चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार 2023 | 03 Oct 2023
प्रिलिम्स के लिये:नोबेल पुरस्कार, mRNA वैक्सीन, आधार/क्षार संशोधित mRNA, कोविड-19 मेन्स के लिये:वायरल संक्रमण के उपचार में वैक्सीन की कार्य-प्रणाली, वैज्ञानिक नवाचार और खोज |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
मेडिसिन या फिजियोलॉजी/ शारीर क्रिया विज्ञान में वर्ष 2023 का नोबेल पुरस्कार कैटालिन कारिको और ड्रियू वीसमैन को मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (mRNA) के न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधन पर उनके अभूतपूर्व कार्य के लिये दिया गया है।
- वर्ष 2020 की शुरुआत में शुरू हुई कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 के विरुद्ध प्रभावी mRNA वैक्सीन विकसित करने के लिये इन दोनों नोबेल पुरस्कार विजेताओं की खोज़ महत्त्वपूर्ण रही।
कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन की खोज:
- चुनौती/कठिनाई को समझना:
- इस अनुक्रिया से संभावित रूप से हानिकारक दुष्प्रभाव हो सकते हैं और टीके की प्रभावकारिता कम हो सकती है।
- कोशिकाओं में बाह्य पदार्थों का पता लगाने की अंतर्निहित क्षमता होती है। डेंड्राइटिक कोशिकाएँ जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, उनमें इन विट्रो ट्रांसक्राइब्ड mRNA को बाह्य पदार्थ के रूप में पहचानने की क्षमता है, जिससे एक अनुक्रिया शुरू होती है।
- इसके अलावा एक और चुनौती इस तथ्य से उत्पन्न हुई कि इनविट्रो ट्रांसक्राइब्ड mRNA अत्यधिक अस्थिर था और शरीर के भीतर एंज़ाइमों में ह्रास के प्रति संवेदनशील था।
- इस अनुक्रिया से संभावित रूप से हानिकारक दुष्प्रभाव हो सकते हैं और टीके की प्रभावकारिता कम हो सकती है।
नोट:
- इन विट्रो ट्रांसक्राइब्ड mRNA एक प्रकार का सिंथेटिक RNA है जिसे प्रयोगशाला में DNA टेम्पलेट और RNA पोलीमरेज़ का प्रयोग करके उत्पादित किया जाता है।
- इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है, जैसे RNA अनुसंधान, टीके या प्रोटीन निर्माण।
- कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन द्वारा की गई खोज:
- कारिको और वीसमैन ने अपनी खोज में पाया कि डेंड्राइटिक कोशिकाएँ इनविट्रो ट्रांसक्राइब्ड mRNA को बाह्य/विदेशी के रूप में पहचानती हैं, उन्हें सक्रिय करती हैं तथा सूजन संबंधी संकेत जारी करती हैं।
- कारिको और वीसमैन ने यह जानने का प्रयत्न किया कि स्तनधारी कोशिकाओं के mRNA के विपरीत डेंड्राइटिक कोशिकाओं ने mRNA को विदेशी/बाह्य रूप में क्यों चिह्नित किया।
- स्तनधारी कोशिकाएँ यूकेरियोटिक कोशिकाएँ हैं जो पशु जाति से संबंधित हैं तथा इनमें एक केंद्रक और अन्य मेम्ब्रेन-बाउंड ओर्गेनेल्स होते हैं।
- इसने उन्हें यह समझने में मदद की कि mRNA के इन दो प्रकारों के गुण निश्चित ही विभिन्न हैं।
- प्रमुख खोज:
- डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड की तरह RNA में भी चार बेस होते हैं: ए, यू, जी और सी। कारिको और वीसमैन ने पाया कि स्तनधारी कोशिकाओं के प्राकृतिक आर.एन.ए. के बेस में अक्सर रासायनिक बदलाव होते रहते हैं।
- उन्होंने अनुमान लगाया कि लैब-निर्मित mRNA में इन बदलावों के न होने की स्थिति में सूजन संबंधी अभिक्रियाएँ हो सकती हैं।
- इसका परीक्षण करने के लिये, उन्होंने अद्वितीय रासायनिक परिवर्तनों वाले विभिन्न mRNA वेरिएंट का निर्माण किया और उन्हें डेंड्राइटिक कोशिकाओं में वितरित किया। उनके निष्कर्षों के अनुसार, mRNA में बेस परिवर्तन करने से सूजन संबंधी अभिक्रियाएँ काफी कम हो गईं।
