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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एथेनॉल बायो-रिफाइनरी

  • 15 Oct 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओडिशा के बारगढ़ ज़िले की भाटली तहसील के बोलासिंघा गाँव में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन द्वारा स्थापित किये जा रहे सेकेंड जेनरेशन (2G) इथेनॉल बायो-रिफाइनरी की नींव रखी गई।

संयंत्र के बारे में

  • यह बॉयो-रिफाइनरी संयंत्र देश का अपने किस्म का पहला संयंत्र है जो चावल की भूसी का फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करके प्रतिवर्ष 3 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन करेगा।
  • इस संयंत्र द्वारा उत्पादित एथेनॉल को पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जाएगा।
  • इस परियोजना की लागत लगभग 100 करोड़ रुपए है।

भारत के लिये बायो-फ्यूल का महत्त्व

  • बढ़ती ऊर्जा सुरक्षा ज़रूरतों और पर्यावरण की चिंता के कारण बॉयो-फ्यूल का महत्त्व बढ़ा है। 
  • अनेक देशों ने अपनी घरेलू ज़रूरतों के अनुसार बॉयोफ्यूल के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिये विभिन्न प्रक्रियाएँ और प्रोत्साहन लागू किये हैं।
  • भारत में प्रतिवर्ष लगभग 120-160 MMT अतिरिक्त बॉयोमास की उपलब्धता है। जिसके परिवर्तित होने पर 3 हज़ार करोड़ लीटर एथेनॉल के उत्पादन की क्षमता स्थापित हो जाएगी।
  • भारत की राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 में वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में एथेनॉल उपलब्ध न होने के कारण पेट्रोल में केवल 3 से 4 प्रतिशत एथेनॉल का मिश्रण किया जा रहा है।
  • 2जी एथेनॉल संयंत्रों की स्थापना से पेट्रोल में एथेनॉल का मिश्रण करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

पर्यावरण के साथ-साथ किसानों को भी लाभ

  • बारगढ़ बायो-रिफाइनरी सालाना दो लाख टन चावल की भूसी का फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करेगी।
  • बायो-रिफाइनरी एथेनॉल उत्पादन के लिये चावल की भूसी का उपयोग करके पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करेगी और बेकार भूसी को खेतों में नहीं जलाना पड़ेगा।
  • पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण से जीवाश्म ईंधन की तुलना में ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन होगा।
  • इस संयंत्र से वातावरण को स्वच्छ रखने के अलावा चावल की भूसी बायो-रिफाइनरी को बेचने से किसानों की अतिरिक्त आमदनी बढ़ने के फलस्वरूप उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने में मदद मिलेगी।

रोज़गार सृजन तथा देश की आत्मनिर्भरता में वृद्धि

  • इसके अलावा, इस संयंत्र के निर्माण, परिचालन और बायोमास आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन से लगभग 1200 लोगों को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार जुटाने में मदद मिलेगी।
  • इस क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास और क्षेत्र के लोगों की आजीविका में सुधार को बढ़ावा मिलेगा तथा एथेनॉल के मिश्रण से देश का तेल निर्यात घटने और विदेशी मुद्रा की बचत से देश की आत्मनिर्भता में बढ़ोत्तरी होगी।
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