अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उत्तर कोयल जलाशय परियोजना
- 15 Jan 2018
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
1622.27 करोड़ रुपए की अनुमानित उत्तर कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिये भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय, बिहार तथा झारखंड राज्य के बीच सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
उत्तरी कोयल जलाशय
- यह परियोजना सोन नदी की सहायक उत्तरी कोयल नदी (यह रांची पठार से निकलती है) पर स्थित है जो झारखंड के उत्तर-पश्चिम में स्थित हैदरनगर में सोन नदी से मिलती है तथा अंत में गंगा नदी में समाहित हो जाती है।
- उत्तरी कोयल जलाशय झारखंड राज्य में पलामू और गढ़वा ज़िलों के अत्यंत पिछड़े जनजातीय इलाके में स्थित है।
- उत्तरी कोयल नदी अपनी सहायक नदियों के साथ बेतला राष्ट्रीय उद्यान के पश्चिमी भाग से होकर बहती है।
- इसकी सहायक नदियाँ औरंगा (Auranga) एवं अमानत (Amanat) हैं।
परियोजना की पृष्ठभूमि
- इस जलाशय का निर्माण कार्य सर्वप्रथम वर्ष 1972 में शुरू हुआ था, परंतु वर्ष 1993 में इसे बिहार सरकार के वन विभाग द्वारा रुकवा दिया गया।
- इस परियोजना के अंतर्गत 67.86 मीटर ऊँचे और 343.33 मीटर लंबे कंक्रीट के बांध का निर्माण किया जाना सुनिश्चित किया गया था।
- इस बांध को उस समय मंडल बांध का नाम दिया गया। इस बांध की क्षमता 1160 मिलियन क्यूबिक मीटर निर्धारित की गई थी।
- इसके अलावा इस परियोजना के तहत नदी के बहाव की निचली दिशा में मोहनगंज में 819.6 मीटर लंबे बैराज के निर्माण का भी प्रावधान किया गया था।
- साथ ही यह सुनिश्चित किया गया कि बैराज के दाएँ एवं बाएँ तट से सिंचाई के लिये दो नहरें वितरण प्रणालियों समेत बनाई जाएंगी।
- उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के पूरा हो जाने पर झारखंड के पलामू और गढ़वा ज़िलों के साथ-साथ बिहार के औरंगाबाद और गया ज़िलों के सबसे पिछड़े एवं सूखे की स्थिति वाले इलाकों में 111,521 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई की व्यवस्था होने की संभावना है।
परियोजना का क्रियान्वयन
- इस परियोजना के क्रियान्वयन संबंधी कार्य की निगरानी नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता वाली भारत सरकार की उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा की जाएगी।
वित्तीय स्थिति
- इस परियोजना की कुल लागत अभी तक 2391.36 करोड़ रुपए आंकी गई है।
- हालाँकि, अभी तक इस परियोजना के निर्माण कार्य पर करीबन 769.09 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की जा चुकी है।
- यही कारण है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तीन वित्त वर्षों के दौरान 1622.27 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से इस परियोजना के शेष बचे कार्यों को पूरा करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है।
- शेष बचे कार्यों के लिये 1013.11 करोड़ रुपए के सामान्य घटकों का वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कोष से अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा।
- 1622.27 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत में से 1013.11 करोड़ रुपए भारत सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत दीर्घकालिक सिंचाई कोष (एल.टी.आई.एफ.) से अनुदान के रूप में दिए जाएंगे।
- बिहार और झारखंड के हिस्से के 609.16 करोड़ रुपए के शेष कार्य की लागत में से 365.5 करोड़ रुपए यानी 60 प्रतिशत एल.टी.आई.एफ. से केंद्र सरकार देगी।
- इस तरह केंद्र का कुल हिस्सा 1378.61 करोड़ रुपए हो जाएगा। लागत की 40 प्रतिशत शेष राशि 243.66 करोड़ रुपए का वहन राज्य नाबार्ड द्वारा दिये गए ऋण से करेंगे।