अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से पूर्वोत्तर में व्यवसाय और रोज़गार की नई राह | 29 Dec 2017
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय शिपिंग, सड़क परिवहन राजमार्ग जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा असम में शिपिंग मंत्रालय के फ्लेगशिप सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग – 2 (National Waterway - NW 2 के माध्यम से पहले सीमेन्ट कार्गो परिवहन का उद्घाटन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह कदम देश में आर्थिक रूप से मज़बूत और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन को बढ़ावा देने के भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के रूप में मील का पत्थर साबित होगा।
- इस मार्ग के माध्यम से 200-200 मीट्रिक टन क्षमता वाले दो माल ढुलाई पोत कुल 400 मीट्रिक टन सीमेंट भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India’s) के पाण्डु बंदरगाह (Pandu Port) से 255 किलोमीटर की दूरी तय कर ढुबरी (Dhubri) ले जाने में सक्षम होंगे।
- एनडब्ल्यू-2 के माध्यम से पाण्डु से ढुबरी तक कार्गो परिवहन से प्रतिचक्र माल ढुलाई की तुलना में सड़क परिवहन के 1,50,000 टन किलोमीटर की और माल की लागत कम करने में 300 किलोमीटर सड़क यात्रा की बचत होगी।
- इस संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एक हॉर्स पावर द्वारा सड़क से 150 किलोग्राम और रेल से 500 किलोग्राम ढुलाई हो सकती है, जबकि जल मार्ग से 4000 किलोग्राम माल ढोया जा सकता है।
- इसी प्रकार जहाँ एक ओर 1 लीटर ईंधन से सड़क मार्ग के माध्यम से 24 टन प्रति किलोमीटर, रेल से 85 टन किलोमीटर माल ढोया जा सकता है, वहीं जलमार्ग के माध्यम से 105 टन प्रति किलोमीटर माल ढोया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त सड़क और रेल की तुलना में अंतर्देशीय जल परिवहन (Inland Water Transport - IWT) के लिये ज़मीन की भी न्यूनतम आवश्यकता होती है।
इसके लाभ क्या-क्या हैं?
- आईडब्ल्यूएआई (Inland Waterways Authority of India - IWAI) पाण्डु से ढुबरी/हटसिंगींमरी (Pandu to Dhubri/Hatsingimari) तक जलमार्ग परिवहन शुल्क के रूप में केवल 318 रुपए प्रति टन के हिसाब से शुल्क लिया जाएगा।
- इससे उद्यमियों और माल परिवहन ऑपरेटरों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे लागत प्रभावी तथा पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन को अपनाएंगे।
- साथ ही इससे सड़कों पर लगने वाला जाम भी कम हो जाएगा।
- आईडब्ल्यूएआई बड़ी सीमेंट फर्मों जैसे डालमिया, स्टार और अमृत के साथ निरंतर संपर्क में है और वे जलमार्ग से कार्गो परिवहन में रुचि ले रहे हैं। प्रयास किया जा रहा है कि अन्य कार्गो मालिक भी जलमार्ग से माल परिवहन को अपनाएँ।
- इससे माल ढुलाई की लागत में काफी कमी आएगी और अधिक व्यवसाय एवं रोज़गार अवसर उपलब्ध होंगे।
शिपिंग मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित पक्षों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा हैः-
- उत्तर पूर्व क्षेत्र को कोलकाता, हल्दिया, मोंगल और चिटगाँव बंदरगाहों से जोड़ना।
- उत्तर पूर्व क्षेत्र में श्रेष्ठ माल भेजना।
