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एशिया के सबसे पुराने बाँस का जीवाश्म

  • 11 Mar 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लखनऊ के बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान एवं अन्य कई संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, उत्तर-पूर्वी भारत में एशिया के सबसे प्राचीन बाँस के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • वैज्ञानिकों को असम के तिनसुकिया ज़िले के माकुम कोयला खनन क्षेत्र से बाँस की नाल (Bamboo Stem) के तीन जीवाश्म प्राप्त हुए हैं, जिनकी लंबाई लगभग एक मीटर है। ये जीवाश्म लगभग ढाई करोड़ साल पुराने बतायए जा रहे हैं।
  • अरुणाचल प्रदेश के डोईमरा के सुबनसिरी फॉर्मेशन में भी बाँस के पत्तों के दो जीवाश्म पाए गए हैं।
  • अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि एशिया में पाए जाने वाले बाँस का मूल स्थान यूरोप है लेकिन पाए गए इन जीवाश्मों से साबित होता है कि एशियाई बाँस की उत्पत्ति दक्षिणी गोलार्द्ध में हुई थी।
  • वैज्ञानिकों ने चीन के ज़िजुआंबान्ना ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन (Xishuangbanna Tropical Botanical Garden) में उपस्थित बाँस की प्रजातियों और पाए गए इन जीवाश्म के पत्तों और नमूनों की तुलना कोलकाता बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Botanical Survey of India) में की।
  • पत्तियों वाले जीवाश्म दो अलग-अलग बाँस प्रजातियों - बम्बूसियम डूमैरेंस (Bambusium Doimaraense) और बम्बूसियम अरुणाचलेंस (Bambusium Arunachalense) से संबंधित हैं जो लगभग 10 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
  • तने के जीवाश्मों को नई प्रजातियों के तहत नाम दिया गया : बंबुसिकलमस टिरपेन्सिस (Bambusiculmus tirapensis) और बंबुसिकलमस मकुमेन्सिस। ये लगभग 28 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
  • इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि -

♦ एशिया में सबसे पहले बाँस शायद पूर्वी गोंडवाना में उत्पन्न हुआ, जिसमें भारत भी शामिल है।
♦ स्वतंत्र आणविक अध्ययन के अनुसार, बाँस की उत्पत्ति का मूल क्षेत्र होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि पूर्वोत्तर भारत बाँस की विविधता का एक केंद्र है, जैसा कि भारत से सटा हुआ क्षेत्र दक्षिणी चीन है।

  • एक अध्ययन से अनुमान लगाया गया है कि प्राचीन बाँस सामान्यतः गर्म और आर्द्र अवधि के दौरान विकसित होता था लेकिन आधुनिक बाँस अब गर्म और ठंडे दोनों मौसमों में पाया जाता हैं।

स्रोत - द हिंदू

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