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ऑड-ईवन दिल्ली में प्रदूषण कम करने में सहायक नहीं

  • 10 Apr 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में किये एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में यातायात के लिये लागू की गई ऑड-ईवन योजना भी गैसों के उत्सर्जन में अनुमानित कमी नहीं कर सकी।

प्रमुख बिंदु 

  • दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर से निपटने के लिये दिल्ली सरकार द्वारा एक पायलट आधार पर ऑड-ईवन योजना लागू की गई थी।
  • एक हालिया अध्ययन में जनवरी, 2016 के पहले पखवाड़े के दौरान राजधानी में लागू ऑड-ईवन योजना के प्रभाव का आकलन करने पर पाया गया कि योजना के दौरान प्रदूषण के स्तर में पहले की अपेक्षा कोई वांछित कमी नहीं हुई।
  • वाहनों के  उत्सर्जन से निकलने वाली 16  गैसों में से 13 गैसों में अधिकता की स्थिति पाई गई।
  • भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान (आईआईटीएम)-पुणे, भारतीय विज्ञान संस्थान, शिक्षा और अनुसंधान (आईआईएसईआर) –मोहाली तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा संयुक्त रूप से एक अध्ययन किया गया जो कि हाल ही में करेंट साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
  • इस अध्ययन में यातायात के दौरान वाहनों से उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण किया गया जिसमें 13 वाष्पशील यौगिक जैसे- सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन, कणिक पदार्थ, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन शामिल हैं।
  • इस योजना के दौरान और बाद के तीन समय अंतरालों में - सुबह 7 बजे - 8 बजे, दोपहर 1.30 बजे से- 2.30 बजे और शाम 7 बजे - 8 बजे तक वायु के  27 नमूने एकत्र किये गए थे।
  • वाहनों द्वारा उत्सर्जन के नमूनों का विश्लेषण इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) के वायुमंडलीय रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में किया गया था।
  • इस अध्ययन के अनुसार, ऑड-ईवन योजना के बाद भी यातायात के दौरान उत्सर्जन में अनुमानित कमी प्राप्त नहीं हुई।
  • इसके अलावा, अध्ययन में पाया गया कि इन हानिकारक गैसों सांद्रता का स्तर सुबह और दोपहर के दौरान बढ़ा है।
  • उदाहरण के लिये, इस योजना के कार्यान्वन के दौरान सुबह के समय CO2 की सांद्रता 11,000 μg/m3 अपने चरम पर थी, जबकि नियमित दिनों में उसी समय के दौरान CO2 की सांद्रता 920 μg/m3 थी। इसी प्रकार इस योजना के दौरान सुबह के समय में मीथेन का स्तर, 950 μg/m3 में मापा गया, जबकि नियमित दिनों में यह 800 μg/m3 के आसपास था।
  • इस अध्ययन में इस प्रवृत्ति के संभावित कारणों पर चर्चा करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा, "चूँकि सुबह और दोपहर के घंटों के दौरान प्रदूषकों की सांद्रता में बढ़ोतरी हुई थी, इसलिये यह समझा जाता है कि चार पहिया वाहन यात्रियों को संभवतः सुबह  8 बजे से पहले यात्रा करना पसंद है।
  • इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन वाहनों को इस योजना से छूट दी गई है, उनका योगदान नियमित दिनों के समान ही रहा।
  • इसके विपरीत, इस अध्ययन में योजना के दौरान और बाद में शाम के घंटों के दौरान, गैसों की सांद्रता में कोई महत्त्वपूर्ण बदलाव नहीं मिला।
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