ओईसीडी ने भारत के विकास दर का अनुमान घटाया | 01 Mar 2017

समाचारों में क्यों?

यूरोप के आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने नोटबंदी के कारण चालू वित्त वर्ष के लिये भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को 7.4 फीसदी से कम करके 7.0 फीसदी कर दिया है, हालाँकि इसने अगले वित्त वर्ष के लिये 7.3 फीसदी और उसके अगले वित्त वर्ष के लिये 7.7 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया है। जहाँ एक ओईसीडी ने विकास दर के अनुमान में कमी का कारण नोटबंदी को बताया है वहीं नोटबंदी का समर्थन करते हुए इसके सकारात्मक दीर्घकालिक परिणाम की भी सम्भावना व्यक्त की है। विदित हो कि हाल ही में ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुररिया ने “ओईसीडी इकॉनामिक सर्वे ऑफ़ इंडिया” पेश किया है।

“ओईसीडी इकॉनामिक सर्वे ऑफ़ इंडिया” की महत्त्वपूर्ण बातें”

  • ओईसीडी इकॉनामिक सर्वे ऑफ़ इंडिया के हवाले से कहा गया है कि भारत जी-20 देशों में सर्वाधिक सुधार अपनाने वाला देश है और वर्तमान में उसे कॉर्पोरेट करों में कमी लानी होगी क्योंकि ऐसा करते ही उद्योगों में निवेश के लिये अधिक राशि उपलब्ध होगी और उससे नए रोज़गारों का सृजन होगा।
  • ओईसीडी ने भारत से अपने श्रम कानूनों को लचीला बनाने का भी आग्रह किया है और कहा है कि सरकार को सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में सरकारी ऋण में कमी करनी चाहिये और सरकारी निवेश को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिये।
  • भारत में बैंको की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों (एनपीए) के बढ़ते स्तर को भी में ओईसीडी ने चिंताजनक बताया है जो कि वर्ष 2016 के सितम्बर माह में सकल घरेलू उत्पाद का 12.3. प्रतिशत हो गया था। ओईसीडी ने बढ़ते एनपीए में सुधार लाने की वकालत की है।

भारत को बेहतर क्रेडिट रेटिंग दिये जाने पर बल

  • विदित हो कि ओईसीडी ने भारत को बेहतर क्रेडिट रेटिंग दिये जाने की भी वकालत की है। हालाँकि ओईसीडी ने यह भी कहा है कि भारत को बेहतर क्रेडिट रेटिंग को ध्यान में रखकर अपनी नीतियों का निर्माण न करते हुए लोगों के हित में नीतियों का निर्माण करना चाहिये लेकिन भारत जिस गति से प्रगति कर रहा है उसे बेहतर क्रेडिट रेटिंग मिलनी चाहिये थी। ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुररिया ने भारत के उपलब्धियों के सन्दर्भ में कहा कि भारत को चाहिये कि वह दुनिया को अपनी उपलब्धियाँ एक सेल्समैन की तरह बताए।

निष्कर्ष

  • ओईसीडी का यह आकलन भारत के लिये मिश्रित परिणामों वाला रहा है, ओईसीडी ने जहाँ एक ओर चालू वित्त वर्ष के लिये भारत के विकास दर का अनुमान घटा दिया वहीं भविष्य में भारत के लिये अपार सम्भावनाएँ होने की भी बात कही है। ओईसीडी ने श्रम कानूनों को लचीला बनाने और कॉर्पोरेट करों को कम करने की बात की जिसकी मांग भारत में भी आर्थिक विशेषज्ञ करते आ रहे हैं।