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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आई.सी.ए.एन. को प्राप्त हुआ 2017 का नोबेल शांति पुरस्कार

  • 07 Oct 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

  • दुनिया भर के 100 से अधिक देशों के गैर-सरकारी संगठनों के गठबंधन आई.सी.ए.एन. (International Campaign to Abolish Nuclear Weapons - ICAN) को वर्ष 2017 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी (Norwegian Nobel Committee) द्वारा जिनेवा स्थित आई.सी.ए.एन. को "परमाणु हथियारों के किसी भी रूप में इस्तेमाल होने से उत्पन्न होने वाले विनाशकारी मानवतावादी परिणामों के विषय में ध्यान आकर्षित करने तथा इस प्रकार के हथियारों के संबंध में संधि-आधारित निषेधात्मक प्रयास करने” के लिये सम्मानित किया गया।
  • आई.सी.ए.एन. अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में प्रयास करने वाली विश्व की प्रमुख संस्था है।

आई.सी.ए.एन. का पक्ष

  • नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त होने के संबंध में आई.सी.ए.एन. द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस सम्मान से उन्हें न केवल आगे बढ़ते रहने हेतु प्रोत्साहन प्राप्त होगा, बल्कि इससे शांति की दिशा में किये जा रहे संस्था के प्रयासों को एक नया मार्गदर्शन भी मिलेगा जिसके बल पर संपूर्ण विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व में तब्दील करने में मदद प्राप्त होगी। 

वर्तमान की स्थिति

  • ध्यातव्य है कि जुलाई 2017 में विश्व के तकरीबन 122 देशों द्वारा परमाणु हथियारों के निषेध पर एक संयुक्त राष्ट्र संधि को अपनाया गया था, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका सहित रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे परमाणु हथियार सम्पन्न राष्ट्र इस वार्ता में शामिल नहीं हुए।
  • आई.सी.ए.एन. को शांति का नोबेल पुरस्कार एक ऐसे समय में प्राप्त हुआ है जब न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु हथियारों के परीक्षण एवं प्रयोग को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है, बल्कि वर्ष 2015 में ईरान और विश्व की अन्य प्रमुख ताकतों के मध्य हुए एक सौदे (जिसमें तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने संबंधी प्रावधान किये गए थे) को लेकर भी तनाव बना हुआ है। 
  • आई.सी.ए.एन. को शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस पुरस्कार से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा परमाणु हथियारों के निषेध के संदर्भ में किये जा रहे प्रयासों को प्रभाव में लाने हेतु आवश्यक 55 अनुमोदनों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। वस्तुत: यह एक सराहनीय कदम है।

पुरस्कार की दौड़ में शामिल अन्य लोग 

  • इस साल शांति के नोबेल पुरस्कार की दौड़ में आई.सी.ए.एन. के अतिरिक्त पोप फ्रॉंसिस, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ तथा सऊदी अरब के ब्लॉगर रैफ बदावी भी शामिल थे। 
  • नोबेल पुरस्कार समिति द्वारा पुरस्कार की घोषणा करते समय इस बात पर विशेष बल दिया कि यदि समय रहते इन हथियारों के संबंध में ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में इसके बहुत अधिक विनाशकारी परिणाम साबित हो सकते हैं। 

आई.सी.ए.एन. क्या है?

  • 'इंटरनेशनल कैम्पेन टू अबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स' यानी आईकैन सौ से ज़्यादा देशों में काम करने वाली गैर-सरकारी संस्थाओं का समूह है। 
  • इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। 30 अप्रैल,  2007 को विएना में औपचारिक तौर पर इसे लॉन्च किया गया। 
  • स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में इसका मुख्यालय हैं।

इससे संबद्ध भारत के तीन संगठन हैं 

  • ‘इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेवलेपमेंट’।
  • ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पीस, डिसआर्नामेंट एंड एनवायरमेंट प्रोटेक्शन’।
  • ‘पापुलर एजु़केशन एंड एक्शन सेंटर’।

शांति पुरस्कार क्यों दिया जाता है

  • शांति का नोबेल पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति अथवा संस्था को दिया जाता है जो दो देशों के मध्य सद्भाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ समाज की बेहतरी के लिये काम करते है। 
  • भारत में अभी तक केवल मदर टेरेसा और कैलाश सत्यार्थी को शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 
  • उल्लेखनीय है कि शांति के नोबेल पुरस्कार को ओस्लो में प्रदान किया जाता है, जबकि अन्य पुरस्कारों को स्टॉकहोम में दिया जाता हैं। विदित हो कि नोबेल पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान नहीं किये जाते हैं।
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