पुराने संबंध, नया नज़रिया | 01 Aug 2017
संदर्भ
उल्लेखनीय है कि एक ही महाद्वीप के दो हिस्सों के रूप में अवस्थित भारत और थाईलैंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़े एक ही हैं जिसका आभास इन दोनों देशों को 70 वर्षों के कूटनीतिक संबंधों के बाद हुआ है| समय के साथ-साथ ये दोनों देश हज़ारों वर्षों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान के कारण एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं|
प्रमुख बिंदु
- थाईलैंड द्वारा भारत के संबंध में प्रकट विचारों में यह स्पष्ट किया गया है कि आधुनिक समय के भारतीयों की सबसे अच्छी बात यह है कि वे पर्यटन हेतु थाईलैंड की यात्रा के विकल्प को वरीयता दे रहे हैं जिससे न केवल दोनों देशों के मध्य संबंधों में प्रगाढ़ता आ रही है बल्कि थाईलैंड की अर्थव्यवस्था को भी इससे फायदा हो रहा है|
- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में ये दोनों देश व्यापाक सुधारों के दौर से गुज़र रहे हैं| दोनों ही देश अपने देश के लोगों के लिये सतत् और समावेशी आर्थिक विकास के पक्षधर हैं|
- इतना ही नहीं दोनों देश ‘मेक इन इंडिया’ और ‘थाईलैंड 4.0’ जैसी पहलों को आधार बनाकर न केवल अपनी-अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार करने की दिशा में अग्रसर हैं बल्कि एस.ई.पी. (Sufficiency Economy Philosophy - SEP) एवं एस.डी.जी. (Sustainable Development Goals (SDGs) के मद्देनज़र दोनों देश अपनी-अपनी दक्षता से आपसी सहयोग को भी एक नए स्तर पर पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं|
राजनीतिक दृष्टिकोण
- यदि राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो दोनों देश के मध्य मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित है| पिछले वर्ष थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा (Prayut Chan-o-cha) भारत की यात्रा पर थे| इसके पश्चात् भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी थाईलैंड की यात्रा पर आमंत्रित किया गया|
- संभवतः यही कारण है कि आने वाले वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर आसियान के 10 सदस्य राष्ट्रों को भारत यात्रा पर आमंत्रित किया गया है| ध्यातव्य है कि वर्ष 2017 में भारत-थाईलैंड संबंधों के 25 वर्ष पूरे हो गए हैं|
सुरक्षा क्षेत्र
- गौरतलब है कि दोनों देशों के मध्य सैन्य और सुरक्षा संबंध रचनात्मक स्तर पर हैं| ये पारस्परिक रूप से लाभप्रद हैं क्योंकि ये भूमि, समुद्र और वायु तीनों क्षेत्रों को कवर करते हैं|
- दोनों ही देश आतंकवाद, मादक पदार्थों और अंतर्राष्ट्रीय रूप से संगठित अपराध के खिलाफ संघर्षरत हैं|
- वस्तुतः इसका कारण यह भी है कि एक उभरती शक्ति के रूप में, भारत अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ मिलकर आसियान (ASEAN) और ग्रेटर इंडो-प्रशांत (greater Indo-Pacific) में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है|
वाणिज्यिक क्षेत्र
- ध्यातव्य है कि दोनों देशों के मध्य संबंधों को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने के संदर्भ में न केवल भारत बल्कि थाईलैंड भी बराबर प्रयास कर रहा है| इसी क्रम में थाईलैंड द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को कम्बोडिया और म्याँमार के माध्यम से अपने बाज़ारों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है|
सुझाव
- वस्तुतः अभी भी ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनके संदर्भ में गंभीरतापूर्वक विचार करके इन दोनों देशों के मध्य एक बेहतर संपर्क व्यवस्था स्थापित की जा सकती है| इसी संदर्भ में काफी समय से लंबित पड़े भारत- म्याँमार -थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (India-Myanmar-Thailand Trilateral Highway) कनेक्टिविटी के प्रमुख माध्यमों (मुख्यतः समुद्री और वायु) का उपयोग इनकी उच्चतम क्षमता के साथ किया जाना चाहिये|
- विदित है कि थाईलैंड आसियान, एपेक, बिम्सटेक, आई.ओ.आर.ए. और ए.सी.डी. का सदस्य राष्ट्र है तथा यह धीरे – धीरे वैश्विक परिदृश्य में एक शक्ति के तौर पर उभर रहा है| ऐसे में स्पष्ट रूप से यह भारत के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र हेतु अनेक बेहतर अवसर उपलब्ध करा सकने में सक्षम है|
- ध्यातव्य है कि पूर्वी आर्थिक गलियारे जैसी नई पहलें अगली पीढ़ी के मोटर वाहनों, विमानन, स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स, रोबोटिक्स, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, जैव प्रौद्योगिकी, जैव ईंधन और जैव रसायनों के क्षेत्र में निरंतर नए अवसर उपलब्ध कराएंगी|
- विदित हो कि ये सभी पहलें थाईलैंड की उस 4.0 राष्ट्रीय रणनीति का भाग है जो थाईलैंड को एक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने का कार्य कर रही है|