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जैव विविधता और पर्यावरण

उत्तर पूर्व जल प्रबंधन प्राधिकरण (NEWMA)

  • 24 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के जल संसाधनों के प्रबंधन हेतु समेकित रणनीति तैयार करने के लिये जल्द ही एक उत्तर पूर्व जल प्रबंधन प्राधिकरण (North East Water Management Authority-NEWMA) स्थापित करने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • प्राधिकरण की स्थापना चीन की महत्त्वाकांक्षी 62 बिलियन डॉलर की दक्षिण-उत्तर जल डायवर्जन योजना की पृष्ठभूमि के खिलाफ नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित एक उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएगी।
  • NEWMA, क्षेत्र में पनबिजली, कृषि, जैव विविधता संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, अंतर्देशीय जल परिवहन, वानिकी, मत्स्य और इको-पर्यटन से संबंधित सभी परियोजनाओं को विकसित करने के लिये सर्वोच्च प्राधिकरण होगा।
  • यह चीन से निकलने वाली नदियों के जल पर पूर्व उपयोगकर्त्ता अधिकारों को स्थापित करने के लिये भारत के प्रयासों में मदद करेगा।

शीर्ष निकाय की स्थापना के उद्देश्य

  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में उत्पादन, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और मिट्टी के कटाव पर ध्यान देना।
  • केंद्र-बिंदु में क्षेत्रों की जलविद्युत उत्पादन क्षमता बढाने के साथ-साथ, यह रणनीति ब्रह्मपुत्र के जल के लिये प्रथम-उपयोगकर्त्ता अधिकारों को स्थापित करने में भी मदद करेगी।

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और भूटान की कुल जलविद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 58,000 मेगावाट (MW) है। इसमें भारत का (अरुणाचल प्रदेश से) सर्वाधिक (50,328MW) योगदान है।

  • जलविद्युत परियोजनाएँ विकसित करने का उद्देश्य विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मज़बूत करना है।
  • भारत का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं को पूरी तरह से अपने हिस्से के पानी का उपयोग करने के लिये तेज़ करना है।

पृष्ठभूमि

  • भारत पूर्वोत्तर में फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं के द्वारा चीन से निकलने वाली नदियों के जल पर पूर्व उपयोगकर्त्ता अधिकार स्थापित करने हेतु ज़ोर दे रहा है।
  • इसके अलावा, जापान उत्तर-पूर्व के विकास के लिये भारत-जापान समन्वय मंच की स्थापना के माध्यम से क्षेत्र में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को तेज़ी से विकसित करने में भारत की सहायता कर रहा है।
  • इन उद्देश्यों को देखते हुए राजीव कुमार समिति की स्थापना अक्तूबर 2017 में की गई थी।

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जल संसाधन प्रबंधन हेतु पूर्व में उठाए गए कदम

  • मेघालय मंत्रिमंडल ने जल के प्रयोग और राज्य में जल स्रोतों के संरक्षण एवं जल बचाव के मुद्दे का समाधान करने हेतु जल नीति के मसौदे को मंज़ूरी दी है।
  • इस प्रकार मेघालय जल नीति को मंज़ूरी देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
  • इस नीति में जल के प्रयोग एवं आजीविका संबंधी तथा जल निकायों के संरक्षण जैसे सभी मुद्दों को रेखांकित किया गया है। साथ ही ग्रामीण स्तर पर जल स्वच्छता ग्राम परिषद का गठन करके इस नीति के कार्यान्वयन में सामुदायिक भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है।
  • हाल ही में मेघालय सरकार ने जल संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु जल शक्ति मिशन भी लॉन्च किया है।

स्रोत: लाइवमिंट

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