एनआरसी लिस्ट से बाहर होना विदेशी होने की घोषणा नहीं : गृह मंत्रालय | 24 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय ने कहा है कि जो लोग नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीज़न (NRC) का हिस्सा नहीं हैं उन्हें अपने आप विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। ऐसे लोगों को दावा और आपत्ति दर्ज कराने के लिये एक महीने का समय दिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें न्यायिक सहायता भी मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
- सरकार 31 अगस्त तक अंतिम एनआरसी प्रकाशित करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये तथा इसके सुधार की निगरानी के लिये भारतीय रजिस्ट्रार जनरल (RGI) से भी अपेक्षा करती है।
- एनआरसी 30 जुलाई को प्रकाशित किया जाना है। यह केवल एक मसौदा है और इसके प्रकाशन के बाद जिनका नाम इसमें से हटाया जाएगा, उन्हें दावा और आपत्ति दायर करने के लिये पर्याप्त अवसर दिया जाएगा।
- सभी दावों एवं आपत्तियों की उचित तरीके से जाँच की जाएगी। शिकायतकर्त्ताओं को पर्याप्त समय देने के बाद सभी आपत्तियों और शिकायतों की जाँच होगी और उसके बाद एनआरसी अधिकारी एक महीने का समय देंगे। इसके बाद ही अंतिम एनआरसी का प्रकाशन किया जाएगा।
- गृह मंत्रालय के मुताबिक अंतिम एनआरसी से अलग किये जाने का मतलब यह नहीं कि किसी को विदेशी घोषित किया जाएगा। यदि कोई असंतुष्ट है तो वह राज्य में विदेशी न्यायाधिकरण के पास न्याय के लिये जा सकता है। असम में करीब 300 विदेशी न्यायाधिकरण हैं।
- मंत्रालय के अनुसार, किसी को भी इस काम से डरने की ज़रूरत नहीं है। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति से निपटने में राज्य प्रशासन की मदद करने के लिये पर्याप्त संख्या में अर्धसैनिक बलों को असम भेजा गया है।
- उल्लेखनीय है कि एनआरसी को 15 अगस्त, 1985 को हस्ताक्षर किये गए "असम समझौते" के अनुसार अद्यतन किया जा रहा है और यह प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार की जा रही है।
एनआरसी असम क्या है?
- एनआरसी का पूरा रूप नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर है। एनआरसी वह रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। रजिस्टर में उस जनगणना के दौरान गणना किये गए सभी व्यक्तियों के विवरण शामिल थे।
- वर्तमान में असम में एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। असम में एनआरसी अपडेट को नियंत्रित करने वाले प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 में दिये गए हैं।
- एनआरसी अद्यतन के लिये प्रारूप को संयुक्त रूप से असम सरकार और भारत सरकार द्वारा विकसित किया गया है।
- असम में घुसपैठियों के ख़िलाफ़ वर्ष 1979 से छह साल तक चले लंबे आंदोलन के बाद 15 अगस्त, 1985 को केंद्र की राजीव गांधी सरकार और आंदोलनकारी नेताओं के बीच असम समझौता हुआ था।
- उसी समझौते के आधार पर सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एनआरसी को अपडेट करने का काम चल रहा है। असम समझौते के मुताबिक 25 मार्च, 1971 के बाद असम में आए सभी बांग्लादेशी नागरिकों को यहाँ से जाना होगा चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान।