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नीति आयोग ने CCUS नीति ढाँचा किया जारी

  • 29 Nov 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये :

कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS), कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, नीति आयोग, कार्बन टैक्स, आईपीसीसी, कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम

मेन्स के लिये :

कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS), CCUS प्रक्रिया का महत्त्व, CCUS से जुड़ी चुनौतियाँ, आगे की राह।

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अनुसंधान एवं शिक्षा जगत के विशेषज्ञों ने कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS) में सरकार तथा उद्योग दोनों से निवेश की आवश्यकता और CCUS के माध्यम से भारत के शुद्ध शून्य लक्ष्यों की दिशा में सहयोगात्मक रूप से काम करने के लिये क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों के महत्त्व पर प्रकाश डाला।

कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज (CCUS) क्या है?

  • CCUS के बारे में : सीसीयूएस, प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं का एक समूह है जिसका उद्देश्य बिजली संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं तथा रिफाइनरियों जैसे बड़े पैमाने के बिंदु स्रोतों से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करना है।
  • उद्देश्य: CCUS का प्राथमिक उद्देश्य CO2 को वायुमंडल में फैलने से रोकना है तथा इसे उद्योगों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीति माना जाता है।
  • प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण शामिल हैं:
    • कैप्चर: इस चरण में इस स्रोत से वायु में छोड़े जाने से पहले CO2 उत्सर्जन का अवशोषण करना शामिल है
      • विभिन्न कैप्चर प्रौद्योगिकियाँ हैं, जिनमें दहन के बाद का कैप्चर, दहन-पूर्व कैप्चर और ऑक्सी-ईंधन दहन शामिल हैं।
    • परिवहन: इस चरण में संपीड़ित CO2 को पोत (ship) या पाइपलाइन द्वारा कैप्चर बिंदु से भंडारण बिंदु तक ले जाना शामिल है।
    • भंडारण: परिवहित CO2 भूमिगत भूवैज्ञानिक संरचनाओं में संग्रहीत होता है जिसमें समाप्त हो चुके तेल और गैस क्षेत्र या गहरे खारे जलभृत शामिल होते हैं।
    • उपयोग: एक बार संग्रहीत कर लेने के बाद CO2 को मुक्त होने के बदले विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। इसमें रसायन या ईंधन निर्माण जैसी औद्योगिक प्रक्रियाओं में CO2 का उपयोग शामिल हो सकता है। 

CCUS का महत्त्व क्या है?

  • डीकार्बोनाइज़ेशन में रणनीतिक भूमिका:
    • 'भारत में कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण के लिये नीति फ्रेमवर्क और परिनियोजन तंत्र' शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में, नीति आयोग विशेष रूप से हार्ड-टू-एबेट/Hard-to-abate  (कठिनता-से-मुक्ति) वाले क्षेत्रों में उत्सर्जन को कम करने की रणनीति के रूप में CCUS के महत्त्व पर बल देता है। 
      • हार्ड-टू-एबेट उद्योगों में स्टील, सीमेंट और पेट्रोकेमिकल जैसी श्रेणियाँ शामिल हैं।
    • IPCC इस बात पर बल देती है कि वैश्विक स्तर पर शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिये CCUS प्रौद्योगिकियों की तैनाती महत्त्वपूर्ण है।
  • ऊर्जा सुरक्षा:
    • ऊर्जा मिश्रण में CCUS का समावेश ऊर्जा ग्रिड को समुत्थानशीलता प्रदान करता है।
    • CCUS न्यून कार्बन वाली विद्युत और हाइड्रोजन उत्पादन की सुविधा प्रदान करता है। CCUS के माध्यम से उत्पादित हाइड्रोजन, जीवाश्म ईंधन के प्रत्यक्ष विकल्प के रूप में कार्य करता है।
    • यह विविधता दुनिया भर में सरकारों की बढ़ती प्राथमिकताओं के अनुरूप ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाती है।
  • CCUS के औद्योगिक अनुप्रयोग:
    • कंक्रीट और सीमेंट औद्योगिक क्षेत्र: कंक्रीट और सीमेंट उद्योग में CCUS तकनीक चूना पत्थर और मिट्टी के दहन के दौरान उत्सर्जित CO2 को कैप्चर/संग्रहीत करती है। इस CO2 को फिर कंक्रीट मिश्रण में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे इसकी शक्ति और स्थायित्व बढ़ सकता है, इस प्रक्रिया को कार्बोनेशन के रूप में जाना जाता है।
    • आधारभूत रसायन और ईंधन औद्योगिक क्षेत्र: CCUS सिंथेटिक गैस उत्पादन के लिये CO2 के स्रोत के रूप में कार्य करता है, जो संधारणीय विमानन ईंधन पहल के साथ संरेखित जैव-जेट ईंधन के उत्पादन के लिये आवश्यक है।
    • फाइन केमिकल्स सेक्टर: फाइन केमिकल उद्योग कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को कैप्चर करके इसे बायोमास के साथ मिश्रित कर उच्च-कार्यात्मक प्लास्टिक जैसे ऑक्सीजन युक्त यौगिकों में परिवर्तित कर CCUS का उपयोग करता है।
  • लागत प्रभावी समाधान:
    • CCUS उद्योगों को विद्युत संयंत्रों तथा विनिर्माण सुविधाओं जैसे मौजूदा बुनियादी ढाँचे का उपयोग जारी रखने की अनुमति देता है, जिससे नवीन, निम्न कार्बन विकल्पों में पूंजी निवेश की आवश्यकता कम हो जाती है।