- इस खोज ने mRNA की चिकित्सीय क्षमता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला तथा कोशिकाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के mRNA की पहचान करने और उसके साथ अभिक्रिया को समझने में मदद की।
- वर्ष 2008 और 2010 के अध्ययनों से पता चला कि बेस संशोधनों के साथ mRNA ने प्रोटीन उत्पादन में वृद्धि की।
- यह प्रभाव प्रोटीन उत्पादक एंजाइम की सक्रियता में कमी से संबंधित था।
- कारिको और वीसमैन के शोध ने mRNA को नैदानिक अनुप्रयोगों के लिये अधिक उपयुक्त बनाते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- बेस-मॉडिफाइड mRNA टीकों का अनुप्रयोग:
- mRNA प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वर्ष 2010 तक कई कंपनियां विभिन्न उद्देश्यों के लिये इस पद्धति को सक्रिय रूप से विकसित करने पर ज़ोर दिया।
- प्रारंभ में जीका वायरस जैसी बीमारियों के खिलाफ टीकों की खोज की गई, जो SARS-CoV-2 से निकटता से संबंधित है।
- कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ SARS-CoV-2 प्रोटीन को एन्कोड करने वाले बेस-मॉडिफाइड mRNA वैक्सीन को तीव्रता से विकसित किया गया।
- इन वैक्सीनों ने लगभग 95% सुरक्षात्मक प्रभाव प्रदर्शित किये, साथ ही इन्हें दिसंबर 2020 की शुरुआत में मंज़ूरी मिल गई।
- mRNA वैक्सीनों का निर्माण उल्लेखनीय रूप से अनुकूलनीय और त्वरित था, जिसने उन्हें विभिन्न संक्रामक बीमारियों के खिलाफ संभावित रूप से उपयोगी बना दिया।
- सामूहिक रूप से विश्व भर में 13 बिलियन से अधिक कोविड-19 वैक्सीन खुराकें दी गई हैं, जिससे लाखों लोगों की जान बचाई गई है और गंभीर बीमारी को रोका गया है।
- गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान यह गेम-चेंजिंग खोज इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार विजेताओं द्वारा mRNA में आधार परिवर्तनों के महत्त्व को समझने में निभाई गई भूमिका पर ज़ोर देती है।
mRNA टीके और उनके कार्य:
- mRNA का अर्थ मैसेंजर RNA है, एक अणु जो DNA से आनुवंशिक जानकारी को कोशिका की प्रोटीन निर्माण मशीनरी तक ले जाता है।
- mRNA टीके सिंथेटिक mRNA का उपयोग करते हैं जो रोगज़नक से एक विशिष्ट प्रोटीन को एनकोड करता है, जैसे कि कोरोनोवायरस का स्पाइक प्रोटीन।
- जब mRNA वैक्सीन को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, तो कुछ कोशिकाएँ mRNA ग्रहण कर लेती हैं और प्रोटीन का उत्पादन करने के लिये इसका उपयोग करती हैं। प्रोटीन तब एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है जो एंटीबॉडी और मेमोरी कोशिकाओं का उत्पादन करता है जो भविष्य में रोगज़नक को पहचान सकते हैं एवं उससे लड़ सकते हैं।
- mRNA टीके उत्पादन में तीव्र और कम खर्चीले हैं, क्योंकि उन्हें सेल कल्चर या जटिल शुद्धिकरण प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है।
- mRNA टीके भी अधिक लचीले और अनुकूलनीय हैं, क्योंकि उन्हें रोगजनकों के नए वेरिएंट या उपभेदों को लक्षित करने के लिये आसानी से संशोधित किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. कोविड-19 वैश्विक महामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में कौन से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b)मेन्स: प्रश्न. वैक्सीन के विकास के पीछे मूल सिद्धांत क्या है? वैक्सीन कैसे काम करती हैं? कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन के लिये भारतीय वैक्सीन निर्माताओं द्वारा क्या दृष्टिकोण अपनाए गए थे? (2022) |