नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

सूचना का गैर-प्रकटीकरण

  • 27 Apr 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश का पालन करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक को अंतिम अवसर दिया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के मुताबिक, भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट और विलफुल डिफॉल्टरों की सूची का खुलासा करना है।

वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट क्या है?

  • आरबीआई (RBI) वाणिज्यिक बैंकों, सार्वजनिक और निजी दोनों का वार्षिक वित्तीय निरीक्षण करता है।
  • बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 35 के तहत बैंकों का निरीक्षण करने के लिये रिज़र्व बैंक सशक्त है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करते हैं।
  • यह रिपोर्ट बैंकों की विफलता की संभावना का पता लगाने के लिये बैंक के जोखिम आधारित पर्यवेक्षण- क्रेडिट जोखिम, बाज़ार जोखिम और परिचालन जोखिम को देखती है।

पृष्ठभूमि

  • भारतीय रिज़र्व बैंक बनाम जयंतीलाल एन. मिस्त्री और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई अधिनियम के तहत मांगी गई वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट और विलफुल डिफॉल्टरों की सूची के बारे में जानकारी (रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित और संचालित बैंकों के संबंध में) का खुलासा करने का निर्देश दिया था।

आरबीआई (RBI) का रुख

  • आरबीआई (RBI) ने बैंकों के आर्थिक हित, वाणिज्यिक विश्वास, विश्वास पर आधारित संबंध या सार्वजनिक हित के चलते पहले इस तरह की जानकारी को बताने से इनकार कर दिया था।

SC के फैसले का सारांश

  • आरबीआई (RBI) से यह उम्मीद की जाती है कि वह जनहित को केंद्र में रखे, न कि किसी बैंक का हित।
  • आरबीआई (RBI) के स्पष्ट रूप से किसी भी बैंक के साथ किसी भी प्रकार के विश्वासाश्रित संबंध नहीं है।
  • किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र या निजी क्षेत्र के बैंक के लाभ को अधिकतम करना आरबीआई (RBI) का कानूनी कर्त्तव्य नहीं है।
  • इसके अलावा, इस तरह की जानकारी का खुलासा करने के बजाय उसे रोकना राष्ट्र के आर्थिक हित के लिये हानिकारक होगा।
  • आरबीआई (RBI) का सांविधिक कर्त्तव्य है कि वह जनता के हित को देखते हुए बड़े पैमाने पर जमाकर्त्ताओं को देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र में बनाए रखे।
  • आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना और मांगी गई जानकारी का खुलासा करना आरबीआई (RBI) का कर्त्तव्य है।

निर्णय के प्रभाव

  • आरबीआई (RBI) को वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट और अन्य सामग्री को उपलब्ध कराना होगा।
  • हालाँकि यह आदेश बैंकों के मामलों में अधिक पारदर्शिता प्रदान करेगा, लेकिन यह आरबीआई (RBI) की नियामक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
  • आरबीआई (RBI) की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट में बैंकों से संबंधित जानकारी अत्यधिक संवेदनशील होती है। इन प्रयासों के माध्यम से रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता है कि बैंकिंग प्रणाली न्यूनतम व्यवधान के साथ सुचारु रहे।

क्या है आरटीआई अधिनियम?

  • सूचना का अधिकार (Right To Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने का अनुरोध कर सकता है जो उसे 30 दिन के अंदर मिल जानी चाहिये।
  • इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजानिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।
  • यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर (यहाँ जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों पर लागू होता है।
  • इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow