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भारतीय अर्थव्यवस्था

14 तेल, गैस ब्लॉक की नीलामी

  • 08 Jan 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा तेल एवं गैस आयात में कटौती करने तथा इसके घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिये 14 ब्लॉकों की दूसरी नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • नई नीति ने सरकार की पुरानी व्यवस्था के स्थान पर नीलामी को हटाकर क्षेत्रों को बदलने और उनकी बोली लगाने की जगह ले ली।
  • यह नीति विपणन और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता की गारंटी देती है और पिछले दौर के उत्पादन साझाकरण मॉडल के स्थान पर राजस्व-साझेदारी मॉडल को अपनाती है, जहाँ सरकार द्वारा तेल और गैस का अधिकतम हिस्सा देने वाली कंपनियों को ब्लॉक प्रदान किया जाता है।
  • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री द्वारा 14 ब्लॉकों के साथ 29,333 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की Open Acreage Licensing Policy (OALP) बोली राउंड- II में अतिशीघ्र ही शुरू की जाएगी।
  • पहला OALP राउंड 2017 में शुरू किया गया था और मई 2018 तक बोलियाँ लगाई गई थीं। 15 मई, 2018 को दूसरे राउंड की बोली के लिये लोगों ने इच्छा ज़ाहिर करना बंद कर दिया। जून तक ब्लॉक पुनः नीलामी के लिये रखे जाने थे, लेकिन यह राउंड अज्ञात कारणों के चलते देरी से शुरू हुआ।
  • OALP-II में दिये गए ब्लॉकों में एक कृष्णा गोदावरी बेसिन के गहरे पानी में और पाँच उथले पानी में हैं, अंडमान और कच्छ बेसिन दोनों में दो-दो और महानदी बेसिन में एक ब्लाक है। स्थल क्षेत्र में आठ ब्लॉक ऑफर किये गए हैं, जिनमें - महानदी बेसिन में चार, कैम्बे में दो और राजस्थान तथा कावेरी दोनों में एक-एक हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेल आयात को 2022 तक 10% से 67% तक कम करने और 2030 तक आधा करने का लक्ष्य रखा है।
  • भारत की 2015 से आयात पर निर्भरता बढ़ी है वर्तमान में भारत अपनी कुल तेल ज़रूरतों के 81% का आयात करता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ब्लॉक ऐसी कंपनी को दिया जाता है जो सरकार को तेल और गैस का उच्चतम हिस्सा प्रदान करती हो और साथ ही 2 डी तथा 3 डी भूकंपीय सर्वेक्षण व ड्रिलिंग अन्वेषण कुओं के माध्यम से अधिकतम अन्वेषण कार्य करने के लिये प्रतिबद्ध हो।
  • अनुसंधान के चलते अधिक तेल और गैस का उत्पादन होगा, जिससे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक को अपनी आयात निर्भरता में कटौती करने में मदद मिलेगी।
  • इस नीति के तहत कंपनियों को उन क्षेत्रों में भी तेल और गैस की तलाशी की अनुमति दी जाएगी जिनके पास वर्तमान में उत्पादन या अन्वेषण हेतु लाइसेंस नहीं है।
  • भारत ने जुलाई 2017 में देश के लगभग 2.8 मिलियन वर्ग किमी. के गैर-पंजीकृत क्षेत्र में कंपनियों को अपनी पसंद के ब्लॉक चुनने की अनुमति दी थी।
  • इस बीच, तीसरे विंडो में EOI (Expression of Intrest) के लिये अनुमति 15 नवंबर, 2018 को बंद हो गई, जिसमें 11 ब्लॉक, 21,507 वर्ग किमी क्षेत्र और पाँच कोल-बेड मीथेन थे।
  • अधिकारियों के अनुसार, इन 14 ब्लॉकों में 12,609 मिलियन टन तेल और तेल के बराबर गैस होने का अनुमान है।

स्रोत – द हिंदू

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