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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

OECD डिजिटल कराधान प्रारूप मसौदा

  • 12 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

OECD, BEPS, गाफा कर, WTO

मेन्स के लिये:

डिजिटल कराधान से संबंधित मुद्दे और भारत पर प्रभाव

संदर्भ:

उदारीकरण के बाद विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में प्रौद्योगिकी का प्रयोग तथा अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश हुआ, इन अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों पर कर लगाना किसी दूसरे देश के लिये एक कठिन चुनौती होती है क्योंकि ये कंपनियाँ एक साथ कई देशों में व्यवसाय करती हैं।

डिजिटल कराधान से संबंधित चुनौतियाँ:

  • डिजिटल कंपनियों के व्यवसाय पर कराधान इसलिये कठिन होता है क्योंकि सामान्यतः जिस अर्थव्यवस्था में ये व्यवसाय कर रही होती हैं वहाँ पर इनकी भौतिक रूप से उपस्थिति नहीं होती है।
  • ये अक्सर कम कर प्रणालियों में (कम कर वाले देशों में) पंजीकृत होते हैं, जिससे ये अर्थव्यवस्था को लगातार प्रभावित करती रहती हैं अर्थात् अधिक व्यवसायिक लाभ प्राप्त करने के बाद भी उपरोक्त अर्थव्यवस्था में कम कर देती हैं।
  • वर्तमान समय में विश्व की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ बहुत कम कर भुगतान कर रही हैं जो एक चिंता का विषय बना हुआ है।

डिजिटल कराधान संबंधी प्रावधान:

  • आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profit Sharing- BEPS) रिपोर्ट के शुरुआती संस्करणों में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Economic Co-operation and Development- OECD) ने डिजिटल अर्थव्यवस्था पर तीन उपायों- समतुल्य लेवी (Equalisation Levy), विथहोल्डिंग कर (Withholding taxe) तथा न्यू नेक्सस नियम (New Nexus Rule) का उल्लेख किया।
  • पहले दो कर सकल कारोबार पर लगाए जाते हैं, जबकि न्यू नेक्सस नियम किसी देश में कंपनी की भौतिक उपस्थिति न होने जैसी स्थितियों से निपटते हैं।

भारतीय परिदृश्य:

  • भारत ने पहली बार वर्ष 2016 में समतुल्य लेवी लागू की थी। इस लेवी को आयकर अधिनियम के दायरे के बाहर रखा गया था और वर्तमान में यह डिजिटल विज्ञापन से संबंधित कार्य करने वाली कंपनियों के एक छोटे समूह पर लागू है।

वैश्विक परिदृश्य:

  • वैश्विक स्तर पर भी OECD के आह्वान को सर्वसम्मति से आगे बढ़ाते हुए कई उपायों को लागू करने के प्रयास किया गया। उदाहरण के लिये फ्राँस और हंगरी ने डिजिटल करों को लागू किया है, जबकि बेल्जियम, इटली, ब्रिटेन तथा स्पेन ने भी इसी प्रकार की व्यवस्था की।

समसामयिक मुद्दे:

  • वैश्विक स्तर पर कर सुधारों संबंधी कार्यवाही को एक राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है, जैसे कि फ्राँस द्वारा लगाए गए गाफा कर (Gafa Tax) का संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा इसलिये विरोध किया गया क्योंकि गाफा कर से प्रभावित कंपनियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका की हैं।
  • वैश्विक स्तर पर डिजिटल कराधान व्यवस्था का विश्व व्यापार संगठन (World Trade Org- WTO) के नियमों के साथ भी समीकरण बैठाना मुश्किल कार्य है क्योंकि ज़्यादा कर लगाने से मुक्त व्यापार की अवधारणा प्रभावित होगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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