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ओपेक का एक और निर्णय : तेल कीमतों को नियंत्रित करने का प्रयास

  • 23 Jun 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

सऊदी अरब की अगुआई वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries -OPEC) ने कच्चे तेल का उत्पादन एक लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ाने का निर्णय किया है। ओपेक के इस निर्णय से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • वियना में हुई औपचारिक बैठक में सऊदी अरब कच्चे तेल की कीमतों को कम करने तथा आपूर्ति में कमी की समस्या का समाधान करने के लिये अपने धुर विरोधी ईरान को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिये राजी करने में सफल रहा। बड़े उपभोक्ता देशों की चिंता को ध्यान में रखते यह निर्णय लिया गया है। 
  • इस बैठक में प्रत्येक देश के लिये उत्पादन वृद्धि का कोटा तय करने की बजाय आपूर्ति के लक्ष्य को हासिल करने के संबंध में सहमति व्यक्त की गई है। हालाँकि इस स्थिति में सऊदी अरब को अपने निर्धारित कोटे से अधिक कच्चे तेल का उत्पादन करना होगा।
  • आपकी जानकारी के लिये बता दें कि अमेरिका, चीन और भारत द्वारा तेल की कमी से बचने के लिये ओपेक से तेल आपूर्ति जारी रखने का आग्रह किया गया था। इसका कारण यह है कि तेल आपूर्ति बाधित होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

ईरान कर रहा था विरोध

  • ओपेक के तीसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक सदस्य ईरान द्वारा तेल आपूर्ति बढ़ाने का विरोध किया जा रहा था। ईरान के अनुसार, तेल की कीमतों में आए उछाल का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा ईरान और वेनेजुएला पर अधिरोपित प्रतिबंध हैं।
  • अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप 2018 के अंत तक ईरान के तेल उत्पादन में लगभग एक-तिहाई तक गिरावट आने की संभावना है।
  • अर्थात् ओपेक द्वारा तेल उत्पादन में वृद्धि किये जाने संबंधी समझौते से शीर्ष तेल निर्यातक सऊदी अरब के विपरीत ईरान को कोई विशेष लाभ नहीं होगा।

2017 में लिया गया था उत्पादन में कटौती का निर्णय

  • आपकी जानकारी के लिये बता दें कि ओपेक और रूस समेत 24 देशों (ओपेक प्लस) के बीच 2017 से उत्पादन में 18 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करने संबंधी एक समझौता किया गया था।
  • इस निर्णय के बाद निश्चित तौर पर बाज़ार को पुन: संतुलित करने में मदद मिली लेकिन इस बीच कच्चे तेल की कीमतें 27 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गईं।
  • हाल के कुछ महीनों में वेनेजुएला, लीबिया और अंगोला ने तेल आपूर्ति में लगभग 28 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की है। यही कारण है कि आपूर्ति की कमी से समस्या पैदा हुई।

ओपेक

  • तेल निर्यातक देशों के संगठन का नाम है ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries-OPEC)।
  • इसमें एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के प्रमुख तेल उत्पादक व निर्यातक देश शामिल हैं, जिनकी दुनिया के कुल कच्चे तेल उत्पादन में लगभग 77 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
  • ओपेक की स्थापना 14 सितंबर, 1960 को इराक की राजधानी बगदाद में हुई थी। ओपेक का सचिवालय ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में है।
  • ओपेक के पाँच संस्‍थापक देशों में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब व वेनेजुएला शामिल हैं, बाद में इसमें कतर, इंडोनेशिया, लीबिया, संयुक्‍त अरब अमीरात, अल्‍जीरिया, नाइजीरिया, इक्‍वाडोर, गैबोन व अंगोला शामिल हुए।
  • इंडोनेशिया जनवरी 2009 में ओपेक से हट गया और कुल मिलाकर अभी इसके 15 सदस्‍य देश हैं।
  • ओपेक प्रतिदिन लगभग तीन करोड़ बैरल कच्चे तेल का उत्‍पादन करता है और सऊदी अरब इसका सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है तथा भारत के लिये सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्त्ता भी है।
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