CCUS से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • उच्च प्रारंभिक लागत:
    • बड़े पैमाने पर CCUS को लागू करने के लिये मूलभूत बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता होती है, जिसमें कैप्चर किये गए CO2 तथा उपयुक्त भंडारण स्थलों के परिवहन के लिये पाइपलाइन शामिल हैं। इससे लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं एवं पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है।
  • तकनीकी संपूर्णता:
    • CCUS प्रौद्योगिकियाँ विकास के प्रारंभिक चरण में हैं तथा अभी तक व्यापक रूप से नियोजित नहीं की गई हैं। इसके अतिरिक्त जब CCUS प्रौद्योगिकियों को लागू करने एवं संचालित करने की बात आती है तो ज्ञान व अनुभव में अंतराल की समस्या देखी जाती है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के साथ प्रतिस्पर्द्धा:
    • प्रौद्योगिकियों हेतु नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के उपयोग के स्थान पर CCUS प्रक्रियाओं का प्रयोग चर्चा का विषय रहा है। किंतु कुछ लोगों का तर्क है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश डीकार्बोनाइज़ेशन के लिये अधिक प्रत्यक्ष एवं सतत् मार्ग प्रदान कर सकता है।
  • नियामक ढाँचे का अभाव:
    • स्पष्ट एवं सहायक नियामक ढाँचे की अनुपस्थिति CCUS के नियोजन में बाधा डाल सकती है। दायित्व, दीर्घकालिक ज़िम्मेदारियों व पर्यावरण मानकों के संबंध में नियमों में अस्पष्टता निवेश में बाधा बन सकती है।
    • CCUS परियोजनाओं की आर्थिक व्यवहार्यता कार्बन की कीमत, सरकारी प्रोत्साहन तथा धन की उपलब्धता सहित विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।

आगे की राह

  • नीति और नियामक समर्थन: सरकारों को CCUS परियोजनाओं के लिये स्पष्ट एवं सहायक नियामक ढाँचा स्थापित करना चाहिये। इसमें दायित्व, दीर्घकालिक ज़िम्मेदारियों, पर्यावरण मानकों व अनुमति प्रक्रियाओं से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना शामिल है।
  • वित्तीय प्रोत्साहन: वित्तीय प्रोत्साहन, सब्सिडी और टैक्स क्रेडिट प्रदान करने से CCUS परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित किया जा सकता है। कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र, जैसे कार्बन टैक्स या कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम को लागू करना, CCUS को आर्थिक रूप से अधिक व्यवहार्य बना सकता है।
  • बुनियादी ढाँचा का विकास: सरकारों और उद्योगों को CCUS के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे में निवेश करना चाहिये, जिसमें CO2 परिवहन के लिये पाइपलाइन तथा उपयुक्त भंडारण स्थल शामिल हैं।
  • क्षमता निर्माण: शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करने से CCUS प्रौद्योगिकी में ज्ञान एवं कौशल की कमी को दूर किया जा सकता है। CCUS परियोजनाओं की सफल तैनाती और संचालन के लिये एक कुशल कार्यबल विकसित करना आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन 'कार्बन के सामाजिक मूल्य' पद का सर्वोत्तम रूप से वर्णन करता है? (2020)

  आर्थिक मूल्य के रूप में यह निम्नलिखित में से किसका माप है?

(a) प्रदत वर्ष में एक टन CO2 के उत्सर्जन से होने वाली दीर्घकालिक क्षति। 
(b) किसी देश की जीवाश्म ईंधनों की आवश्यकता, जिन्हें जलाकर देश अपने नागरिकों को वस्तुएँ और  सेवाएँ प्रदान करता है।
(c) किसी जलवायु शरणार्थी (Climate Refugee) द्वारा किसी नए स्थान के प्रति अनुकूलित होने हेतु   किये गए प्रयास।
(d) पृथ्वी ग्रह पर किसी व्यक्ति विशेष द्वारा अंशदत कार्बन पदचिह्न। 

उत्तर: A


मेन्स:

प्रश्न. क्या कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट के बावजूद जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के तहत स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास तंत्र को बनाए रखा जाना चाहिये? आर्थिक विकास के लिये भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के संबंध में चर्चा कीजिये। (2014)

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