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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संवेदनशील जनजातियों की सुध लेने वाला कोई नहीं

  • 10 Apr 2017
  • 4 min read

समाचारों में क्यों ?
हाल ही में “भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण” (Anthropological Survey of India) ने अपने एक अध्ययन में बताया है कि आधारभूत सर्वेक्षण(base-line survey) के अभाव में भारत की कई संवेदनशील जनजातियाँ बदहाल जीवन बिता रही हैं और उनकी सुरक्षा के लिये कोई समुचित उपाय भी नहीं किया जा रहा है। विदित हो कि भारत में संवेदनशील जनजातियों के संबंध मे भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण द्वारा “भारत के विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह: विशेषाधिकार और परिस्थितियाँ” (The Particularly Vulnerable Tribal Groups of India: Privileges and Predicaments) नामक एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है।

अध्ययन से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु
मानव विज्ञान सर्वेक्षण के इस अध्ययन में इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है कि भारत के 75 संवेदनशील जनजातियों में से केवल 40 जनजातियों का ही आधारभूत सर्वेक्षण(base-line survey) किया गया है।

विदित हो कि भारत में सूचीबद्ध 75 संवेदनशील जनजातियों की सबसे बड़ी संख्या ओडिशा (13 संवेदनशील जनजातियाँ) में पाई जाती हैं, उल्लेखनीय है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सभी 5 जनजातियाँ, संवेदनशील जनजातियों की सूची में शामिल हैं।

आधारभूत सर्वेक्षण(base-line survey) महत्त्वपूर्ण क्यों ?
गौरतलब है कि संवेदनशील जनजातियों को सुरक्षित रखने में बेस लाइन सर्वे अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें संवेदनशील जनजातियों के परिवारों, उनके आवास और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाता है और फिर उन्हीं तथ्यों और आँकड़ों के आधार पर इन समुदायों के विकास के लिये पहल की जाती है। विदित हो कि करीब 35 संवेदनशील जनजातियों के संबंध में कोई बेस लाइन सर्वे नहीं किया गया है और यह इस बात का परिचायक है कि हमारी सरकारें इनकी सुरक्षा के प्रति कितनी गंभीर हैं। मानव विज्ञान सर्वेक्षण के इस अध्ययन में इस बात पर बल दिया गया है कि संवेदनशील जनजातियों के सटीक जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक आँकड़े जुटाने के लिये राज्य सरकारों को तत्काल ऐसे सर्वेक्षण करने होंगे।

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण” (Anthropological Survey of India)
भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India) भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाला एक अग्रणी अनुसंधान संगठन है जो भौतिक मानवशास्त्र तथा सांस्कृतिक मानवशास्त्र के क्षेत्र में कार्यरत है। यह संस्थान भारत के 'संवेदनशील और अत्‍यधिक संवेदनशील माने जाने वाले वर्गों के जैव-सांस्‍कृतिक पहलुओं के क्षेत्रों में मानव विज्ञान संबंधी अनुसंधान में प्रयासरत है। इनके अलावा सर्वेक्षण कई अन्‍य समयसंगत गतिविधियों में लगा है जिनमें नृवंश सामग्री और प्राचीन मानव कंकाल अवशेषों को एकत्र करना, उनका संरक्षण करना, उनकी देखरेख करना, उनके बारे में आँकड़े तथा दस्‍तावेज तैयार करना और उनका अध्‍ययन करना शामिल हैं। इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।

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