ओडिशा ने खाद्य और खरीद नीति में किया बदलाव | 25 Sep 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा सरकार ने खरीफ विपणन सीज़न (KMS) 2018-19 के लिये खाद्य और खरीद नीति के मानदंडों में बदलाव करते हुए खरीद के दायरे में और अधिक छोटे एवं सीमांत किसानों तथा बटाईदारों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु
- खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग के अनुसार, धान के विपणन योग्य अधिशेष की गणना के लिये किसान के परिवार में प्रति सदस्य धान के तीन क्विंटल की दर से व्यक्तिगत खपत की आवश्यकता में कटौती करने की पिछली प्रथा को KMS 2018-19 से छूट प्रदान की गई है।
- आगामी KMS के दौरान धान और चावल की खरीद के सभी पहलुओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से KMS 2019 के लिये खाद्य और खरीद नीति को मंज़ूरी देने हेतु कैबिनेट ने यह फैसला किया कि धान की खरीफ फसल की खरीद नवंबर 2018 और अप्रैल 2019 के बीच की जाएगी।
- धान की रबी फसल की खरीद मई से जून 2019 तक की जाएगी।
- कैबिनेट द्वारा लिये गए निर्णय के अनुसार, किसानों से 55 लाख टन धान खरीदने का एक प्रायोगिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है जो चावल के मामले में लगभग 37 लाख टन होगा।
- खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री को आवश्यकता अनुसार लक्ष्य को संशोधित करने के लिये अधिकृत किया गया है।
- किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय धान की आम किस्म के लिये 1,750 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए किस्म के लिये 1,770 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भुगतान किया जाएगा।
- धन का भुगतान खरीद के तीन दिनों के भीतर सीधे किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा।
केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन
- 23 लाख टन खरीदा गया चावल राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को उपलब्ध कराया जाएगा, शेष 14 लाख टन चावल केंद्र के साथ किये गए समझौता ज्ञापन के अनुसार भारतीय खाद्य निगम (FCI) अन्य राज्यों को प्रदान करेगा।
- पिछले वर्ष की भाँति सभी 308 खरीद ब्लॉकों में धान खरीद प्रक्रिया धान खरीद स्वचालन प्रणाली (P-PAS) के माध्यम से आयोजित की जाएगी।
- प्रक्रिया को व्यवधान मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिये धान खरीद से संबंधित सभी दस्तावेज़ P-PAS सॉफ्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर द्वारा तैयार किये जाएंगे।
न्यूनतम समर्थन मूल्य
- न्यूनतम समर्थन मूल्य वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा क्रय करने के लिये तैयार रहती है।
- जब बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा हो तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है।
- सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले करती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार- रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है।