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भारतीय अर्थव्यवस्था

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में बदलाव

  • 17 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) को अधिक उदार बनाते हुए जमाकर्त्ताओं को अपने सोने (Gold) को सीधे बैंकों और रिफाइनरों (Refiners) के पास जमा करने की अनुमति दे दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि इससे पूर्व किसी भी जमाकर्त्ता को सर्वप्रथम उन संग्रह और शुद्धता परीक्षण केंद्रों (Collection and Purity Testing Centres-CPTCs) के पास अपना सोना जमा करवाना होता था जिन्हें भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • इसके बाद CPTCs जमाकर्त्ताओं को जमा किये गए सोने के लिये प्रमाणपत्र देते थे और उस प्रमाणपत्र के आधार पर बैंक उस व्यक्ति का खाता खोल देते थे।
  • आँकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत अब तक केवल 16 टन सोना ही एकत्रित किया जा सका है और इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह योजना भारतीय जमाकर्त्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में असफल रही है।
  • असफलता का कारण:
    • इस योजना की असफलता का मुख्य कारण योजना के प्रति बैंकों की उदासीनता को माना जा रहा है, साथ ही बैंकों को CPTCs के साथ व्यवहार करने में आने वाली चुनौतियाँ भी इस संदर्भ में बड़ी बाधाएँ हैं।
  • वार्ताओं की एक लंबी श्रृंखला के बाद RBI ने यह निर्णय लिया है कि अब जमाकर्त्ता सीधे बैंकों के पास भी जा सकता है।
  • रिज़र्व बैंक के इस कदम से मंदिरों, फंड हाउस, ट्रस्टों और यहाँ तक कि सरकारी संस्थाओं को भी CPTCs के स्थान पर बैंकों के साथ व्यवहार करने में सहजता महसूस होगी।
  • RBI ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे जल्द-से-जल्द सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अपनी ब्रांचों का निर्धारण करें जहाँ वे लोगों द्वारा जमा किये जाने वाले सोने को स्वीकार करेंगे।

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना 
(Gold Monetization Scheme-GMS):

  • इस योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी।
  • इसके तहत कोई भी व्यक्ति, चैरिटेबल संस्था, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थान आदि अपना सोना बैंक में जमा कर सकता है।
  • इस पर उन्हें 2.25% से 2.50% तक ब्याज मिलता है एवं परिपक्वता अवधि के पश्चात् वे इसे सोना अथवा रुपए के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
  • इस योजना की खास बात यह है कि पहले लोग सोने को लॉकर में रखते थे और इसके लिये कुछ राशि भी देनी होती थी, लेकिन अब लॉकर लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और इस पर कुछ निश्चित ब्याज भी मिलता है।
  • ‘स्वर्ण मुद्रीकरण योजना’ भारत द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले स्वर्ण आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई थी क्योंकि स्वर्ण आयात भारत के व्यापार घाटे (Trade Deficit) की एक बड़ी वज़ह है।
  • इस योजना के तहत लोग अपने बेकार पड़े सोने को ‘सावधि जमा’ के रूप में बैंक में जमा कर सकते हैं।
  • सरकार को आशा थी कि इस पहल से घरों एवं मंदिरों में बेकार पड़ा सोना बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होगा जिसे पिघलाकर जौहरियों एवं अन्य प्रयोक्ताओं को प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रकार सोने के पुनर्चक्रण के माध्यम से सोने के आयात को घटाया जा सकेगा।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड 

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