
डिपो ऑनलाइन सिस्टम
- FCI के संचालन के प्रबंधन हेतु डिपो/गोदाम है जिसमें अनाजों का भंडारण किया जाता है।
- डिपो ऑनलाइन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारत में खाद्य वितरण आपूर्ति शृंखला को परिवर्तन के लिये 'डिजिटल इंडिया' की दृष्टि से संरेखित करना है।
- खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अंतर्गत (Food Corporation of India-FCI), केंद्रीय भंडारण निगम (Central Warehousing Corporation-CWC), राज्य भंडारण निगम (State Warehousing Corporations-SWC) एवं निजी गोदामों में भंडारित 612 लाख टन खाद्यान्न सालाना 81 करोड़ लाभार्थियों को वितरित किया जाता है। अधिकांश राज्यों में खरीद, भण्डारण एवं वितरण प्रणाली को किसी न किसी रूप में ऑनलाइन कर दिया गया है।
योजना का महत्त्व
- इस योजना के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को एक कार्ड से पूरे देश में कहीं भी राशन उपलब्ध हो सकेगा तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सभी लोगों को अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
- इस योजना से गरीब, मज़दूर और ऐसे लोग लाभांवित होंगे जो जीविका, रोज़गार या किसी अन्य कारण से एक राज्य से दूसरे राज्य प्रवास करते हैं।
आगे की राह
- खाद्यानों की खरीद के समय से लेकर इसके वितरण तक सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर फोकस किया गया है जो इसकी पारदर्शिता को बनाए रखते हुए एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर पूरी प्रक्रिया की समग्र दक्षता को बढ़ाने में मदद करेगा।
- यह आवश्यक है कि FCI और राज्यों के बीच ऑनलाइन सूचना का निर्बाधित प्रवाह हो और इसलिये उन्हें समेकित किये जाने की आवश्यकता है जिससे कि पूरे देश में खरीद एवं वितरण पर सटीक सूचना उपलब्ध हो।
- ऐसी सभी गुणात्मक एवं मात्रात्मक सूचना के भण्डारण के लिये एक प्रणाली बनाई जानी चाहिये, जिसे ‘अन्नवितरण’ पोर्टल एवं विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए डैश बोर्डों के ज़रिये एक्सेस किया जा सकें।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश एक ऐतिहासिक पहल है जिसके ज़रिये जनता को पोषण खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। खाद्य सुरक्षा विधेयक का खास ज़ोर गरीब-से-गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों की ज़रूरतें पूरी करने पर है।
- इस विधेयक में शिकायत निवारण तंत्र की भी व्यवस्था है। अगर कोई जनसेवक या अधिकृत व्यक्ति इसका अनुपालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ शिकायत कर सुनवाई का प्रावधान किया गया है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो. गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलो. चावल देने की व्यवस्था की गई है। इस कानून के तहत व्यवस्था है कि लाभार्थियों को उनके लिये निर्धारित खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिये खाद्यान्न की आपूर्ति न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में लागू किया गया।
- समाज के अति निर्धन वर्ग के हर परिवार को हर महीने अंत्योदय अन्न योजना में इस कानून के तहत सब्सिडी दरों पर यानी तीन रुपए, दो रुपए, एक रुपए प्रति किलो. क्रमशः चावल, गेहूँ और मोटा अनाज मिल रहा है।
- पूरे देश में इस कानून के लागू होने के बाद 81.34 करोड़ लोगों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल दिया जा रहा है।