अब डीएनए में सुरक्षित रख सकेंगे फिल्में | 14 Jul 2017
चर्चा में क्यों ?
डीएनए में डाटा संरक्षित करने का विचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब इस विचार को अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दरअसल, शोधकर्त्ताओं ने हाल ही में एक ‘फिल्म क्लिप’ को डीएनए में संरक्षित किया है। गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने एक जीआईएफ फाइल (GIF File) को डीएनए में संरक्षित कर लिया है, जिसमें एक घोड़े को दौड़ता हुआ दिखाया गया है।
शोध से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु
- शोधकर्त्ताओं ने जीवित कोशिकाओं के जीनोम में डाटा को संरक्षित किया है। संरक्षित किये गए डाटा को कभी भी किसी वक्त निकाला जा सकता है और उसे फिर से वीडियो या किसी दूसरे फॉर्मेट में बदला जा सकेगा। विदित हो कि यह रिसर्च हॉवर्ड मेडिकल स्कूल में किया गया है।
- वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि वह दिन दूर नहीं है, जब बैक्टीरिया को प्रोग्राम करके, मानव कोशिकाओं के निरीक्षण में लगा दिया जाएगा।
- अगर कभी कुछ अनहोनी होती है या इंसान बीमार पड़ जाता है तो डॉक्टर, व्यक्ति के शरीर से बैक्टीरिया निकालकर संरक्षित डाटा को प्ले कर सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही होगी, जैसा कि विमान हादसे में होता है। हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स से डाटा निकाला जाता है और हादसे के कारणों का अध्ययन किया जाता है।
- ठीक वैसे ही अब डीएनए में संरक्षित डाटा के माध्यम से शरीर रूपी विमान में हुए हादसे यानी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
- शोधकर्त्ताओं ने शक्तिशाली जीन एडिटिंग तकनीक क्रिस्पर (crisper) का इस्तेमाल कर इस शोध को अंजाम दिया है
क्या है क्रिस्पर तकनीक ?
विदित हो कि जीन संशोधन के लिये 'क्रिस्पर’ नामक तकनीक कुछ वर्ष पहले ही विकसित हुई है। इसके उपलब्ध होने के बाद ही वैज्ञानिकों ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि भविष्य में मनुष्यों के जीनों में दोषों को हटाने के लिये महत्त्वपूर्ण साबित होगा। क्रिस्पर तकनीक अनेक वंशानुगत बीमारियों से छुटकारा दिलाने की उम्मीद जगाती है।