अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की एक और उपलब्धि
- 06 Sep 2017
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
बेंगलुरु स्थित जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के वैज्ञानिकों ने बायोफिल्म बनाने वाले जीवाणुओं (bio-film forming bacterias) को नष्ट करने में सक्षम दो नए अणु (molecules) विकसित करने में सफलता हासिल की है।
प्रमुख बिंदु
- इन अणुओं ने निष्क्रिय (dormant) चरण के दौरान जीवाणुओं को मारने में पारंपरिक एंटीबायोटिक की अपेक्षा अधिक बेहतर प्रदर्शन किया।
- बायोफिल्म जीवाणु, सूक्ष्मजीवों के समुदाय होते हैं जो एक दूसरे की सतहों से संलग्नित होते हैं। साथ ही, एंटीबायोटिक दवाओं के अवरोधों के रूप में कार्य करने में भी सक्षम होते हैं।
- ई. कोलाई (E. coli), एसिनेटोबैक्टर (Acinetobacter), क्लेबसीला (Klebsiella) जैसे क्रोनिक बायोफिल्म (chronic biofilm) संबंधी रोगाणुओं पर इन अणुओं के प्रभाव के कारणों को जानने के लिये ही यह अध्ययन किया गया था।
- इस अध्ययन का परिणाम ‘प्लोस वन’ (Plos one) नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ।
जीवाणुरोधी गतिविधियाँ
- शोधकर्त्ताओं द्वारा निष्क्रिय अवस्था में ई-कोलाई पर यौगिकों के प्रभाव का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि जब जीवाणु सक्रिय अवस्था में होते हैं तो एंटीबायोटिक अधिक प्रभावी हो जाते हैं।
- जब 100 माइक्रोग्राम/एम.एल. एंटीबायोटिक दवाओं [एम्पीसिलीन (ampicillin) तथा कनामीस्किन (kanamycin)] को आंशिक रूप से जीवाणुओं को मारने के लिये प्रयोग किया गया, तो केवल 10 माइक्रोग्राम/एम.एल. रोगाणु ही ई-कोलाई को मारने में सक्षम हो सके।
- एंटीबायोटिक प्रतिरोधी सुपरबग के उद्भव के बाद अब एक ऐसे यौगिक को विकसित किये जाने की आवश्यकता है, जिसके इस्तेमाल से इस समस्या का निराकरण किया जा सके।
- 5 माइक्रोग्राम/एम.एल. की न्यूनतम एकाग्रता पर इस नए यौगिक द्वारा कोशिका झिल्ली को बाधित करने और बैक्टीरिया को नष्ट करने में सफलता हासिल हुई है।
दोहरा लाभ
- मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं (erythromycin) और अणुओं के संयोजन ने पशुओं में एक्सीनेटोबैक्टर (Acinetobacter ) और क्लेबिसिला (Klebsiella) जैसे मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी रोगाणुओं के कारण उत्पन्न हुए घावों के संक्रमण के उपचार में भी प्रभावकारी असर दिखाया है।