अंतर्राष्ट्रीय संबंध
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन
- 23 Jul 2021
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प्रिलिम्स के लियेनॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन मेन्स के लिये इस परियोजना के भू-राजनीतिक निहितार्थ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने ‘जर्मनी-रूस नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन’ (NS2P) परियोजना को मंज़ूरी दी है, जिससे रूस पर यूरोप की ऊर्जा निर्भरता काफी बढ़ जाएगी।
- अमेरिका ने इससे पूर्व रूस और जर्मनी के बीच इस गैस पाइपलाइन को पूरा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
प्रमुख बिंदु
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन
- यह 1,200 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है, जो रूस में उस्त-लुगा से जर्मनी में ग्रीफ्सवाल्ड तक बाल्टिक सागर के रास्ते होकर गुज़रती है। इसमें प्रतिवर्ष 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस ले जाने की क्षमता होगी।
- इस पाइपलाइन को बनाने का निर्णय वर्ष 2015 में लिया गया था।
- ‘नॉर्ड स्ट्रीम 1 सिस्टम’ को पहले ही पूरा किया जा चुका है और ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन’ के साथ मिलकर यह जर्मनी को प्रतिवर्ष 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति करेगा।
प्रभाव
- रूस पर यूरोपीय संघ की निर्भरता
- यह प्राकृतिक गैस के लिये रूस पर यूरोप की निर्भरता को और अधिक बढ़ाएगा, जबकि वर्तमान में यूरोपीय संघ के देश पहले से ही अपनी 40% गैस संबंधी आवश्यकताओं के लिये रूस पर निर्भर हैं।
- यूक्रेन पर नकारात्मक प्रभाव
- रूस और यूरोप के बीच एक मौजूदा पाइपलाइन है, जो कि यूक्रेन से होकर गुज़रती है, किंतु ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन’ परियोजना पूरी हो जाने के बाद यह यूक्रेन को बायपास कर देगी और इसके कारण यूक्रेन को प्रति वर्ष लगभग 3 बिलियन डॉलर के महत्त्वपूर्ण पारगमन शुल्क का नुकसान होगा।
- रूस के लिये भू-राजनीतिक जीत
- यह रूस के लिये एक भू-राजनीतिक जीत और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के लिये परेशानी का सबब हो सकती है।
संयुक्त राज्य का नया रुख:
- रूस को धमकी देने का नरम विकल्प:
- अमेरिका ने रूस को धमकी देने के लिये नरम विकल्प को अपनाया है कि यदि इस पाइपलाइन का उपयोग किया जाता है तो इससे यूक्रेन या पूर्वी यूरोप के अन्य देशों को नुकसान पहुँच सकता है।
- एक तरफ यह रूस के हाइड्रोकार्बन तक पहुँच प्राप्त करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शंका में डालता है, जो कि वर्ष 2014 के क्रीमियन संघर्ष और वर्ष 2016 तथा वर्ष 2020 के अमेरिकी चुनावों में कथित हस्तक्षेप जैसे अपराधों की एक शृंखला के लिये उत्तरदायी हैं। .
- रूस के खिलाफ जर्मनी का अपना अधिनियम:
- US-जर्मनी समझौता दर्शाता है कि अगर 'रूस ऊर्जा को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने और यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करने का प्रयास करता है' तो जर्मनी स्वयं प्रतिबंध लगाएगा तथा रूसी निर्यात को सीमित करेगा।
- ग्रीन फंड फॉर यूक्रेन:
- जर्मनी को मौजूदा रूस-यूक्रेन गैस पारगमन समझौते को 10 वर्ष तक बढ़ाने के लिये "सभी उपलब्ध शक्तियों या लाभों का उपयोग" करना है।
- जर्मनी को भी यूक्रेन की ऊर्जा व्यवस्था में सुधार हेतु नए निर्मित 1 बिलियन डॉलर के ग्रीन फंड में कम-से-कम 175 मिलियन डॉलर का योगदान करना है।