- नदी किनारों पर रोल ऑन-रोल ऑफ (माल लादना उतारना) सेवाएँ स्थापित करना।
- सशस्त्र बलों के लिये आवागमन की सुविधा प्रदान करना।
वाणिज्यिक नेविगेशन हेतु ब्रह्मपुत्र नदी (एन.डब्ल्यू. -2) पर विकास
- पाण्डु बंदरगाह की भौगोलिक स्थिति के कारण यह एन.डब्ल्यू. -2 प्रमुख टर्मिनलों में से एक है। वर्ष भर कार्गो को लादने और उतारने के लिये दोनों उच्च और निम्न स्तर की प्रबलित कंक्रीट घाटों का निर्माण किया गया है।
- इस बंदरगाह को बहु-मॉडल वाले और आधुनिक अंतर्देशीय जल परिवहन टर्मिनल के रूप में विकसित किया गया। इसमें कार्गो रख-रखाव सुविधाएँ, पारगमन शेड और उपयुक्त खुला स्थान/हार्ड स्टैण्ड की सुविधाएँ प्रदान की गई है।
- एन. डब्ल्यू-2 के संपूर्ण मार्ग पर दिन में नेविगेशन चिह्न लगाए गए हैं। रात्रि नेविगेशन सुविधाओं के लिये बांग्लादेश सीमा और सिलघाट (440 किलोमीटर) के बीच सौर ऊर्जा चालित प्रकाश व्यवस्था प्रदान की गई है।
- पोतों के सुरक्षित नेविगेशन के लिये चार स्थानों अर्थात् ढुबरी, जोगीघोपा बिश्वनाथघाट और डिब्रूगढ़ पर इलेक्ट्रोनिक चार्टों सहित डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशिंनिंग सिस्टम (Differential Global Positioning System (DGPS) केंद्र स्थापित किये गए हैं।
- 12 महत्त्वपूर्ण स्थानों अर्थात् हटसिंगींमरी (Hatsingimari), ढुबरी, जोगीघोपा (Jogighopa), पॉण्डु, तेजपुर, सिलघाट, बिश्वनाथघाट (Biswanathghat), निमटी (Neamati), सेन्गाजन (Sengajan), बोगीबिल (Bogibil), डिब्रूगढ़/ओकलैंड (Dibrugarh/Oakland) और ओरिंमघाट (Oriumghat) पर तैरती टर्मिनिल सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।
- हालाँकि स्थानों की आवश्यकता के अनुसार इनकी संख्या में और वृद्धि की जाएगी।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र (North East Region (NER) में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिये पिछले तीन वर्षों में नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है।
- राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत, 2016 में अधिसूचित 106 नए राष्ट्रीय जलमार्गों में से 19 जलमार्ग एनईआर में हैं।
- इनमें से कुछ एनडब्ल्यू -16 (नदी बराक), एनडब्ल्यू -95 (नदी सुबनसिरी), एनडब्ल्यू -39 (नदी गणोल), एनडब्ल्यू -93 (नदी सिमसंग), एनडब्ल्यू -101 (नदी तिज़ू और जुंग्की), एनडब्ल्यू -31 (धनसिरी), एनडब्ल्यू -62 (नदी लोहित), एनडब्ल्यू -106 (नदी उमगोट), एनडब्ल्यू -18 (बेकी नदी) प्रमुख हैं।
वर्तमान स्थिति
- जनवरी 2017 में राष्ट्रीय जलमार्ग 16 के रूप में बराक नदी के लखीपुर-भंगा खंड के विकास की नींव रखी गई।
- करीमगंज और बदरपुर में स्थित टर्मिनलों के आधुनिकीकरण के लिये डीपीआर का कार्य चल रहा है।
- मई 2017 में, आईडब्ल्यूएआई द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र विभाग (डीओईईआर) के साथ मिलकर मुख्य रूप से ब्रह्मपुत्र नदी पर कार्गो और यात्री परिवहन की क्षमता प्रकट के लिये एक रोड शो का आयोजन किया गया।
- पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के रेगुलर ओवर-डायमेन्शनल-कंसाइनमेंट (ओडीसी) ट्रान्सफॉर्मर्स, जो रेल और सड़क द्वारा नहीं ले जाए जा सकते, ब्रह्मपुत्र (एनडब्ल्यू -2) में ले जाए जा रहे हैं।