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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन शमन के लिये नाइट्रोजन प्रबंधन

  • 05 Feb 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये :

नाइट्रोजन और जलवायु परिवर्तन

मेन्स के लिये:

नाइट्रोजन का पोषक तत्त्वों से प्रदूषक में बदलना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) द्वारा प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन (Reactive Nitrogen) के बारे में फ्रंटियर्स रिपोर्ट (Frontiers Report) का प्रकाशन किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन द्वारा उत्पन्न किया जा रहा एक मिश्रण स्वास्थ्य, जलवायु तथा पारिस्थितिक तंत्र के लिये खतरा बनकर उभरा है।
  • यह अध्ययन 2018 -2019 के दौरान किया गया, जिसने नाइट्रोजन प्रदूषक को एक व्यापक चेतावनी के रूप में पेश किया है, फिर भी यह समस्या बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक समझ के परे अज्ञात और अनजान बनी हुई है।

रिपोर्ट से संबंधित महत्त्वपूर्ण पक्ष:

  • यूरोपीय नाइट्रोजन मूल्यांकन (European Nitrogen Assessment) में नाइट्रोजन प्रदूषण के पाँच प्रमुख खतरों की पहचान की गई है:
    1. पानी की गुणवत्ता
    2. वायु गुणवत्ता
    3. ग्रीनहाउस गैस संतुलन
    4. पारिस्थितिक तंत्र
    5. जैव विविधता
  • नाइट्रोजन प्रदूषण और संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के स्तर में तेज़ वृद्धि के कारकों में कृषि, परिवहन, उद्योग और ऊर्जा क्षेत्रों की बढ़ती मांग मुख्यतया ज़िम्मेदार है। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड से 300 गुना अधिक शक्तिशाली है।

नाइट्रोजन जनित समस्याएँ:

  • एल्गी प्रस्फुटन:
    उर्वरक, जल-वाह (Run-off) झीलों और जलमार्गों में एल्गी प्रस्फुटन (Algal Blooms) के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • मृत क्षेत्र :
    • ‘मृत क्षेत्र’ हाइपोक्सिया (Hypoxia) के लिये एक अधिक सामान्य शब्द है, जो पानी में ऑक्सीजन के कम स्तर को संदर्भित करता है।
    • हाइपोक्सिक क्षेत्र स्वाभाविक रूप से भी निर्मित हो सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक मानव गतिविधियों द्वारा निर्मित या विकसित के बारे में चिंतित हैं। हालाँकि कई भौतिक, रासायनिक और जैविक कारक हैं जो मृत क्षेत्रों के निर्माण के लिये ज़िम्मेदार है, लेकिन पोषक तत्त्वों से युक्त प्रदूषण मानव द्वारा बनाए गए इन क्षेत्रों का प्राथमिक कारण है।
    • इसके अतिरिक्त पोषक तत्त्व जो भूमि से बाहर निकलते हैं या अपशिष्ट जल के रूप में नदियों और तटों में जमा होते हैं, शैवालों की अतिवृद्धि की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं, जो कि एक सीमा के बाद पानी के तल में बैठ जाते हैं और विघटित हो जाते हैं। अपघटन प्रक्रिया ऑक्सीजन का उपभोग करती है और स्वस्थ समुद्री जीवन के लिये उपलब्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम करती है तथा ‘मृत क्षेत्र’ का निर्माण करती है ।
  • ग्लोबल वार्मिंग:
    जीवाश्म ईंधन और बायोमास दहन प्रक्रियाएँ नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) छोड़ती हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से NOx कहा जाता है। NOx एक अप्रत्यक्ष ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिये ज़िम्मेदार गैस है।
  • अम्ल-वर्षा:
    कृषि से अमोनिया (NH3) का उत्सर्जन होता है जो अंततः प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों तक पहुँचता है तथा ग्रीनहाउस गैस नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन को बढ़ाता है।यह अंतिम उत्पाद के रूप में अम्लीय वर्षा के लिये उत्तरदायी है।
  • शीतलन प्रभाव:
    अमोनिया गौण पार्टिकुलेट मैटर (PM-2.5) बनाने के लिये NOx के उत्पादों के साथ प्रतिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप PM-2.5 का वास्तव में जलवायु पर शीतलन प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह प्रकाश बिखेरता है और बादलों के निर्माण को बढ़ावा देता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी:

  • स्कॉटलैंड अपने 2019 जलवायु परिवर्तन विधेयक में नाइट्रोजन बजट शामिल करने वाले देशों में से एक है।
  • श्रीलंका की सरकार UNEP और अंतर्राष्ट्रीय नाइट्रोजन प्रबंधन प्रणाली के साथ सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन पर संयुक्त राष्ट्र वैश्विक अभियान शुरू करने के लिये तैयार है।

नाइट्रोजन चक्र:

एक पारिस्थितिकीय परिप्रेक्ष्य से नाइट्रोजन चक्र में निम्न चरणों का समावेश होता है:

  • नाइट्रोजन फिक्सेशन (Nitrogen Fixation):
    वायुमंडलीय नाइट्रोजन मुख्य रूप से निष्क्रिय रूप (N2) में होता है जो कुछ जीवों द्वारा उपयोग किया जा सकता हैं; इसलिये इसे नाइट्रोजन निर्धारण (Fixation) नामक प्रक्रिया में जैविक या किसी अन्य निश्चित रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिये।
  • नाइट्रीफिकेशन (Nitrification):
    अमोनिया का नाइट्रेट में परिवर्तन- नाइट्रोसोमोनस जीवाणु अमोनिया को नाइट्रेट में तथा नाइट्रोबेक्टर द्वारा नाइट्रेट को नाइट्राइट में बदला जाता है।
  • एस्सिमिलेशन (Assimilation):
    विभिन्न रूपों में नाइट्रोजन यौगिक, जैसे कि नाइट्रेट, नाइट्राइट, अमोनिया और अमोनियम के रूप में मिट्टी में नाइट्रोजन का प्रवेश।
  • अमोनीफिकेशन (Ammonification):
    जैविक अपशिष्ट या जब जानवर अपशिष्ट का उत्सर्जन करते हैं, ऑर्गेनिक पदार्थ के रूप में नाइट्रोजन मिट्टी में पुनः प्रवेश करता है जहाँ अन्य विघटनकारी जीव इसे तोड़ने का कार्य करते हैं। इस विघटन से अमोनिया उत्पन्न होती है जो अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिये उपलब्ध होती है।
  • डिनाइट्रीफिकेशन (Denitrification):
    यदि जलाक्रांत जैसी अवस्था होती है तो स्यूडोमोनास जैसे जीवाणु नाइट्रेट को अंतिम रूप से नाइट्रस ऑक्साइड और नाइट्रोजन में बदल देते हैं।

Nitrogen-cycle

स्त्रोत: UNEP report

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