शासन व्यवस्था
सर्वोच्च न्यायालय में बढ़ेगी न्यायाधीशों की संख्या
- 02 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
लगातार बढ़ते मुकदमों की संख्या और उनके बोझ को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु :
- वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 31 (मुख्य न्यायाधीश सहित) है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद बढ़ाकर 34 (मुख्य न्यायाधीश सहित) कर दिया जाएगा।
क्यों लिया गया निर्णय?
- वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में लगभग 59,331 मामले लंबित हैं ।
- मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India-CJI) रंजन गोगोई के अनुसार, भारत में न्यायाधीशों की कमी के कारण कई महत्त्वपूर्ण मामलों का फैसला करने के लिये उचित संवैधानिक पीठों की संख्या भी पूरी नहीं हो पा रही है।
- न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाने के लिये CJI ने भारतीय प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था जिसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया है।
न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का इतिहास :
- वर्ष 1950 में स्थापना के समय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या कुल संख्या 8 थी, परन्तु बाद में वर्ष 1956 में सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) अधिनियम, 1956 के माध्यम से इसे 10 कर दिया गया।
- तब से भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) अधिनियम, 1956 के तहत ही निर्धारित की जाती है।
- इस संख्या को सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) संशोधन अधिनियम, 1960 के तहत बढ़ाकर 13 कर दिया गया था।
- इसके बाद वर्ष 1977 में एक अन्य संशोधन के द्वारा यह संख्या 17 कर दी गई और बाद में वर्ष 1986 में इसे 25 कर दिया गया।
- अंत में सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) संशोधन अधिनियम, 2009 के माध्यम से इस संख्या को बढ़ाकर 25 से 30 किया गया था, जिसे अब पुनः बढ़ाया जा रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय
- सर्वोच्च न्यायालय भारतीय न्याय व्यवस्था के शीर्ष पर है।
- इसके गठन, न्याय-क्षेत्र, शक्तियों और स्वतंत्रता आदि का वर्णन संविधान के भाग 5 (अनुच्छेद 124 से 147) में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हेतु अर्हताएँ :
- वह भारत का नागरिक होना चाहिये।
- कम-से-कम 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद पर कार्य कर चुका हो।
- उच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय में कम-से-कम 10 वर्षों तक अधिवक्ता (Advocate) के रूप में कार्य कर चुका हो।